कॉन्ग्रेस नेता उदित राज ने रविवार (अप्रैल 26, 2020) को ट्विटर पर दावा किया कि 17 कंपनियाँ 500 रुपए में कोरोना टेस्ट किट बनाकर देने के लिए तैयार थी, लेकिन पीएम मोदी ने इसका ठेका गुजरात की एक कंपनी को दिला दिया, जो इस कोरोना टेस्ट किट को 4500 रुपए में बेच रहा है।
हालाँकि, उदित राज का ये झूठा दावा ज्यादा देर तक नहीं टिक सका। सोमवार (अप्रैल 27, 2020) इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने इस खबर को फेक न्यूज करार देते हुए बताया कि ICMR द्वारा PT-PCR के लिए स्वीकृत कीमत 740 से 1150 रुपए है जबकि रैपिड टेस्ट किट के लिए यह 528 से 795 रुपए है।
This is Fake News. Price range approved by ICMR is ₹740-1150 for RT-PCR and ₹528-795 for Rapid Test. No test has been procured at ₹4500. Any Indian company wanting to supply at lower rates is welcome to contact ICMR or Ms Anu Nagar, JS Health Research(011-23736222).
— ICMR (@ICMRDELHI) April 27, 2020
ICMR ने स्पष्ट किया कि 4,500 रुपए में कोई कोरोना टेस्ट किट नहीं खरीदी गई है और यदि कोई भारतीय कंपनी कम दर पर किट की आपूर्ति करना चाहती है तो उसका स्वागत है।
इससे पहले महीने की शुरुआत में, ICMR ने मीडिया के उन दावों का खंडन किया था, जिसमें कहा गया था कि मोदी सरकार ने चीनी कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 3 मई तक देशव्यापी लॉकडाउन करने से पहले विशेषज्ञों से परामर्श नहीं किया था। बता दें कि कारवाँ ने अपने लेख में दावा किया था कि आईसीएमआर के टास्क फोर्स में 21 वैज्ञानिक हैं जो मोदी सरकार को कोरोना से निपटने के उपायों पर सलाह देने वाले थे, लेकिन उन्हें नज़रंदाज़ किया जा रहा है। एक अनाम सदस्य के हवाले से ये सूचना दी गई कि पिछले एक सप्ताह में टास्क फोर्स की एक भी बैठक नहीं हुई। साथ ही ये दावा भी किया गया कि पीएम मोदी ने लॉकडाउन बढ़ाने से पहले भी उनकी कोई सलाह नहीं ली।
नीति आयोग के सदस्य और इस टास्क फोर्स के अध्यक्ष विनोद पॉल ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा था, “भारत के वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ COVID-19 की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएँ दे रहे हैं। यह टास्क फोर्स इस लड़ाई में तमाम विशेषज्ञों को जोड़ने और इस विषय में निर्णायक कार्य करने में अग्रणी है। साथ ही, मैं स्वयं प्रधानमंत्री जी को लगातार सूचित करता रहता हूँ और उनके सुझाव भी पाता रहता हूँ। ऐसे समय में, इस तरह की सनसनी फैलाना दुर्भाग्यपूर्ण है। मीडिया की ऐसी हरकतों से, महामारी के इस दौर में, एक राष्ट्रीय स्तर की लड़ाई में हानि ही होती है।”
इसके साथ ही कारवाँ ने लेख में दावा किया था कि ये कमिटी सिर्फ़ दिखावे के लिए बनाई गई है। एक दूसरे अनाम सदस्य के हवाले से ये भी दावा किया गया कि बैठकों के डिटेल्स सीधे कैबिनेट सेक्रेटरी को भेजे गए, लेकिन टास्क फोर्स के साथ साझा नहीं किए गए। कॉन्ग्रेस नेता इससे पहले भी कोरोना पर झूठ फैला चुके हैं।