सूरत फायर ट्रेजेडी को लेकर तरह-तरह की अफवाहें उड़ाई जा रही हैं। जहाँ सरकार और सिस्टम से सवाल पूछे जाने चाहिए, वहाँ अपना ख़ुद का प्रोपेगेंडा चलाने की कोशिश की जा रही है। फेसबुक पर गौरव ज़िब्बू नामक व्यक्ति ने बिना सबूत बहुत सारे लम्बे-चौड़े दावे किए हैं, जिसका दूर-दूर तक सत्य से कोई लेना-देना नहीं है। पहले हम इस पूरे मामले को समझते हैं और फिर हम झूठ की परत दर परत बखिया उधेड़ेंगे।
कुछ दिनों पहले गुजरात के सूरत स्थित तक्षशिला कॉम्प्लेक्स में लगी भीषण आग में 22 स्टूडेंट्स की मौत हो गई थी। इसके बाद हरकत में आई राज्य सरकार ने पूरे गुजरात में 9395 भवनों को चिन्हित करके उनके मालिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। ये सभी अग्नि सुरक्षा मानक पर खरे नहीं उतरे।
गौरव ज़िब्बू ने लिखा कि सूरत अग्निकांड में मृत छात्रा पंचानी के पिता ने सरकार द्वारा दी जा रही 4 लाख रुपए की मुआवजा राशि लेने से मना कर दिया है। उसने दावा किया है कि लड़की के पिता ने कहा कि फायर ब्रिगेड को इन रुपयों की ज्यादा ज़रूरत है और वे अपनी तरफ से 4 लाख रुपए ‘रेस्क्यू लैडर’ खरीदने के लिए अग्निशमन विभाग को देना चाहते हैं। कई अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में भी ये बात कही गई। एशियन एज और डेक्कन क्रॉनिकल जैसे मीडिया संस्थानों से लेकर ट्विटर व फेसबुक पर अन्य लोगों ने भी इस झूठ को आगे बढ़ाने का काम किया।
जब एक मीडिया पोर्टल ने मृत छात्रा हैप्पी पंचानी के परिवार से संपर्क किया तो उन्होंने सोशल मीडिया पर चल रही इन बातों को अफवाह करार दिया। पंचानी के चाचा ने कहा कि ऐसी झूठी बातें एक स्थानीय अख़बार के कारण शुरू हुई। पंचानी के चाचा ने इन अफवाहों को नकारते हुए कहा कि न हैप्पी के पिता ने ऐसा कोई निवेदन किया है न उसके परिवार से किसी और ने मुआवजा न लेने की बात कही है। परिवार ने अफवाह फ़ैलाने वालों से निवेदन भी किया कि ऐसे पोस्ट शेयर न किए जाएँ, वायरल न किए जाएँ, इससे उन्हें समस्या है।
Late Happy Deepak Panchani’s father refused to accept Rs 4 lakhs as compensation by Gujarat Govt in #SuratFire saying Fire Brigade needs that money more than victim’s family and offered another Rs 4 lakhs from own pocket suggesting they buy a rescue ladder with that money. pic.twitter.com/iElyis1hc4
— TheAgeOfBananas (@iScrew) May 29, 2019
वायरल पोस्ट में और भी कई दावे किए गए हैं। इसमें एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) नंबर भी दिया है और कहा गया है कि ये आरटीआई उनके दावे की पुष्टि करते हैं। लेकिन, गौरव ज़िब्बू द्वारा दिया गया आरटीआई नंबर अपूर्ण है और उसके द्वारा किसी तरह की जानकारी नहीं निकाली जा सकती। इसके अलावा यह भी दावा किया गया है कि अग्निशमन विभाग के संसाधनों को ख़रीदने का कॉन्ट्रैक्ट 2005 में अमित शाह के बेटे जय शाह को दे दिया गया जबकि अमित शाह की शादी ही 1987 में हुई थी।
इस हिसाब से आप 2005 में जय शाह की उम्र का अंदाजा लगा सकते हैं। जय शाह का जन्म अगर 1988 में हुआ हो, तब भी 2005 में वो नाबालिग ही रहे होंगे। अर्थात, ज़िब्बू व अन्य वायरल पोस्ट्स का मानना है कि एक नाबालिग लड़के को करोड़ों का महत्वपूर्ण कॉन्ट्रैक्ट दे दिया गया। इसके अलावा यह भी दावा किया गया है कि अग्निशमन विभाग की ट्रकों को अडानी ग्रुप को बेच दिया गया। यह सोचा जा सकता है कि बिलियन डॉलर नेट वर्थ वाली इतनी बड़ी कम्पनी क्या 5 लाख में सेकेण्ड हैण्ड ट्रक खरीदेगी? इसके अलावा लेख में सूरत के लोगों पर भाजपा को वोट देने के लिए भी तंज कसा गया है।
That iscrew’s thread is spreading fake regarding Jay Shah and Adani..
— Ekita (@LostByWaves) May 30, 2019
But it’s a fact that Fire department didn’t have ladder which can reach 4th floor in a densely populated city like Surat…
How shameful is that..!!
कुल मिलाकर देखें तो अपूर्ण आरटीआई नंबर, नाबालिग जय शाह को करोड़ों का प्रोजेक्ट, अडानी ग्रुप जैसी बड़ी कम्पनी द्वारा सेकेण्ड हैण्ड ट्रक खरीदना, हैप्पी पंचानी के परिवार द्वारा मुआवजा न लेने की बात करना- इस पोस्ट में कई सारे झूठ हैं, विसंगतियाँ हैं और ये पूरा का पूरा एक प्रोपेगेंडा है। हास्यास्पद यह कि बड़े-बड़े मीडिया हाउस भी बिना जाँच-पड़ताल किए ही इस खबर को चला रहे हैं और एक तरह से इस प्रोपेगेंडा को हवा दे रहे हैं।