लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल ने केंद्र शासित प्रदेश में कुछ प्रशासनिक सुधारों को मँजूरी दी है। कट्टरपंथी और कम्युनिस्ट इसका विरोध कर रहे हैं। मुस्लिम बहुल द्वीप के सांसद पीपी मोहम्मद फैजल ने भी इन सुधारों को लेकर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि बीफ खाना यहाँ के लोगों का संवैधानिक अधिकार है। साथ ही कहा है कि 15 मीटर चौड़ी सड़कें और खनन की योजना बनाई जा रही है, जिससे लक्षद्वीप तबाह हो जाएगा।
दैनिक भास्कर को दिए गए इंटरव्यू में फैजल ने न केवल इन कानूनों को लक्षद्वीप का विरोधी बताया है, बल्कि इन प्रशासनिक सुधार कानूनों के पीछे प्रशासक प्रफुल्ल पटेल का निजी हित बताया है।
एनसीपी सांसद पीपी मोहम्मद फैजल ने लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी पर निशाना साधते हुए कहा है कि पटेल ने जो दमन एवं दीव में किया, वही यहाँ भी करने का प्रयास कर रहे हैं। अपने निजी हित वाले कॉन्ट्रैक्टर को काम देने के लिए वे लक्षद्वीप में विकास की बाते कर रहे हैं। फैजल के अनुसार अपनी पसंद के ठेकेदारों और कार्पोरेट कंपनियों को सहायता पहुँचाने के लिए पटेल ऐसे नियम लक्षद्वीप में लागू कर रहे हैं।
बीफ बैन के सवाल पर फैजल ने कहा कि बीफ को बैन करने का निर्णय यहाँ के लोगों की ईटिंग हैबिट में दखलअंदाजी की कोशिश है। फैजल ने कहा, “लक्षद्वीप में लोग इतने सालों से बीफ खाते आ रहे हैं। हमारी ईटिंग हैबिट हमारा अधिकार है। यहाँ के बच्चों के मिड डे मील से नॉनवेज निकाला जा रहा है। यह हमारे संवैधानिक अधिकारों पर चोट है। यह सही नहीं है।“
फैजल ने पंचायत में दो बच्चों के नियम को लागू करने और शराब की बिक्री प्रारंभ करने का भी विरोध किया। फैजल ने कहा कि जहाँ शराब बंद है वहाँ शराब की बिक्री शुरू करने की क्या जरूरत है? फैजल ने यह भी कहा कि विकास के लिए पंचायत से दो बच्चों से अधिक वाले लोगों को बाहर करने की क्या जरूरत है?
फैजल ने लक्षद्वीप की कानून-व्यवस्था में सुधार का विरोध किया। फैजल के अनुसार ये सुधार कानून नहीं हैं, बल्कि इनका उद्देश्य सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को जेल में बंद करना है। उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप में कानून सुधार की बात इसलिए की जा रही है ताकि सरकार का विरोध करने वालों को बिना कारण जेल में डाला जा सके।
फैजल से पहले लक्षद्वीप की एक्टर व मॉडल आयशा सुल्ताना ने एक मलयालम न्यूज चैनल पर डिबेट के दौरान केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे। मीडिया वन टीवी पर सुल्ताना ने कहा कि केंद्र सरकार कोरोना को स्थानीय लोगों के खिलाफ़ हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा, “केंद्र द्वारा ध्यान देने से पहले, लक्षद्वीप में COVID-19 के 0 मामले थे और अब हर दिन 100 से ज्यादा मामले आ रहे हैं। केंद्र ने जो (कोरोना) यहाँ तैनात किया है वह बॉयोवेपन है। मैं साफ-साफ कहती हूँ कि केंद्र सरकार ने लोगों के ख़िलाफ़ बॉयोवेपन तैनात किया है।”
इससे पहले मलयाली फिल्म अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन ने सुधारों का विरोध कर रहे लक्षद्वीप के मुस्लिमों का समर्थन किया था। पृथ्वीराज ने कहा था कि लक्षद्वीप के लोगों को सुनने की जरूरत है और वे जो चाहते हैं उससे बेहतर कोई नहीं जानता।
हालाँकि लक्षद्वीप में किए जा रहे सुधारों का विरोध यहीं तक सीमित नहीं है। राहुल गाँधी से लेकर केरल और तमिलनाडु के कई नेताओं ने भी लक्षद्वीप के प्रशासनिक सुधारों का विरोध किया। ऑर्गनाइज़र की रिपोर्ट के अनुसार, जहाँ इस्लामी संगठन प्रशासन के खिलाफ ‘विरोध’ के लिए कमर कस रहे हैं, सीपीआईएम नेता और राज्यसभा सांसद एलामनम करीम ने प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों का समर्थन करते हुए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर लक्षद्वीप से उनको वापस बुलाने का आग्रह किया।
Lakshadweep is India’s jewel in the ocean.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 26, 2021
The ignorant bigots in power are destroying it.
I stand with the people of Lakshadweep.
हालाँकि लक्षद्वीप में लागू किए जाने वाले इन सुधार कानूनों के विषय में सरकार पहले ही यह बता चुकी है कि इन कानूनों का मकसद लक्षद्वीप का विकास करना है, जैसे मालदीव ने अपने क्षेत्र का विकास किया। लेकिन चूँकि लक्षद्वीप की 96% जनसंख्या मुस्लिम समुदाय की है अतः तुष्टिकरण के ईंधन से चलने वाली राजनीति में लक्षद्वीप में किए जा रहे सुधारों का विरोध निश्चित ही है।