प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘दी वायर’ को उत्तर रेलवे ने श्रमिकों से किराया लेने की फर्जी खबर प्रकशित करने के लिए फटकार लगाईं है और उन्हें वास्तविकता का ज्ञान कराया है। दी वायर ने बुधवार (सितम्बर 02, 2020) को एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसका शीर्षक था, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए रेलवे ने श्रमिकों से वसूला करोड़ों रुपए किराया।”
इस रिपोर्ट में ‘दी वायर’ ने दावा किया है कि ‘सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई को दिए एक आदेश में कहा था कि ट्रेन या बस से यात्रा करने वाले किसी भी प्रवासी मज़दूर से किराया नहीं लिया जाएगा। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार शीर्ष अदालत के निर्देशों के बावजूद रेलवे द्वारा श्रमिक ट्रेनों के यात्रियों से किराया लिया गया है।’
‘दी वायर’ की इस ख़बर के मुताबिक, सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून, 2005 के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि भारतीय रेल के उत्तर मध्य ज़ोन के प्रयागराज डिवीजन ने जून महीने में श्रमिक ट्रेनों में यात्रा करने वाले 46,650 यात्रियों से करीब 2.12 करोड़ रुपए का किराया वसूला है।
लेकिन उत्तर मध्य रेलवे ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ‘दी वायर’ की इस रिपोर्ट को फर्जी और तथ्यों से अलग बताते हुए फेक खबर प्रकाशित करने से बचने की सलाह दी है।
उत्तर मध्य रेलवे ने अपने पत्र में लिखा है कि दी वायर की इस रिपोर्ट में किए गए दावे झूठे हैं और श्रमिक स्पेशल गाड़ियों में यात्रा के लिए किसी भी श्रमिक से किसी भी तरह का किराया नहीं वसूला गया है।
रेलवे के बयान के अनुसार, “श्रमिक विशेष गाड़ियों की सेवा एक अत्यधिक सब्सिडी युक्त सेवा थी। जिसमें लगभग 85% भाड़े का वहन रेलवे द्वारा स्वयं किया गया था एवं इसकी शेष राशि का भुगतान सम्बन्धित राज्य सरकारों द्वारा रेल प्रशासन को किया गया था। इन भुगतानों में श्रमिकों के परिवहन हेतु प्रयागराज मंडल सम्बन्धित सेवाओं के लिए उत्तर प्रदेश शासन द्वारा मई माह में 4,79,07,695 और जून माह में 2,11,71,600 भुगतान किया गया और उत्तर मध्य रेलवे द्वारा किसी भी श्रमिक से कोई भी किराया नहीं लिया गया।”
दी वायर द्वारा श्रमिकों को दिए गए खाद्य पदार्थ के सम्बन्ध में स्पष्ट करते हुए इस बयान में आगे लिखा है, “भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम द्वारा निशुल्क रूप से भोजन उपलब्ध कराया गया था। जिसके अंतर्गत 22.04 लाख से अधिक भोजन एवं फ़ूड पैकेट प्रदान किए गए हैं।”
रेलवे ने दी वायर से कहा है कि विभाग का यह स्पष्टीकरण उन्हें अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करना चाहिए ताकि पाठकों के बीच भ्रामक और गलत धारणा का निवारण किया जा सके। रेलवे ने अनुरोध किया है कि भविष्य में समाचार प्रकाशित करने से पहले विभाग के अधिकारियों के बयान को भी अपने लेख में शामिल किया जाना चाहिए।