पिछले दिनों मेनस्ट्रीम मीडिया में राजस्थान के बूँदी जिले की एक खबर आई थी। इन रिपोर्टों में दावा किया गया था कि दलित समुदाय के दूल्हों को घोड़ी पर नहीं बैठने दिया गया। राजस्थान पुलिस ने एक बयान जारी कर इन खबरों को गलत बताया है। पुलिस के अनुसार दूल्हों के लिए वधू पक्ष घोड़ी की व्यवस्था ही नहीं कर पाए थे।
मीडिया रिपोर्टों में बताया गया था कि नीम का खेड़ा गाँव निवासी गणेश लाल मेघवाल की तीन बेटियों की शादी थी। बारात भीलवाड़ा जिले के 3 परिवारों से आई थी। जब दूल्हों को घोड़ियों पर बिठाकर तोरण द्वार पर ले जाने की तैयारी हो रही थी, तभी कुछ दबंग (गुर्जर बिरादरी) इकट्ठा हो गए और इसका विरोध किया। इसके बाद दूल्हे कार से ले जाए गए। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि दूल्हे मोटरसाइकिल पर ले जाए गए। इन रिपोर्टों के अनुसार दलितों के विरोध करने में माली समाज के लोग भी गुर्जर का साथ दे रहे थे।
पूरे मामले की हकीकत जानने से पहले जरा कुछ मीडिया रिपोर्टों पर गौर करिए। TV 9 भारतवर्ष ने लिखा, “पुलिस के सामने ही दबंगों की गुंडागर्दी। दलित दूल्हे को नहीं चढ़ने दिया घोड़ी, जबरदस्ती उतार कर बाइक से भेजा।”
यूनीवार्ता ने भी’ ‘दबंगों ने नहीं होने दी 3 दलित दूल्हों की घुड़चढ़ी’ जैसा शीर्षक दिया।
इस खबर पर दैनिक भास्कर की हेडलाइन थी – विरोध के चलते घोड़ी पर नहीं बैठ पाए 3 दलित दूल्हे।
हिंदुस्तान ने हेडलाइन दी- दबंगों ने दलित दूल्हों को घोड़ी पर चढ़कर बारात नहीं ले जाने दी।
पत्रिका की खबर के अनुसार राजस्थान में दलित दूल्हों को नहीं चढ़ने दिया गया घोड़ी। कार में बैठ कर आए 3 दूल्हे।
नवभारत टाइम्स ने लिखा, ‘राजस्थान में दलित दूल्हों के शादी में घोड़ी पर बैठना आज भी मना।’
न्यूज़ ट्रैक ने लिखा- दबंगों की गुंडागर्दी के आगे पुलिस बनी मूकदर्शक! दलित दूल्हों को नहीं चढ़ने दिया घोड़ी, जबरदस्ती उतारकर बाइक से भेजा।’
इसी प्रकार की खबरें कुछ स्थानीय पोर्टलों ने भी प्रकाशित की थी। थोड़े ही समय में इस मामले को राजनैतिक तूल मिलने लगा। इस पर बयानबाजी शुरू हो गई।
एससी के 4 मंत्री राजस्थान में फिर भी बूंदी में 3 दलित दुल्हो को घोड़ी पर तोरण नही मारने दिया । देश अभी भी गुलाम है। ओर ये सब पुलिस के सामने हुआ ।पुलिस दबंगो के सामने कुछ नहीं कर पाई । राजस्थान के लिए शर्म की बात है । हम हाई कोर्ट से अपील करते हैं कि घोड़ी पर तोरण की रसम को बंद हो
— MAHABIR BERWAL (@MAHABIRBERWAL8) November 24, 2021
इस मामले का सच राजस्थान पुलिस ने बतया है। राजस्थान की बूँदी पुलिस द्वारा जारी प्रेसनोट ने तमाम मीडिया संस्थानों के दावों को झुठला दिया है। पुलिस द्वारा 23 नवम्बर 2021 को जारी प्रेसनोट में कहा गया है कि कुछ समाचार पत्रों व सोशल मीडिया में 21 नवम्बर 2021 को गाँव नीम का खेड़ा में आई बारात के बारे में खबर छपी है कि उसमे किसी जाति विशेष के विरोध के चलते दलित दूल्हों को घोड़ी पर नहीं चढ़ने दिया गया। दूल्हे घोड़ी पर इसलिए नहीं बैठ पाए थे क्योंकि लड़की पक्ष वालों ने जहाँ से घोड़ी का इंतज़ाम किया था वहाँ घोड़ी उपलब्ध ही नहीं थी।
इसी के साथ पुलिस ने स्पष्ट किया है कि नीम का खेड़ा गाँव में दलित दूल्हों को घोड़ी पर बैठने को ले कर कोई विवाद ही नहीं था। किसी भी पक्ष द्वारा पुलिस से शादी से पहले या शादी के बाद किसी भी प्रकार की कोई शिकायत भी नहीं की गई है। उसी गाँव के लोगों ने दूल्हों को गाड़ी में बिठाकर तोरण का कार्यक्रम पूरा करवाया। पूरे कार्यक्रम के दौरान पुलिस मौजूद रही। शादी के दौरान कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से सामान्य रही।
#bundipolice @PoliceRajasthan@IgpKota
— Bundipolice (@BundiPolice) November 23, 2021
” दलित दुल्हो को घोडी पर चढने से रोकने को लेकर खबर की सच्चाई ” pic.twitter.com/JDEkeJMe2K
इस मामले में ऑप इंडिया ने बूँदी जिले के सदर थाना प्रभारी से बात की। उन्होंने बताया की कि पुलिस कंट्रोल रूम पर ये सूचना थी कि नीम का खेड़ा गाँव की बारात में व्यवधान न हो इसके लिए फ़ोर्स भेजी जाए। मैं मौके पर गया। मैंने लड़की के पिता गणेश लाल मेघवाल से पूछा कि उन्हें किसी से कोई दिक्कत तो नहीं ? उन्होंने बताया कि मुझे कोई दिक्कत नहीं, सब सामान्य है। घोड़ी वहाँ थी ही नहीं। बारात के दौरान मैं वहाँ रुका रहा। किसी भी प्रकार का कोई भी विवाद नहीं हुआ, सब कुछ सामान्य रूप में बीता।