इन दिनों सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि समाचार एजेंसी ANI ने हाल ही में पारित किए गए किसान बिल और 2016 में मोदी सरकार द्वारा लाए गए नोटबंदी के लिए एक ही व्यक्ति का इंटरव्यू लिया। कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय सोशल मीडिया संयोजक विनय कुमार डोकानिया ने एक समान दिखने वाले दो व्यक्तियों की तस्वीरें शेयर करते हुए आरोप लगाया कि ANI ने किसान बिल के लिए उसी व्यक्ति का साक्षात्कार लिया, जिसने 2016 में नोटबंदी की सराहना की थी। ये तस्वीरे काफी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
ANI की प्रधान संपादक स्मिता प्रकाश द्वारा इस दावे का सख्ती से खंडन किया गया। उन्होंने दावा किया कि तस्वीरें दो अलग-अलग व्यक्तियों की थी। डोकानिया झूठ बोल रहे थे।
हालाँकि, ट्वीट और भी ज्यादा वायरल तब हो गया जब दिल्ली कॉन्ग्रेस के उपाध्यक्ष अभिषेक दत्त ने डोकानिया के ट्वीट का हवाला देते हुए स्मिता प्रकाश से पूछा कि ट्वीट का सच क्या है। ANI के प्रधान संपादक ने जवाब दिया कि उनके सहयोगी ने फर्जी ट्वीट के साथ विवाद शुरू किया और बाकी लोगों ने इसे शेयर किया।
दत्त ने कहा कि अगर यह ट्वीट फर्जी था तो वह इसे जल्द से जल्द हटा देंगे। हालाँकि, स्मिता प्रकाश के स्पष्ट स्पष्टीकरण के बावजूद, इस लेख को लिखने के समय तक ट्वीट को नहीं हटाया गया है। इसके बजाय, एएनआई के विरोधियों द्वारा ट्विटर पर ट्वीट को व्यापक रूप से साझा किया गया है।
Come on, Smita! Even if he is not the same guy, the man does look like a Maganlal Dresswala manufactured fancy dress farmer, with a brand new gamchha, ganjee and all. This may not be a reflection on your journalism, you are doing good work, but you do need to question your team!
— Vaibhav Vishal (@ofnosurnamefame) September 22, 2020
लोगों ने स्मिता प्रकाश के कार्य की नैतिकता पर भी सवाल उठाए। वैभव विशाल नाम के एक ट्विटर यूजर ने कहा कि वह व्यक्ति किसान की तरह बिल्कुल भी नहीं लग रहा था। उसने नए बनियान, नए गमछे आदि पहन रखे थे। इसके साथ ही वैभव ने स्मिता से अपनी टीम से सवाल करने के लिए भी कहा।
Read, Smita. READ (really). I am NOT saying the starving emaciated kisaan is the Bollywood kisaan. The fake gamchha-ganji combo makes the Bollywood kisaan. The farmers in ALL your pics look manufactured with their brand new kurtas and super white ganjis.
— Vaibhav Vishal (@ofnosurnamefame) September 22, 2020
Introspect. Don’t react. pic.twitter.com/qA7T04jP22
इस पर स्मिता प्रकाश ने चुटकी लेते हुए व्यक्ति से माफी माँगी कि एक शख्स भूखे किसान की छवि में फिट नहीं बैठता है। इसके बाद एएनआई द्वारा इंटरव्यू लिए गए किसानों की छवियों को शेयर करते हुए, वैभव विशाल ने कहा कि एएनआई को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।
I dont understand how they can come on TV debates as a guest, appear sanctimonious, holier than thou, preach ethics and call out people for their duplicity.
— Brig Sandy Thapar (retd) (@sandythapar) September 22, 2020
And then go right back to office and indulge in such shenanigans ?
शब्दों की जंग और भी ज्यादा तब छिड़ गई, जब सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फर्जी ट्वीट को शेयर करते हुए नकली आरोपों के लिए स्मिता प्रकाश से स्पष्टीकरण या खंडन माँगा। ट्विटर यूजर ने ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि एएनआई अपने आकाओं के लिए यह सब कर रही है लेकिन उन्हें रंगे हाथों पकड़ा गया।
Thank you for ur clarification.
— Brig Sandy Thapar (retd) (@sandythapar) September 22, 2020
But why the angst? I hadnt accused, clearly said ‘borrowed from someone’s FB wall’ & asked you politely to Confirm or Refute.
And thanks. Your (deliberate) ‘Mr Thapar’ has taken me back 38 yrs when as Lts we were called Misters. Good old days!
इस तिरस्कारपूर्ण टिप्पणी का संज्ञान लेते हुए स्मिता प्रकाश ने वरिष्ठ अधिकारी की खिंचाई करते हुए उन्हें एक ‘कॉपी पेस्ट कलाकार’ कहा, जो कल्पना से तथ्य को अलग नहीं कर सकते और बिना सत्यापन के दूसरों पर आरोप लगा सकते थे। थापर ने स्मिता प्रकाश द्वारा जारी स्पष्टीकरण के लिए आभार व्यक्त किया, लेकिन उनके गुस्से के लिए उनसे सवाल किया।
That was a gen comment on state of media, no names were taken. Why are you taking an udta teer?
— Brig Sandy Thapar (retd) (@sandythapar) September 22, 2020
Pl dont think we are gullible fools & cannot make out affiliations/loyalties. Especially when they are so apparent!
Channels doing it is still ok, when agencies do it, its despicable
स्मिता ने जवाब दिया, “हाँ, आपने मुझे अपने ट्वीट में ‘पाखंडी’ और ऐसी अन्य चीजें कही। मैं उतना ही वापस दे सकती हूँ जितना मुझे मिलता है। चूँकि आपने वर्दी पहनी थी, इसलिए आपको एक विरोधी की सराहना करनी चाहिए।”
समाचार एजेंसी एएनआई पर समय-समय पर हमले होते रहते हैं, जो ज्यादातर प्रोपेगेंडिस्ट द्वारा किया जाता है। वो न्यूज एजेंसी पर ‘propaganda’ outlet होने का आरोप लगाते हैं, वहीं, वे आमतौर पर एक और समाचार एजेंसी, PTI को पीएम मोदी जैसे नेताओं की छवि को खराब दिखाने और फर्जी तस्वीर शेयर करने के लिए फ्री पास दे देते हैं।
इस साल अगस्त में, PTI को भारत में कोरोना वायरस मामलों की कुल संख्या पर पीएम मोदी को गलत बताते हुए पाया गया था। उससे पहले, जून में, पीटीआई ने चीनी राजदूत सुन वेइदॉन्ग का साक्षात्कार लिया, , जिसमें उन्होंने गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच टकराव के लिए भारत को दोषी ठहराया।