इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद के मामले में भाजपा की पूर्व नेता नूपुर शर्मा को लेकर टिप्पणी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के दोनों न्यायाधीशों को लेकर सोशल मीडिया पर खबरें चल रही हैं। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि जिन न्यायाधीशों ने नूपुर शर्मा की आलोचना की थी, उन्होंने अपनी टिप्पणियों को वापस ले लिया है।
ट्विटर पर nandji1958 नाम के एक हैंडल ने लिखा, “सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा के खिलाफ जजों की दो टिप्पणियों को वापस लिया। हिंदू एकता!”
Supreme Court withdraws two Judges observations against Nupur Sharma. Hindus unity 💪💪💪.
— Nandagopal.K.M. (@nandaji1958) July 7, 2022
Tivary हैंडल से सुमंत एन तिवारी नाम के यूजर ने लिखा, “हिन्दू एकता का परिणाम! सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा के खिलाफ जजों की टिप्पणियों को वापस लिया।”
Result of Hindu Unity
— Sumant N Tivary🇮🇳 (@Tivary) July 9, 2022
Supreme Court withdraws the Judges observations against Nupur Sharma.
BHUemployee नाम के हैंडल वाले सनातनी राजीव पांडेय नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, “हर हर महादेव! सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा के खिलाफ जजों की दो टिप्पणियों को वापस लिया। जय श्री राम। #IStandWithNupurSharma #NupurSharma #IslamicTerrorism”
#हर_हर_महादेव
— Sanatani Rajeev Pandey (@BHUemployee) July 8, 2022
Supreme Court withdraws two Judges observations against Nupur Sharma. #JaiShreeRam #IStandWithNupurSharma #NupurSharma #IslamicTerrorism
जसमीत वच्छानी नाम वाले JMVACHHANI ट्विटर हैंडल ने एक जज का फोटो साझा करते हुए लिखा, “सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा के खिलाफ जजों की दो टिप्पणियों को वापस लिया। हिंदू एकता।”
Supreme Court withdraws two Judges observations against Nupur Sharma. Hindus unity 🙏 pic.twitter.com/c1uUj4qhn1
— JASMIT VACHHANI (@JMVACHHANI) July 8, 2022
बता दें कि नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मुहम्मद के कथित अपमानजनक टिप्पणी के बाद देश भर में मुस्लिमों द्वारा हिंसा थी। वहीं, नूपुर शर्मा के खिलाफ कई मामले दर्ज कराए गए थे और उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही थी। शर्मा ने अपने खिलाफ सभी मामलों को क्लब करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दी थी। इसकी सुनवाई न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पारदीवाला की खंडपीठ ने की थी।
इस याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा था, “जिस तरह से उन्होंने पूरे देश में भावनाओं को भड़काया है … देश में जो हो रहा है उसके लिए यह महिला अकेले जिम्मेदार है।” अदालत ने यह भी कहा कि उन्हें पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है और उन्होंने आम नागरिकों के लिए उपलब्ध न्यायिक अधिकार खो दिया है।
हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी को अपने लिखित आदेश में शामिल नहीं किया था, फिर भी देश भर में इसका विरोध शुरू हो गया। न्यायाधीशों की इस टिप्पणी के खिलाफ 15 सेवानिवृत्त जजों, 77 रिटायर्ड नौकरशाहों और 25 पूर्व सैन्य अधिकारियों ने खुला पत्र जारी कर इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण और गलत उदाहरण पेश करने वाला’ बताया। वहीं, इन न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग के लिए ऑनलाइन अभियान भी शुरू किया गया।
इन तमाम आलोचनाओं और दबावों के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की इस टिप्पणी को लेकर कुछ नहीं कहा है। जिस तरह सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने दोनों न्यायाधीशों की टिप्पणियों को वापस ले लिया है, वह पूरी तरह निराधार है। ऑपइंडिया की फैक्ट चेकिंग में यह खबर फर्जी पाई गई है।