प्रोपेगंडा वेबसाइट scroll.in ने एक ख़बर प्रकाशित की जिसका शीर्षक है ‘पत्रकारों को भेजे गए अश्लील संदेशों के लिए केंद्र ने दूरसंचार कंपनियों को ज़िम्मेदार ठहराया’। इसमें कहा गया है कि सरकार ने पत्रकार रवीश कुमार और अभिसार शर्मा को अश्लील संदेश भेजने वाले 19 लोगों के ख़िलाफ़ तत्काल कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने ट्विटर पर यह भी कहा कि केंद्र ने एयरटेल, वोडाफोन, जियो और अन्य को रवीश कुमार और अभिसार शर्मा को अश्लील संदेश भेजने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है।
Centre holds @airtelindia, @VodafoneIN, @reliancejio and others responsible for obscene text messages sent to @ravishndtv, @abhisar_sharma
— scroll.in (@scroll_in) February 21, 2019
More details here: https://t.co/R3tM8xASA3 pic.twitter.com/dVBpERf9yy
Scroll के शीर्षक में और ट्वीट में स्पष्ट रूप से दूरसंचार कंपनियों को अपने ग्राहकों द्वारा पत्रकारों को भेजे गए अश्लील संदेशों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया। लेकिन यह सच नहीं है, क्योंकि सरकारी आदेश यह नहीं कहता है कि दूरसंचार नेटवर्क उपयोगकर्ताओं द्वारा भेजे गए संदेशों के लिए ज़िम्मेदार हैं। DoT (Department of telecom) द्वारा दिए गए आदेश को लेख में अटैच भी किया गया है।
आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि लाइसेंसिंग मानदंडों के अनुसार, दूरसंचार ऑपरेटरों पर यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके नेटवर्क का उपयोग अश्लील, दुर्भावनापूर्ण और आपत्तिजनक प्रसारण के लिए नहीं किया जाता है। बावजूद इसके स्क्रॉल ने अपनी ख़बर में इसे ग़लत मंशा से प्रचारित और प्रसारित किया।
बता दें कि इस आदेश में दूरसंचार कंपनियों को फोन पर लोगों द्वारा प्राप्त आपत्तिजनक संदेशों की शिकायत प्राप्त करने के लिए कॉल सेंटर या हेल्पलाइन सेंटर खोलने का भी सुझाव दिया।
पुलवामा हमले के बाद, कई पत्रकारों ने फ़र्ज़ी ख़बर फैलाई थी कि विभिन्न स्थानों पर कश्मीरी मुस्लिम छात्रों पर दक्षिणपंथी समूहों द्वारा हमला किया जा रहा है। इस तरह के निराधार दावों के कारण लोगों ने सोशल मीडिया पर उनकी आलोचनाएँ भी की थीं। कुछ पत्रकारों ने आरोप लगाया था कि कुछ लोगों ने अपनी सीमा को लाँघते हुए उन्हें ट्विटर और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक संदेश और चित्र भेजे। इसके बाद पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर सेंसरशिप की माँग की और सरकार को कार्रवाई करने के लिए कहा। इसके बाद, सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को अपराधियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए कहा, लेकिन कंपनियों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जैसा कि स्क्रॉल ने अपनी ख़बर में दर्शाने का प्रयास किया।