Sunday, November 17, 2024
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‘हिंदुओं की बड़ी जीत, सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा के खिलाफ टिप्पणी को वापस लिया’: सोशल मीडिया पर लोग मना रहे जश्न, जानें क्या है सच्चाई

नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा था, “जिस तरह से उन्होंने पूरे देश में भावनाओं को भड़काया है … देश में जो हो रहा है उसके लिए यह महिला अकेले जिम्मेदार है।”

इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद के मामले में भाजपा की पूर्व नेता नूपुर शर्मा को लेकर टिप्पणी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के दोनों न्यायाधीशों को लेकर सोशल मीडिया पर खबरें चल रही हैं। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि जिन न्यायाधीशों ने नूपुर शर्मा की आलोचना की थी, उन्होंने अपनी टिप्पणियों को वापस ले लिया है।

ट्विटर पर nandji1958 नाम के एक हैंडल ने लिखा, “सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा के खिलाफ जजों की दो टिप्पणियों को वापस लिया। हिंदू एकता!”

Tivary हैंडल से सुमंत एन तिवारी नाम के यूजर ने लिखा, “हिन्दू एकता का परिणाम! सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा के खिलाफ जजों की टिप्पणियों को वापस लिया।”

BHUemployee नाम के हैंडल वाले सनातनी राजीव पांडेय नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, “हर हर महादेव! सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा के खिलाफ जजों की दो टिप्पणियों को वापस लिया। जय श्री राम। #IStandWithNupurSharma #NupurSharma #IslamicTerrorism”

जसमीत वच्छानी नाम वाले JMVACHHANI ट्विटर हैंडल ने एक जज का फोटो साझा करते हुए लिखा, “सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा के खिलाफ जजों की दो टिप्पणियों को वापस लिया। हिंदू एकता।”

बता दें कि नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मुहम्मद के कथित अपमानजनक टिप्पणी के बाद देश भर में मुस्लिमों द्वारा हिंसा थी। वहीं, नूपुर शर्मा के खिलाफ कई मामले दर्ज कराए गए थे और उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही थी। शर्मा ने अपने खिलाफ सभी मामलों को क्लब करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दी थी। इसकी सुनवाई न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पारदीवाला की खंडपीठ ने की थी।

इस याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा था, “जिस तरह से उन्होंने पूरे देश में भावनाओं को भड़काया है … देश में जो हो रहा है उसके लिए यह महिला अकेले जिम्मेदार है।” अदालत ने यह भी कहा कि उन्हें पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है और उन्होंने आम नागरिकों के लिए उपलब्ध न्यायिक अधिकार खो दिया है।

हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी को अपने लिखित आदेश में शामिल नहीं किया था, फिर भी देश भर में इसका विरोध शुरू हो गया। न्यायाधीशों की इस टिप्पणी के खिलाफ 15 सेवानिवृत्त जजों, 77 रिटायर्ड नौकरशाहों और 25 पूर्व सैन्य अधिकारियों ने खुला पत्र जारी कर इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण और गलत उदाहरण पेश करने वाला’ बताया। वहीं, इन न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग के लिए ऑनलाइन अभियान भी शुरू किया गया।

इन तमाम आलोचनाओं और दबावों के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की इस टिप्पणी को लेकर कुछ नहीं कहा है। जिस तरह सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने दोनों न्यायाधीशों की टिप्पणियों को वापस ले लिया है, वह पूरी तरह निराधार है। ऑपइंडिया की फैक्ट चेकिंग में यह खबर फर्जी पाई गई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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