आज विनेश फोगाट के साथ पूरा देश खड़ा है, लेकिन कभी योगेश्वर दत्त, बबीता फोगाट और PT उषा को भला-बुरा कहने वालों ने जिस तरह से जश्न मनाने के नाम पर 'डिजिटल गुंडागर्दी' की, क्या वो माफ़ी माँगेंगे?
छात्र यदि उपद्रवी हो जाएँ और उसी देश की संपत्ति को तोड़ने फोड़ने लगें, अपनी बात मनवाने के लिए लोगों के कत्लेआम पर उतर आएँ तब इन्हें छात्र कैसे माना जाएगा?
नहीं, भारत कभी भी पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका या बांग्लादेश नहीं बन सकता। यहाँ वार्ड से लेकर राष्ट्रपति तक का चुनाव उत्सव है। यहाँ लोग विविधता के साथ तारतम्यता में जीते हैं। यहाँ की सेना का अनुशासन और उनकी प्रशिक्षण प्रक्रिया ऐसी है कि तख्तापलट जैसी चीजें सोची भी नहीं जा सकतीं। भारत में लगातार विकास हो रहा है, किसानों को मिल रही सरकारी सहूलियतें उनका जीवन आसान बनाती हैं।
एक तरफ योगेंद्र यादव 'बाबासाहब के सपनों' की बात करते हुए जाति मिटाने की भी बात करते हैं, दूसरी तरफ ये भी चाहते हैं कि हर कोई अपनी जातिगत पहचान आगे करे। दोनों चीजें एक साथ कैसे हो सकती हैं?