भारत पिछले कुछ समय में मोदी के नेतृत्व में कितना बदला है इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि पहले के नेताओं के पाकिस्तान ऑब्सेस्ड भाषणों से दूर अब बड़े से बड़े हमलों के बाद भी पाकिस्तान का नाम लिए बग़ैर, जो करना होता है, वो कर दिया जाता है। ये पूरी तरह से, नई नीति के तहत पाकिस्तान की समस्या और पाकिस्तान जैसे क्षुद्र देश को देखने जैसा है।
पाकिस्तान की अहमियत मोदी के लिए इतनी भी नहीं है कि उसके द्वारा किए गए हमलों के जवाब में एयर स्ट्राइक होने पर एक भी बार कहीं सीधा बयान दे। पूरे प्रकरण में मोदी ने अपनी रैलियों से लेकर, कई कार्यक्रमों के दौरान कहीं भी पाकिस्तान पर किए गए स्ट्राइक का सीधे ज़िक्र नहीं किया। जैसे कि जिस सुबह यह हुआ, उस दिन मोदी ‘गाँधी शांति पुरस्कार’ दे रहे थे, और दोपहर में दुनिया की सबसे बड़ी गीता के दर्शन कर रहे थे।
एयर स्ट्राइक की पुष्टि भी विदेश मंत्रालय के सचिव द्वारा कराई गई। ये अपने आप में योजनाबद्ध तरीके से एक संदेश देना है कि एक आतंकी राष्ट्र पर की गई कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री तो छोड़िए, रक्षा मंत्री या विदेश मंत्री भी बयान नहीं दे रहा, बल्कि मंत्रालय का सचिव उसे हैंडल कर रहा है। ये पाकिस्तान को उसकी जगह दिखाने जैसा है।
इसी तरह का वाक़या यूएन में भारत की जूनियर अफसर ईनम गम्भीर द्वारा पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के भाषण पर जवाब देने पर याद आता है। उरी हमलों के बाद पाकिस्तान को धिक्कारते हुए, नवाज़ शरीफ को जवाब देने के लिए ईनम को आगे करना भारत की नीति में बदलाव की ओर इशारा करता है।
मोदी ने तब बोला, जब उन्हें बोलना चाहिए था। वो समय था हमारे बलिदानियों के सम्मान का, उनके परिवार और पूरे देश को बताने के लिए कि सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। तब मोदी ने आतंक के ख़ात्मे की बात की थी। ये कहा था कि सेना के लोगों को पूरी छूट दी गई है कि वो इसे अपने तरीके से हैंडल करें।
उसके बाद चाहे एयर स्ट्राइक्स हों, या फिर हमारे एक पायलट द्वारा पाकिस्तानी जेट को मार गिराने के बाद उनकी सीमा में पकड़ा जाना, मोदी ने कभी भी एक भी शब्द सीधा नहीं बोला। सिर्फ सूक्ष्म तरीके से संदेश दिए कि जिनके हाथों में क्षमता है, जो इस मुद्दे पर काम कर सकते हैं, वो अपना काम कर रहे हैं, और पाकिस्तान इतना बड़ा नहीं हुआ है कि भारत का प्रधानमंत्री उसे भाव देता रहे।
उसके उलट पाकिस्तानी खेमे में उनके पीएम से लेकर सारे बड़े नेता और आला अधिकारी लगातार बयान देते पाए जा रहे हैं। कल की घटना के बाद जहाँ इमरान खान के चेहरे पर खुशी थी, वहीं उन्होंने पुरानी पाकिस्तानी धूर्तता का चेहरा लेकर शांति के पहल की बात की। पाकिस्तान के पीएम ने न सिर्फ लगातार युद्ध की विभीषिका को लेकर अपने तर्क दिए, बल्कि यहाँ तक स्वीकारा कि उनके द्वारा भारतीय पीएम को किए गए फोन कॉल की कोशिश पर कोई रिस्पॉन्स नहीं आया।
कल रात ही कराची से लेकर स्यालकोट, रावलपिंडी आदि बड़े शहरों में खलबली मची हुई थी क्योंकि भारतीय कोस्ट गार्ड और नेवी की मूवमेंट की ख़बर पाकिस्तान पहुँची। सिंध क्षेत्र की असेंबली में किसी भी तरह के युद्ध के हालात को लेकर तैयारी की बातें हो रही थीं, क्योंकि वहाँ कई विदेशी रहते हैं जो चीन एवम् अन्य देशों के हैं। हॉस्पिटलों को तैयार रहने कहा गया था, और सोशल मीडिया पर लगातार कराची के ऊपर पाकिस्तानी जेट की गर्जना सुनाई दे रही थी।
