Friday, November 22, 2024
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मुस्लिमों को आरक्षण, ‘कर्जमाफी’ का भी पुराना पासा: शिवसेना, NCP और कॉन्ग्रेस ‘सरकार’ का एजेंडा

एनसीपी नेता नवाब मलिक ने बताया है कि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार हो गया है। केवल कॉन्ग्रेस की हामी का इंतजार है। मलिक पहले ही कह चुके हैं कि शिवसेना मुस्लिमों को आरक्षण के मसले पर अपने स्टैंड में बदलाव को तैयार है।

महाराष्ट्र में भले राष्ट्रपति शासन लग गया हो, लेकिन सरकार गठन के प्रयास जारी हैं। इस दिशा में शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी के बीच सहमति बनती दिख रही है। ट्विटर पर सुधीर सूर्यवंशी नामक पत्रकार द्वारा शेयर की गई ख़बर के अनुसार, तीनों ही दल एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर सहमति बनाने जा रहे हैं। इसके बाद सरकार का गठन होगा। कहा जा रहा है कि एनसीपी, कॉन्ग्रेस और अब तक उसकी विरोधी विचारधारा की पार्टी रही शिवसेना के बीच अगले 5 सालों के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाया गया है। एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि अब उनकी पार्टी को बस कॉन्ग्रेस की सहमति का इन्तजार है।

कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में क्या तय किया गया है? सुधीर ने इस बाबत जानकारी देते हुए लिखा है कि किसानों की पूर्ण कर्जमाफी का मुद्दा इसमें शामिल किया गया है। बता दें कि कॉन्ग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का विधानसभा चुनाव इसी मुद्दे पर लड़ा था, लेकिन बाद में कर्जमाफी न होने या इसके त्रुटिपूर्ण होने के कारण किसानों में भारी असंतोष है। अब फिर से महाराष्ट्र में यही पासा फेंका जा रहा है। इसके अलावा किसानों की फसल के लिए ‘मिनिमम सपोर्ट प्राइस’ बढ़ाने को कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में रखा गया है। सुधीर सूर्यवंशी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं। वे पूर्व में अंग्रेजी अखबार डीएनए से जुड़े हुए थे।

सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि शिवसेना अपने हिंदुत्व के एजेंडे से भी पीछे हट रही है। उसे उत्तर भारतीयों के ख़िलाफ़ भी विरोध प्रदर्शन न करने और नरमी बरतने को कहा गया है। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के मुताबिक शिवसेना वीर सावरकर को भारत रत्न देने की माँग से भी पीछे हट जाएगी। हालॉंकि अभी इसका औपचारिक ऐलान बाकी है।

कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में मुस्लिमों को 5% आरक्षण देने की बात भी कही गई है। मुस्लिमों को सामान्य वर्ग के ग़रीबों को मिल रहे आरक्षण (EWS) और ओबीसी आरक्षण के तहत पहले से लाभ मिल रहा है। ऐसे में उन्हें अतिरिक्त आरक्षण देने की बात अजीब और तुष्टिकरण की नई मिसाल है। शिवसेना का इस पर सहमत होना और भी चौंकाने वाला है। देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने मुस्लिमों को अतिरिक्त आरक्षण देने से इनकार कर दिया था। अब देखना यह है कि सरकार गठन की सार्वजनिक घोषणा कब होती है?

कॉमन मिनिमम एजेंडा पर काम करने के लिए तीनों दलों के नेताओं को प्रतिनिधि के रूप में शामिल किया जाएगा। शारद पवार ने अपनी पार्टी से अजीत पवार, जयंत पाटिल, छगन भुजबल, धनञ्जय मुंडे और नवाब मलिक को इसमें शामिल किया है। नवाब मलिक पहले भी कह चुके हैं शिवसेना ने मुस्लिमों के लिए आरक्षण की माँग कर के अपने स्टैंड में बदलाव किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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