गुजरात के बनासकांठा जिले में मुस्लिम फेरीवालों के बॉयकॉट का एक लेटर वायरल हो रहा है। कुछ लोगों द्वारा इस लेटर को ग्राम पंचायत द्वारा जारी हुआ बताया गया। इस वायरल लेटर में मुस्लिम फेरीवालों से कोई सामान खरीदने वालों पर 5100 रुपए जुर्माना लगाने की घोषणा की गई है। यह पत्र उदयपुर में हुई कन्हैयालाल की निर्मम हत्या के विरोध में जारी हुआ है।
वायरल लेटर पर 30 जून 2022 की तारीख पड़ी हुई है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस पत्र पर पूर्व सरपंच माफ़ीबेन पटेल की दस्तखत और मुहर लगी है। पत्र के नीचे कुछ और लोगों के भी साइन हैं। पत्र के सबसे ऊपर ‘सत्यमेव जयते’ लिखा हुआ है। पत्र के मुताबिक जुर्माने का 5100 रुपया गौशाला में दान किया जाएगा।
वायरल लेटर बना राजनैतिक हथकंडा
इस मामले ने फ़ौरन ही तूल पकड़ लिया और राजनीति शुरू हो गई। कॉन्ग्रेस के अनुसूचित विभाग गुजरात के चेयरमैन हितेन ने इस पत्र को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल पर निशाना साधना शुरू कर दिया। वायरल हो रहा लेटर फर्जी है या आधिकारिक, कॉन्ग्रेसियों ने यह भी जानने की कोशिश नहीं की।
यह है नरेंद्र मोदी का गुजरात मॉडल जहां पर उदयपुर की घटना के विरोध में बनासकांठा जिले कि वाघासण ग्राम पंचायत ने मुस्लिम दुकानदारों का बहिष्कार करने का प्रस्ताव पास किया है। @Bhupendrapbjp जी कोई कार्यवाही होगी कि हिंसा के बाद सिर्फ कड़ी निंदा करेंगें..!! pic.twitter.com/RNSG0creBJ
— Hitendra Pithadiya 🇮🇳 (@HitenPithadiya) July 2, 2022
प्रशासन ने पत्र को बताया अनधिकृत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बनासकांठा जिला विकास अधिकारी स्वप्निल खरे ने इस पत्र को अनधिकृत बताया है। उन्होंने कहा, “जिसके द्वारा ये पत्र जारी हुआ है, उसको इसे जारी करने का अधिकार ही नहीं है। फिलहाल पंचायत एक प्रशासक द्वारा संचालित है और सरपंच का चुनाव होना अभी बाकी है।”
वहीं पंचायत प्रशासक ने भी इस पत्र का खंडन किया है। एक विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया गया, “वाघासन पंचायत के वर्तमान प्रशासक आरआर चौधरी हैं। यह लेटर हेड प्रशासक की तरफ से नहीं लिखा गया है। प्रशासक इस पत्र का समर्थन भी नहीं करते, साथ ही ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
स्थानीय प्रशासन ने इस पत्र को लेकर अफवाह फैलाने वालों पर भी नियमानुसार कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। आधिकारिक रूप से सत्यापित करने के बाद यह पत्र फर्जी पाया गया है। प्रधान के पति का कहना है कि उनकी पत्नी नवंबर 2021 से सरपंच नहीं है। उनके अनुसार वो यह पता लगा रहे हैं कि वायरल लेटर को किसने लिखा, किसने दस्तखत किया और मुहर लगाई।
माना जा रहा है कि ऐसा काम मौके को देखते हुए कुछ लोगों की भावनाएँ भड़काने के लिए किया गया है। वायरल हुए इस पत्र की सत्यता और प्रमाणिकता की पुष्टि किसी भी आधिकारिक स्तर से नहीं हो पाई है। यह एक फर्जी पत्र है, जिसे किसी प्रोपेगेंडा के तहत जारी करके वायरल किया जा रहा है।