Monday, November 18, 2024
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‘तुम्हारी माँ के साथ…’ – फर्जी मिथोलॉजिस्ट देवदत्त पटनायक को इस अश्लील जवाब पर लोगों ने जमकर लताड़ा

बागपत की खुदाई से निकली सभ्यता क्या थी? वैदिक या हड़प्पन? इस सवाल का जवाब देने के बजाय देवदत्त पटनायक ने लिखा - "I will check with . your mother"

सोशल मीडिया पर खुद को सभ्य दिखाते हुए इतिहास के तथ्यों के साथ छेड़-छाड़ करना एक चलन हो चुका है। इस चलन की खास बात ये है कि इसे आगे बढ़ाने वाले लोग कोई और नहीं, बल्कि फेसबुक-ट्विटर पर फैले वो तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग हैं, जिन्हें खुद के अर्जित ज्ञान का स्रोत तक नहीं मालूम। ऐसे में यदि कोई इन्हें सही करने या फिर दूसरा पक्ष दिखाने का प्रयास करे, तो ये उसे या तो असहिष्णु करार दे देते हैं या फिर खुद अभद्रता की पराकाष्ठा पार कर देते हैं।

अभी हालिया उदाहरण देखिए देवदत्त पटनायक का। देवदत्त खुद को एक मिथोलॉजिस्ट (पौराणिक कथाकार) मानते हैं, वही जिनके बारे में धर्म संबंधित ज्ञान को मॉडर्न तरीके से पेश करने वाला कहा जाता है। उन्होंने कल (9 सितंबर 2019) एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में इन्होंने कहा, “हड़प्पा वैदिक नहीं था, जबकि वैदिक जो थे वो हड़प्पन ही थे। क्योंकि हड़प्पा सभ्यता पुरानी और वेद बाद में आया। हड़प्पा में दफनाने को प्राथमिकता दी जाती थी जबकि वेद में दाह संस्कार। हड़प्पा सिंधु-सरस्वती के किनारे समृद्ध हुई है जबकि वेद गंगा-यमुना के किनारे। दोनों का हिदू धर्म में योगदान हैं। स्पष्ट!”

अब उनके इस ट्वीट पर लोगों ने उनको खूब लताड़ लगाई। किसी ने उनके ज्ञान का मजाक उड़ाया तो किसी ने उनसे वेदों को लेकर सवाल किए। लेकिन किसी मोहंती नाम के यूजर ने उनसे इसी बीच बागपत की खुदाई का जिक्र कर दिया और कहा कि वो वैदिक थी या फिर हड़प्पन?

अब ऐसे में यदि कोई शख्स वाकई पढ़-लिखकर सोशल मीडिया पर लोगों को ये ज्ञान दे रहा होता तो वो इस बात का निश्चित जवाब देता, लेकिन देवदत्त पटनायक ने मोहंती की इस बात पर अभद्रता के साथ जवाब दिया और उससे कहा, “I will check with . your mother ” यानी वो (देवदत्त) इस बात का पता उसकी माँ (मोहंती, यूजर) के साथ लगाएँगे। देवदत्त सिर्फ यहीं तक नहीं रुके। पूरे थ्रेड को देखेंगे तो आप पाएँगे कि उन्होंने लोगों के माँ-बाप से लेकर हर दूसरे विचार रखने वालों को मूर्ख तक की संज्ञा दे डाली। देवदत्त ने किसी के माँ-बाप को कोसा तो किसी की पैदाइश तक पर शक कर डाला।

तमामों विषयों पर अपनी किताब लिखकर उसे सोशल मीडिया पर कवर फोटो बनाने वाले देवदत्त सिर्फ़ इतने ही सहनशील रह पाए कि अपने बात को स्पष्ट करने की बजाए वो किसी की माँ तक पहुँचने से भी नहीं चूके।

हालाँकि, इसके बाद यूजर ने जितना देवदत्त को इनके पोस्ट के लिए दुत्कारा, उससे ज्यादा फजीहत लोगों ने इस ट्वीट पर रिप्लाई दे देकर कर दी। लोगों ने कहा कि सिर्फ़ ये एक जवाब काफ़ी है देवदत्त तुम्हारी धूर्तता दर्शाने के लिए। ये जो अहंकारी और अपमानजनक शब्द तुमने बोले हैं ये तुम्हारे ज्ञान और शिक्षा की कमी को दर्शाता है।

एक यूजर ने देवदत्त के उद्देश्य को ही इतिहास से तरोड़-मरोड़ करना बताया, जबकि दूसरे यूजर ने कहा कि ऐसे इतिहासकार सिर्फ़ हिंदू सभ्यता को अंधेरे में दिखाना चाहते हैं। प्रशांत पटेल उमराव जो खुद एक लेखक हैं और इंटरनेशनल जर्नल के अध्यक्ष भी, वो इस रिप्लाई को देखकर देवदत्त की ‘मानसिकता की कल्पना’ करने की बात उठाते हैं ।

कुछ कहते हैं कि उन्हें अच्छा लगा ये देवदत्त की असलियत जानकर तो कुछ कहते हैं कि इस शख्स को ये तक नहीं मालूम की आखिर बागपत और हिसार हैं कहाँ पर? ये महाभारत और हस्तिनापुर जानता है लेकिन मेरठ, बागपत के बारे में इसे कुछ नहीं मालूम।

गौरतलब है कि इसके अलावा देवदत्त के मूल ट्वीट पर भी लोगों ने कई आपत्ति जताई है। एक-एक शब्द पर लोगों ने देवदत्त को घेरा है। और बताया है कि वेद गंगा यमुना के आसपास नहीं पनपे, बल्कि वेद गंगा यमुना में विकृत हुए हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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