सिर्फ एक मीडिया हाउस के वीडियो पर हाहा रिएक्शन देने वाले लोगों के नाम देखिए। इनकी संख्या क़रीब हज़ार में है लेकिन 90% से भी ज्यादा लोगों की ख़ासियत यह है कि 'इनका कोई मज़हब नहीं है'।
नून-टिमाटर वाले देश के लोग भी कल रात जाग रहे थे। भूखे पेट भला नींद आए भी तो कैसे! उसी देश का एक मंत्री है - वो भी विज्ञान व तकनीक मंत्री। नाम है फवाद चौधरी। आज उसके कान से खून बह रहा होगा क्योंकि...
नए ट्रैफिक नियमों की घोषणा के बाद से ही सोशल मीडिया पर एक से बढ़कर एक चुटकुलों की बाढ़ आ गई है, जिनमें लोग बढ़ाए गए जुर्मानों का अपने-अपने अंदाज में विरोध भी कर रहे हैं और उसके मजे भी ले रहे हैं।
इमरान के खुद के देश में बालाकोट के बाद जो उसकी छवि बनी है, उससे यह कयास जरूर लगाया जा सकता है कि यह साबुन अब शायद ही कोई नहाने के लिए इस्तेमाल करता होगा। हाँ, संडास से आने के बाद हाथ धोने के लिए शायद!
कविता कृष्णन ने साहिल का नाम देखा और उसे मुस्लिम समझकर प्रोपेगेंडा फैलाना शुरू कर दिया। इसके बाद कई लोगों ने कविता कृष्णन की खिंचाई करते हुए खबरों की पुष्टि कर लेने की नसीहत दी।
अगर आप हिंदू हैं और अपने धर्म के बारे में लिखते, पढ़ते और बोलते हैं तो आप असहिष्णुता और कट्टरता का चेहरा हैं। आप विशेष मजहब से हैं और गंद भी परोस रहे हैं तो आप देश का वो अल्पसंख्यक चेहरा हैं जो बेचारा खुद के अस्तित्व को बचाए रखने की लड़ाई लड़ रहा है।
अब्दुल बासित द्वारा रीट्वीट की गई तस्वीरों में पोर्न स्टार जॉनी सीन्स की तस्वीरें दिखाई गई हैं, जो कि बिना किसी शक के कश्मीरी नागरिक नहीं है। इस तस्वीर में दिखाया गया है कि यूसुफ़ अनंतनाग का रहने वाला है, जिसकी आँखों की रौशनी पेलेट गन्स की वजह से चली गई।
क्या रोमिला थापर जेएनयू जैसे बड़े संस्थानों के नियम-क़ायदों से ऊपर हैं? क्या वह किसी संस्था में उसके नियम-क़ानून का पालन किए बिना बने रहना चाहती हैं। आख़िर उनके के पास ऐसा क्या है कि जेएनयू उनके कहे अनुसार अपना काम करे?
कॉर्पोरेट को समझना होगा कि उसके एजेन्डाबाज और राजनीतिक रूप से वामपंथी झुकाव वाले प्रोफेशनल किसी मुद्दे का समाधान करने की कोशिश नहीं कर रहे। यही कारण है कि मूल व्यवसाय से ज्यादा ऐसी फ़िज़ूल की गतिविधियों में ऊर्जा खपाना धंधे पर भारी पड़ रहा है।
साहो फिल्म में नील नितिन मुकेश ने भी काम किया है। उन्हीं को लेकर साहो फिल्म पर अपनी राय देते हुए अंकुर पाठक ने लिखा- "ये 2019 है, और फिल्म प्रोड्यूसर्स अभी भी नील नितिन मुकेश को फिल्मों में एक्टिंग करने के लिए पेमेंट दे रहे हैं? मुझे जवाब चाहिए।