Friday, January 17, 2025
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जो कभी कहते थे शपथ राम की खाते हैं, वे अब पीर बाबर शेख की ले रहे कसम: उद्धव ठाकरे के प्रति वफादारी जताने दरगाह पहुँचे शिवसेना (UBT) के कार्यकर्ता

कहा जाता है कि दरगाह पर हिंदू और मुस्लिम दोनों सक्रिय रूप से इसके रखरखाव और यहाँ के अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। यहाँ सालाना होने वाले उर्स मेले में पूरे क्षेत्र के हजारों भक्त आते हैं, जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल हैं। हालाँकि, दरगाह कोंकणी मुस्लिमों के लिए महत्व रखता है, लेकिन इस स्थान का प्रशासन और गतिविधियाँ स्थानीय हिंदू नागवेकर कबीले से बहुत प्रभावित हैं।

उद्धव ठाकरे के गुट वाली शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ताओं ने 8 दिसंबर 2024 (रविवार) को एक दरगाह पर जाकर पार्टी के प्रति वफादारी की शपथ ली। यह दरगाह रत्नागिरी जिले के हाटिस में स्थित है और इसका नाम पीर बाबर शेख दरगाह है। इस तरह की शपथ लेने के लिए एक महजबी जगह चुनने पर सोशल मीडिया यूजर की भौहें टेढ़ी हो गई हैं।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह आयोजन महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी के भीतर उपजे कलह को शांत करने का प्रयास था। दरगाह को सांप्रदायिक सद्भाव की प्रतीक का दावा किया जाता है। ABP न्यूज ने अनाम सूत्रों के हवाले लिखा है कि प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने के लिए शपथ एक महजबी स्थल को चुना गया और यहाँ पर शपथ ली गई।

शिवसेना के कार्यकर्ता दरगाह क्यों गए?

शिवसेना (यूबीटी) को हाल के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में गंभीर झटका लगा है। पार्टी राज्य भर में सिर्फ 20 सीटें जीतने में कामयाब रही। वहीं, महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शिवसेना (UBT), कॉन्ग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) शामिल हैं। इस गठबंधन को कुल 60 सीटें ही मिलीं। शिवसेना को विशेष रूप से कोंकण में हुआ नुकसान चुभ रहा है। यह ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट का गढ़ माना जाता था।

विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष पैदा हो गया। कई कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर आरोप लगाया कि वरिष्ठ नेताओं की लापरवाही और अक्षमता के कारण विधानसभा चुनावों में इस तरह की हार हुई। इस असंतोष के परिणामस्वरूप बैठकों और प्रमुख पदों से इस्तीफे के दौरान गर्मागर्म चर्चा हुई। इसके कारण पार्टी कैडर के भीतर गुस्सा बढ़ गया।

पार्टी के भीतर उथल-पुथल का समाधान वरिष्ठ नेता एवं उद्धव ठाकरे के करीबी विश्वासपात्र विनायक राउत ने निकालने की सोची। पार्टी के नेताओं द्वारा पीर बाबर शेख दरगाह में वफादारी की शपथ लेने का एक निर्णय लिया गया। इसका उद्देश्य जनता को यह दिखाना था कि पार्टी में विश्वास और एकता है। कार्यकर्ताओं से इसमें भाग लेने के लिए कहा गया था। सोर्स ने बताया कि जो व्यक्ति अनुपस्थिति रहे उन्हें असंतुष्ट या पार्टी विरोधी माना जाएगा।

दरगाह का एक संक्षिप्त इतिहास

डीप्रा दांडेकर द्वारा लिखित ‘ग्रे लिटरेचर ऐट दि दरगाह ऑफ पीर बाबर शेख ऐट हैटिस’ के अनुसार, पीर बाबर शेख दरगाह कोंकण क्षेत्र के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परिदृश्य में एक अनूठा स्थान रखता है। यह हैटिस गाँव में स्थित यह दरगाह सूफी संत पीर बाबर शेख को समर्पित है। कहा जाता है कि वह सदियों पहले इस गाँव में आए थे। वे आध्यात्मिक ज्ञान और सामाजिक कार्यों के लिए जाने जाते थे।

जब पीर बाबर शेख का निधन हो हुआ तो ग्रामीणों के उन्हें दफनाने को लेकर दुविधा उत्पन्न हो गई, क्योंकि स्थानीय लोग मुख्य रूप से हिंदू थे। आखिरकार, पास के इब्राहिम्पट्टन के मुस्लिमों ने उनके अंतिम संस्कार करने में सहायता की। उन्हें दफन करने के बाद कब्र को एक दरगाह का रूप दे दिया गया और उस स्थान को ‘सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक’ के रूप में स्थापित किया गया।

कहा जाता है कि यहाँ पर हिंदू और मुस्लिम दोनों सक्रिय रूप से इसके रखरखाव और यहाँ के अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। यहाँ सालाना होने वाले उर्स मेले में पूरे क्षेत्र के हजारों भक्त आते हैं, जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल हैं। हालाँकि, दरगाह कोंकणी मुस्लिमों के लिए महत्व रखता है, लेकिन इस स्थान का प्रशासन और गतिविधियाँ स्थानीय हिंदू नागवेकर कबीले से बहुत प्रभावित हैं।

‘सांप्रदायिक एकता’ की अपनी कथा के बावजूद इस दरगाह का इतिहास भी तनाव को प्रकट करता है। चूँकि हैटिस में मुस्लिम समुदाय की उपस्थिति कम है तो यहाँ धार्मिक सह-अस्तित्व के इतिहास पर सवाल उठता है। हैटिस में एक स्थायी मुस्लिम समुदाय की अनुपस्थिति, अनुष्ठान गतिविधियों के लिए पड़ोसी गाँवों के मुस्लिमों पर निर्भरता दरगाह की विरासत को परिभाषित करती है।

राजनीतिक निहितार्थ और भविष्य के दृष्टिकोण

पार्टी की आंतरिक चुनौतियों का समाधान करने और कार्यकर्ताओं के बीच एकता को बनाए रखने के लिए एक दरगाह का चुनाव करना शिवसेना के हिंदुत्व विचारधारा के साथ मेल नहीं खाता। इसको लेकर सोशल मीडिया यूजर्स ने सवाल उठाए हैं। इसको लेकर सवाल किया जा रहा है कि क्या पार्टी ने अपनी पारंपरिक विचारधारा को अब पूरी तरह से छोड़ने का फैसला कर लिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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