तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा गुरुवार (3 फरवरी, 2022) को लोकसभा में दिए भाषण में बोले गए झूठ का लोगों ने पर्दाफाश कर दिया है। दरअसल महुआ ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान दावा किया कि जम्मू कश्मीर में अब पहली और आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी के साथ बदल दिया गया है।
लोकसभा में सदन को संबोधित करते हुए तृणमूल कॉन्ग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण कई मौकों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस को संदर्भित करता है। 1938 में कोमिला (अब बांग्लादेश) में सुभाष चंद्र बोस के एक भाषण का हवाला देते हुए मोइत्रा ने कहा, “सांप्रदायिकता ने अपना बदसूरत सिर फिर से अपना उठा दिया है।” उन्होंने कहा कि नेताजी की इंडियन नेशनल आर्मी (INA) का प्रतीक चिन्ह टीपू सुल्तान का बाघ था। वही टीपू सुल्तान जिनका जिक्र इस सरकार (मोदी सरकार) ने पाठ्यपुस्तकों से हटा दिया है।
This is what Mahua Moitra told the parliament about official languages of Jammu & Kashmir lying about it blatantly. Urdu is not the language of Jammu & Kashmir. She should have done some basic research and read up before making absurd claims. pic.twitter.com/Vy51xFxrE1
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) February 3, 2022
महुआ मोइत्रा ने आगे कहा, “आईएनए का आदर्श वाक्य तीन उर्दू शब्द थे – एतिहाद, एत्माद और कुर्बानी (एकता, विश्वास और बलिदान)। यह वही उर्दू भाषा है जिसे जम्मू-कश्मीर में अब पहली और आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी के साथ बदल दिया गया है और यह सरकार बहुत खुश है।” अपने इस भाषण के बाद वह सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गई। लोगों ने उनका फैक्ट चेक कर दिया।
महुआ मोइत्रा का दावा क्यों है गलत?
साल 1957 से लेकर जम्मू और कश्मीर में दो आधिकारिक भाषाएँ थीं- उर्दू और अंग्रेजी। उर्दू को आधिकारिक भाषा का दर्ज़ा प्राप्त था और अंग्रेजी को आधिकारिक व्यवहार के लिए प्रयोग किया जाता था। अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा का दर्ज़ा, कानूनी और विधायी क्षेत्रों में इसके इस्तेमाल के कारण ज़ारी रखा गया था।
This is from Jammu and Kashmir Official Languages Bill, 2020 which was introduced in Lok Sabha on September 22, 2020. Kashmiri, Dogri, Urdu, Hindi and English are the official languages of Jammu & Kashmir. Where did Hindi replace Urdu as the first and official language of J&K? pic.twitter.com/bwKKfRjfS4
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) February 3, 2022
सितंबर 2020 में मोदी सरकार ने जम्मू- कश्मीर के लोगों की वर्षों पुरानी माँग पूरी की। लोकसभा ने 22 सितंबर को जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को मंजूरी प्रदान कर दी। जिसमें डोगरी, कश्मीरी और हिंदी को जम्मू- कश्मीर की आधिकारिक भाषा का दर्जा देने का प्रावधान था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक पारित होने को जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दिन बताया। इसके मुताबिक पहले से ही आधिकारिक भाषा का दर्जा पाए हुए उर्दू और अंग्रेजी के साथ ही डोगरी, कश्मीरी एवं हिंदी भी वहाँ की आधिकारिक भाषा बनी।
यहाँ पर गौर करने वाली बात है कि डोगरी, कश्मीरी और हिंदी को भी आधिकारिक भाषा बनाया गया, लेकिन उर्दू को हटाया नहीं गया, जैसा कि महुआ मोइत्रा ने अपने भाषण में दावा किया था।
Mahua Moitra should know that Urdu is not the language of Jammu & Kashmir. Kashmiri and Dogri are our languages and majority of people in Union Territory of Jammu & Kashmir speak Hindi. Hindi isn’t being imposed. Urdu was being imposed. No tears to save the Sharda Script? #Shame
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) February 3, 2022
कश्मीरी पंडित पत्रकार आदित्य राज कौल ने सांसद पर तंज कसते हुए कहा, “महुआ मोइत्रा को पता होना चाहिए कि उर्दू जम्मू-कश्मीर की भाषा नहीं है। कश्मीरी और डोगरी हमारी भाषाएँ हैं और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में अधिकांश लोग हिंदी बोलते हैं। हिंदी थोपी नहीं जा रही है। उर्दू थोपी जा रही थी।”
Also @MahuaMoitra let me enlighten you with what has really happened in J&K. Hindi has not been replaced anything. Rather Kashmiri language – my language – has been for the first time given recognition officially after 7 decades.
