कोरोना संक्रमण के खतरनाक प्रकोप को झेलने के बावजूद सोशल मीडिया पर दावे किए जा रहे हैं कि ये एक मौसमी बीमारी है और इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है। इन दावों को सही साबित करने के लिए डोलोरेस काहिल नाम की महिला प्रोफेसर का वीडियो शेयर हो रहा है।
बिना दावों की सच्चाई जानें फेक न्यूज फैलाने वालों का कहना है कि कोरोना संक्रमण पर दी जानकारी पर WHO ने अपनी गलती मान कर इसे एक सीजनल वायरस बताया है जिसमें मौसमी बदलाव के कारण खाँसी-जुकाम और गला दर्द रहता है।
वायरल होते संदेशों के मुताबिक WHO के हवाले से ये भी कहा जा रहा है कि कोरोना रोगी को न तो अलग रहने की है और न ही जनता को सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत है। यह एक मरीज से दूसरे व्यक्ति में भी नहीं फैलता। इस संदेश के साथ WHO पर गुस्सा दिखाते हुए इस वीडियो को देखने को कहा जा रहा है। संदेश में लिखा है, “सबके 2 साल खराब करने के बाद इन्होंने तो पल्ला झाड़ लिया अब कर लो क्या करना है, इनका देखिए WHO की प्रेस कॉन्फ्रेंस।”
अब वीडियो और संदेश की सच्चाई क्या है। इसे पीआईबी फैक्ट चेक के जरिए पहले ही बताया जा चुका है कि संदेश में किए गए दावे फर्जी हैं। कोरोना कोई सीजनल बीमारी नहीं है। इसमें शारीरिक दूरी और आइसोलेशन जरूरी है। यह एक संक्रामक रोग है जिसमें कोविड के अनुकूल व्यवहार अपनाना जरूरी है।
.@WHO द्वारा कथित रूप से #कोरोना के सीजनल वायरस होने का दावा किया जा रहा है जिसमें शारीरिक दूरी और आइसोलेशन की जरूरत नहीं है#PIBFactCheck:यह दावा #फर्जी है।#COVID19 एक संक्रामक रोग है व इसमे #कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाना आवश्यक है।
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) June 2, 2021
▶️मास्क पहनें
▶️हाथ धोएं
▶️शारीरिक दूरी बनाएं pic.twitter.com/7BQANS6uy3
इसके अलावा बात करें वीडियो में नजर आने वाली महिला प्रोफेसर डोलोरेस काहिल की तो गूगल सर्च से पता चलता है कि महिला डबलिन में स्कूल ऑफ मेडिसिन की एक प्रोफेसर हैं। उनका यह वीडियो 19 अक्टूबर 2020 को बर्लिन में हुए वर्ल्ड डॉक्टर अलायंस का है। जहाँ कोरोना संक्रमण पर भ्रामक दावा करने के कारण इस पर फॉल्स इन्फॉर्मेशन का टैग लगा दिया गया है।
इसके अलावा ये बात भी गौर करने वाली है कि डोलोरेस WHO की कोई अधिकारी नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस महामारी को 11 मार्च 2020 को महामारी घोषित किया था। इसके कारण अब तक 37 लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं। इसलिए सिर्फ एक वीडियो पर ये मानना कि कोरोना कोई संक्रामक बीमारी नहीं है, समझदारी का काम नहीं है।