इसका सीधा मतलब है कि पाकिस्तान जानता है कि उसके सामने क्या विकल्प हैं। वहाँ का शीर्ष नेतृत्व जानता है कि छद्म युद्ध आज के भारतीय नेतृत्व के सामने विकल्प नहीं क्योंकि उनके योद्धाओं को भारतीय सेना साल में 250 की दर से निपटा रही है। नर्क के गुप्त सूत्र यह भी बताते हैं कि वहाँ हूरों की सप्लाय कम पड़ गई है।
सेना द्वारा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों को मारने के तरीके भी बदल गए हैं। अब वो घरों को घेरकर, आतंकियों द्वारा घर के लोगों को बंधक बनाने की बात पर नहीं रुकते, बल्कि घर को ही आग लगा देते हैं। पत्थरबाज़ों पर लगातार पैलेट गन का इस्तेमाल होने से, उनके अलगाववादी नेताओं को उनकी जगह बताने से लेकर हर वो काम किए जा रहे हैं ताकि भारतीय धरती से पाकिस्तान के आतंकी मंसूबों को मदद न मिले।
मोदी के नेतृत्व में भारत ऐसे ही बदला है। मानवाधिकार लॉबी सिकुड़ी है क्योंकि उन्हें देश का हित सोचने वाले लोग अब ढूँढकर जवाब देना सीख गए हैं। साथ ही, ऐसे तमाम एनजीओ पर सरकार ने कड़ा एक्शन लिया जो बाहर के पैसों पर भारत के अंदर आतंकी या देशविरोधी गतिविधियों को हवा देते थे।
मोदी के नेतृत्व का दूसरा पहलू यह भी रहा है कि राजनीति ने सेना पर अपना प्रभाव जताया नहीं। मोदी ने सुनिश्चित किया कि सेना का काम, आतंकियों से निपटने का कार्य, पाकिस्तान को जवाब देने की योजना बनाना नेताओं का कार्य नहीं है। नेताओं का काम उनकी बात को समझना और सिर्फ उन्हें भारतीय हितों को सुनिश्चित करते हुए, सेना को स्वतंत्रता से कार्य करने देना है।
इससे पहले हम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार या सेनाध्यक्षों के नाम याद किया करते थे, लेकिन आज के दौर में उनकी कार्रवाई भी हम देख रहे हैं। आज के दौर में भारतीय सीमाओं से लेकर आंतरिक सुरक्षा तक हमारे सुरक्षा बलों के अफसर एक्शन में दिखते हैं। हो सकता है कि इसका एक कारण सोशल मीडिया रहा हो, लेकिन लगातार आतंकियों और नक्सलियों के प्रभाव से मुक्त होते भारत में उनका बहुत बड़ा हाथ है।
इन सबके बीच तीसरा पहलू है हमारे घर के उन चिराग़ों का जो अपने अंदर का तेल पर्दों पर छिड़क कर बत्ती उधर घुमा देते हैं। पत्रकारिता का यह धूर्त समुदाय विशेष अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के ‘नैतिक रूप से बेहतर जगह’ पर होने की बात कर रहा है क्योंकि उसने हमारे पायलट को लौटाने की बात की है। ऐसा नहीं है कि राजदीप सरदेसाई को जेनेवा कन्वेन्शन या भारत द्वारा लगातार की जा रही इंटरनेशनल डिप्लोमैटिक कोशिशों की जानकारी नहीं है, लेकिन बात जब भारत और पाकिस्तान की हो तो, ऐसे सड़े हुए पत्रकार कहाँ खड़े होते हैं, यह किसी से छुपा नहीं है।
We in India may not like this, but in terms of pure optics, @ImranKhanPTI at the moment is winning the day by taking the moral high ground .. we have a strong case on terror but too many of our leaders busy calculating votes at the moment..