— Sunanda Vashisht (@sunandavashisht) February 3, 2022
वहीं जम्मू कश्मीर से ताल्लुक रखने वाली राजनीतिक टिप्पणीकार एवं स्तंभकार सुनंदा वशिष्ट ने भी महुआ मोइत्रा को लताड़ा। उन्होंने भी कहा कि उर्दू उनकी भाषा नहीं है। उसे उनके ऊपर थोपा गया था। उन्होंने कहा, “मैं आपको बताती हूँ कि जम्मू-कश्मीर में वास्तव में क्या हुआ है। हिंदी को किसी भाषा से नहीं बदला गया है। बल्कि मेरी भाषा- ‘कश्मीरी भाषा’ को 7 दशकों के बाद पहली बार आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई है।”
Exactly. I challenge @MahuaMoitra to name 5 indigenous languages of J&K and I would like her to explain to me why Urdu was imposed on people of Jammu and Kashmir and Kashmiri was not given official recognition till 2020? https://t.co/DrCGmh6G6m
— Sunanda Vashisht (@sunandavashisht) February 3, 2022
इसके साथ ही उन्होंने सांसद को चुनौती देते हुए कहा, “मैं महुआ मोइत्रा को जम्मू-कश्मीर की 5 देशी भाषाओं के नाम बताने की चुनौती देती हूँ और मैं चाहूँगी कि वह मुझे बताएँ कि जम्मू-कश्मीर के लोगों पर उर्दू क्यों थोपी गई और कश्मीरी भाषा को 2020 तक आधिकारिक मान्यता क्यों नहीं दी गई?” इसके साथ ही उन्होंने झूठ फैलाने के लिए महुआ मोइत्रा से माफी की भी माँग की है।
You are digressing. My point here is that @MahuaMoitra lied on the floor of the parliament that Hindi has replaced Urdu in J&K.That is simply not true. She should take her words back and apologize for lying in the parliament. Kashmiri has been added, Urdu has not been dropped. https://t.co/V64moQv3fE
— Sunanda Vashisht (@sunandavashisht) February 4, 2022
इसके अलावा डोगरा संस्कृति और इतिहास के बारे में जानकारी रखने वाली जम्मू कश्मीर की मनु खजुरिया ने कहा, “डोगरी और कश्मीरी- डोगरा और कश्मीरी मुस्लिमों की भी मातृभाषा हैं। उन्होंने मामले को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की। उन्हें शर्म आनी चाहिए!”
Dogri & Kashmiri are mother tongues of Dogra & Kashmiri Muslims too. Trust her to make this a communal issue. Shame on her!
— Manu Khajuria 🇮🇳 (@KhajuriaManu) February 3, 2022
गौरतलब है कि इससे पहले मोदी सरकार पर तंज कसने के लिए TMC सांसद ने ‘गोमूत्र’ का मजाक उड़ाया था। भाजपा को संबोधित करने के लिए गलत हैंडल को टैग करते हुए महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया था, “मैं आज शाम को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में बोलने जा रही हूँ। मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूँ कि बीजेपी की हेकलर टीम खुद को तैयार रख ले। गोमूत्र के शॉट्स भी पीकर आएँ।”