महाराष्ट्र में जारी सियासी उठा-पठक के बीच शिवसेना विधायक दल में बगावत की खबर आ रही है। कुछ विधायकों ने पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के फैसले पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि केवल मुख्यमंत्री पद के लिए उनके और पूरे पार्टी के भविष्य को क्यों दॉंव पर लगा दिया गया? तीन हफ्ते तक चले सियासी ड्रामे के बाद मंगलवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।
शिवसेना ने अपने विधायकों को मुंबई के मलाड स्थित रिट्रीट होटल में कैद कर रखा है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक होटल में कैद विधायक अब बगावत पर उतर आए हैं। उनके तेवर ने उद्धव ठाकरे को भी होटल आने पर मजबूर कर दिया।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि मंगलवार और बुधवार की रात होटल में शिवसेना विधायकों के बीच गाली-गलौच तक हो गई। इसकी जानकारी मिलने पर मंगलवार की रात उद्धव के बेटे विधायक आदित्य ठाकरे को होटल आना पड़ा। दोबारा से वैसे ही हालात पैदा होने पर बुधवार की रात खुद उद्धव होटल आने को मजबूर हो गए।
बागी विधायक खुद को आजाद करने की मॉंग करते हुए अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाना चाहते हैं। इन विधायकों का यह भी कहना है कि ठाकरे परिवार निजी फायदे के लिए सीएम पद की मॉंग पर अड़ी रही और इसके लिए पूरी पार्टी को ही दॉंव पर लगा दिया। सरकार बनाने के लिए एनसीपी से हाथ मिलाने के फैसले का भी ये विरोध कर रहे हैं। कथित तौर पर एक विधायक ने उद्धव से कहा कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार कभी भी सरकार पर उनका नियंत्रण नहीं रहने देंगे और सभी मलाईदार विभाग खुद हड़प लेंगे। विधायकों ने यह भी पूछा कि वे जनता को यह बात कैसे समझाएँगे कि चुनाव के दौरान जिसके खिलाफ लड़े थे, उसके साथ ही सरकार चला रहे हैं।
गौरतलब है कि शिवसेना ने विधानसभा का चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था। 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिली। युति सरकार बननी तय थी, लेकिन भाजपा के पास अपने दम पर बहुमत नहीं होने के कारण शिवसेना ढाई साल के लिए सीएम पद मॉंग रही थी। भाजपा ने इस मॉंग को ठुकराते हुए राज्य में सरकार बनाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार गठन न्योता दिया था, लेकिन वह समर्थन पत्र पेश नहीं कर पाई।
अब शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी मिलकर सरकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इसके लिए एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार किया गया है। इसके अनुसार शिवसेना अपने हिंदुत्व के एजेंडे से पीछे हटते हुए मुस्लिमों को 5 फीसदी आरक्षण देने पर राजी है। साथ ही वह वीर सावरकर को भारत रत्न देने की अपनी मॉंग से भी पीछे हट गई है।