Saturday, July 12, 2025
Homeफ़ैक्ट चेकFact Check: मीडिया गिरोह के सदस्य 'scroll' का एक और झूठ, मामला पत्रकारों के...

Fact Check: मीडिया गिरोह के सदस्य ‘scroll’ का एक और झूठ, मामला पत्रकारों के अश्लील संदेशों का

Scroll के शीर्षक में और ट्वीट में स्पष्ट रूप से दूरसंचार कंपनियों को अपने ग्राहकों द्वारा पत्रकारों को भेजे गए अश्लील संदेशों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया। लेकिन यह सच नहीं है, क्योंकि सरकारी आदेश यह नहीं कहता है कि दूरसंचार नेटवर्क उपयोगकर्ताओं द्वारा भेजे गए संदेशों के लिए ज़िम्मेदार हैं।

प्रोपेगंडा वेबसाइट scroll.in ने एक ख़बर प्रकाशित की जिसका शीर्षक है ‘पत्रकारों को भेजे गए अश्लील संदेशों के लिए केंद्र ने दूरसंचार कंपनियों को ज़िम्मेदार ठहराया’। इसमें कहा गया है कि सरकार ने पत्रकार रवीश कुमार और अभिसार शर्मा को अश्लील संदेश भेजने वाले 19 लोगों के ख़िलाफ़ तत्काल कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने ट्विटर पर यह भी कहा कि केंद्र ने एयरटेल, वोडाफोन, जियो और अन्य को रवीश कुमार और अभिसार शर्मा को अश्लील संदेश भेजने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है।

Scroll के शीर्षक में और ट्वीट में स्पष्ट रूप से दूरसंचार कंपनियों को अपने ग्राहकों द्वारा पत्रकारों को भेजे गए अश्लील संदेशों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया। लेकिन यह सच नहीं है, क्योंकि सरकारी आदेश यह नहीं कहता है कि दूरसंचार नेटवर्क उपयोगकर्ताओं द्वारा भेजे गए संदेशों के लिए ज़िम्मेदार हैं। DoT (Department of telecom) द्वारा दिए गए आदेश को लेख में अटैच भी किया गया है।

आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि लाइसेंसिंग मानदंडों के अनुसार, दूरसंचार ऑपरेटरों पर यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके नेटवर्क का उपयोग अश्लील, दुर्भावनापूर्ण और आपत्तिजनक प्रसारण के लिए नहीं किया जाता है। बावजूद इसके स्क्रॉल ने अपनी ख़बर में इसे ग़लत मंशा से प्रचारित और प्रसारित किया।

बता दें कि इस आदेश में दूरसंचार कंपनियों को फोन पर लोगों द्वारा प्राप्त आपत्तिजनक संदेशों की शिकायत प्राप्त करने के लिए कॉल सेंटर या हेल्पलाइन सेंटर खोलने का भी सुझाव दिया।

पुलवामा हमले के बाद, कई पत्रकारों ने फ़र्ज़ी ख़बर फैलाई थी कि विभिन्न स्थानों पर कश्मीरी मुस्लिम छात्रों पर दक्षिणपंथी समूहों द्वारा हमला किया जा रहा है। इस तरह के निराधार दावों के कारण लोगों ने सोशल मीडिया पर उनकी आलोचनाएँ भी की थीं। कुछ पत्रकारों ने आरोप लगाया था कि कुछ लोगों ने अपनी सीमा को लाँघते हुए उन्हें ट्विटर और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक संदेश और चित्र भेजे। इसके बाद पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर सेंसरशिप की माँग की और सरकार को कार्रवाई करने के लिए कहा। इसके बाद, सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को अपराधियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए कहा, लेकिन कंपनियों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जैसा कि स्क्रॉल ने अपनी ख़बर में दर्शाने का प्रयास किया।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

एक के बाद एक दोनों इंजन हुए बंद, पायलटों ने एक दूसरे से पूछा- तुमने ऑफ किया क्या, और फिर…: अहमदाबाद प्लेन क्रैश केस...

अहमदाबाद विमान हादसे के कॉकपिट के ऑडियो रिकॉर्ड से पता चला है कि दोनों इंजन हवा में बंद हो गए थे इसलिए विमान हादसा हुआ । AAIB ने अपनी रिपोर्ट में बताया है

एअर इंडिया क्रैश का दोष पायलटों के नाम, बोइंग को क्लीन चिट: विदेशी मीडिया ने फिर किया प्रोपेगेंडा, पहले भी हादसों के बाद ‘ब्लेम’...

विदेशी मीडिया ने एअर इंडिया हादसे में पायलटों को जिम्मेदार बताना चालू कर दिया है और बोइंग को क्लीन चिट दे दी है।
- विज्ञापन -