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) February 28, 2019
एक क्यूट पत्रकार ने लिखा है कि ‘इसमें मोदी की जीत कैसे है?’ खैर इस पत्रकार का तर्क इतना बेकार है कि इसे जवाब देना भी अपने शब्द बेकार करने जैसा है। इसलिए, आप बस ट्वीट पढ़ लीजिए कि ऐसे लोग जो लिख रहे हैं वो इसलिए लिखते हैं क्योंकि इनके लिए धान और गेहूँ में अंतर नहीं। क्या अभिसार शर्मा, कुछ भी ब्रो?
अभिनन्दन लौट रहा है तो इसमे मोदीजी की जीत कैसे हो गयी। उन्होने तो एक शब्द नही बोला। आज बूथ संवाद मे भी न ही उनके कुछ समर्थक तो चाहते थे वो शहीद हो जाये। कुछ भी ? #AbhinandanMyHero
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) February 28, 2019
तीसरी क्यूटाचारी हैं सगारिका जी, जिन्हें पत्रकार इसलिए कहा जाता है क्योंकि वो टीवी पर आती थीं। इसके अलावा उनका एक ट्वीट या लेख ऐसा नहीं होता जिसे बेकार की श्रेणी में रखकर ‘बेकार’ शब्द का अपमान न किया जाए। इनके अनुसार जो हो रहा है, वो काफी नहीं है, बल्कि डिफ़ेंस मिनिस्टर कहाँ हैं, वो कुछ क्यों नहीं करती नज़र आ रही।
Shocking that @narendramodi has so far not uttered a word on Wing Commander #Abhinandan, that his party colleague has implied surgical strike was for BJP's political benefit, that Defence Minister has so far been missing in action. Thank god Indira Gandhi was PM during Bangladesh
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) February 28, 2019
ऐसे गिरोह की समस्या यही है कि जब मंत्री बोले तो कह दिया जाए कि इसका राजनीतिकरण हो रहा है, और जब सारे काम हो जाएँ, कोई बयान न दे, तो पूछा जाता है कि मंत्री कहाँ हैं। और अंत में चाटुकारिता के उच्चतम स्तर पर इंदिरा गाँधी को याद कर लिया गया।
धूर्त गिरोह के सदस्यो! पाकिस्तान को उसकी औक़ात बताना भारत का मक़सद है, न कि उसे इतना महत्व देना कि प्रधानमंत्री या रक्षा मंत्री अपने सारे कार्य छोड़कर परेशान होकर पूरे देश को यह संदेश दे कि भारत तनाव में है। मोदी तनाव में नहीं है क्योंकि मोदी को अपनी सेना और उसकी क्षमता पर विश्वास है। मोदी राष्ट्राध्यक्ष है, न कि स्टूडियो में बैठा एंकर जिसका चौबीस घंटा पाकिस्तान-पाकिस्तान रटने में जा रहा है।
बोलचाल की भाषा में कहें तो मोदी को लिए पाकिस्तान की अहमियत @#&% जितनी ही है। इसलिए उसकी बात करके, उस पर रिएक्शन देकर, भारत को अपनी महत्ता नीचे करने की आवश्यकता नहीं। भारत एक बड़ी अर्थ व्यवस्था है, प्रभावशाली देश है, अंतरराष्ट्रीय जगत में वो एक आगे बढ़ती शक्ति है, वो अब दूसरे देशों से अपनी बात गर्दन तान कर करता है। पाकिस्तान क्या है?
पाकिस्तान गधे और भैंस बेचकर अपना घर चलाने वाला गुंडा देश है, जिसके बड़े शहरों से बिजली चली जाती है और अपने ही जेट की आवाज सुनकर वहाँ के लोग ‘अल्ला रहम करे’, ‘अल्ला खैर करे’ करने लगते हैं क्योंकि उनको भी पता है कि भारत क्या कर सकता है।