द वायर का कहना है कि इस मामले की 'जाँच' अभी भी जारी है। इस जाँच में उन्होंने पाया है कि वे अपनी 'रिपोर्टिंग टीम' द्वारा उपयोग किए गए सोर्स का वेरिफिकेशन करने में असमर्थ हैं।
वी आनंद नाम के एक प्राइवेसी रिसर्चर ने 20 अक्टूबर को ट्विटर पर इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्होंने मेटा विवाद में द वायर के देवेश कुमार के काम का समर्थन किया।
मेटा के खिलाफ द वायर ने पिछले दिनों कुछ फर्जी दावे किए थे। इन्हीं दावों को विशेषज्ञों द्वारा खारिज कर दिया गया। अब भारी फजीहत के बाद वायर ने अपनी सारी स्टोरीज हटा ली हैं।
यूट्यूब ने हमारे वीडियो को डिलीट कर दिया है हमने मजहबी आतंक पर पर्दे डालने की पत्रकारिता पर सवाल उठाए थे। बताया था कि कैसे कन्हैया लाल का गला काटने वालों को लेकर सहानुभूति पैदा करने की कोशिशें शुरू हो गई है।