Sunday, November 24, 2024
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दिल्ली में लैंड करते ही मालदीव के राष्ट्रपति ने टेके घुटने, कहा- ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे भारत को हो खतरा: कर्ज के लिए चीन से दूर हुए मुइज्जू

भारतीय सैनिकों के मालदीव से वापस भेजे जाने को लेकर मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि उनका यह फैसला मालदीव की जनता की माँग थी और उन्होंने उसका पालन किया है। उन्होंने कहा कि उनके इस कदम को लोकतंत्र होने के नाते भारत और इसकी जनता समझेगी।

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू वर्तमान में भारत की अधिकारिक यात्रा पर हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी पहली आधिकारिक भारत यात्रा है। मोहम्मद मुइज्जू का राष्ट्रपति आवास में सोमवार (7 अक्टूबर, 2024) को आधिकारिक स्वागत हुआ। यहाँ उनकी अगवानी राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की।

चीन सरपरस्त माने जाने वाले मुइज्जू ने इस दौरान भारत की चिंताओं को कम करने का प्रयास किया है। मुइज्जू ने कहा है कि मालदीव ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे भारत को खतरा पैदा होता हो। रविवार (6 अक्टूबर, 2024) को भारत पहुँचे मोहम्मद मुइज्जू ने भारतीय मीडिया के साथ बातचीत की।

चीन की घुसपैठ के चलते भारत की सुरक्षा चिंताओं को लेकर मोहम्मद मुइज्जू ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से एक इंटरव्यू में कहा, “मालदीव कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुँचे। भारत, मालदीव का एक अहम साझेदार और मित्र देश है, और हमारे संबंध सम्मान और साझा हितों पर आधारित हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “हम कई सेक्टर में दूसरे देशों के साथ सहयोग बढ़ा रहे हैं लेकिन यह ध्यान रखते हुए कि इससे क्षेत्र की सुरक्षा को खतरा ना हो। मालदीव भारत के साथ अपने पुराने और महत्वपूर्ण रिश्ते को आगे प्राथमिकता से बढ़ाता रहेगा और हमें यह भी विश्वास है कि मालदीव के दूसरे देशों के साथ भारत की सुरक्षा चिंताओं को ना बढ़ाएँ।”

भारतीय सैनिकों के मालदीव से वापस भेजे जाने को लेकर मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि उनका यह फैसला मालदीव की जनता की माँग थी और उन्होंने उसका पालन किया है। उन्होंने कहा कि उनके इस कदम को लोकतंत्र होने के नाते भारत और इसकी जनता समझेगी।

मोहम्मद मुइज्जू का यह भारत दौरा कई मायनों में अहम है। मालदीव वर्तमान में गहरे आर्थिक संकट में है और उसे नए कर्जे की जरूरत है। इसके अलावा उसे अपने पुराने कर्जे चुकाने के लिए अधिक समय भी चाहिए होगा। मोहम्मद मुइज्जू की पीएम मोदी से मुलाक़ात में इन मुद्दों के सबसे प्राथमिकता पर रहने के कयास हैं।

मुइज्जू राष्ट्रपति चुने जाने से पहले ही भारत विरोधी रवैया अपनाते रहे हैं। उन्होंने मालदीव में ‘इंडिया आउट’ अभियान चलाया था और इसे राष्ट्रपति चुनाव का केंद्र बिंदु बना लिया था। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने मालदीव में राहत बचाव के काम में लगे भारतीय सैनिकों के भी वापस जाने को कहा था।

मोहम्मद मुइज्जू की कैबिनेट के मंत्रियों ने भारत प्रधानमंत्री मोदी को लेकर अशोभनीय टिप्पणियाँ भी की थी। मालदीव सरकार से जुड़े लोगों ने भारत को लेकर सोशल मीडिया पर अपमानजनक कैम्पेन चलाया था। इसके बाद भारतीयों ने मालदीव ना जाने को लेकर अभियान चलाया था।

मोहम्मद मुइज्जू ने स्वयं भी अपनी पहली यात्रा भारत ना करके चीन जाना पसंद किया था। उनके भी कुछ ऐसे बयान सामने आए थे जिनसे भारत से रिश्तों में कटुता झलक रही थी। मोहम्मद मुइज्जू के इस रवैये के चलते भारत और मालदीव के रिश्ते काफी निचले स्तर पर चले गए थे।

मालदीव अब जब आर्थिक संकट में फंस गया है तो मुइज्जू वापस भारत से मदद माँगने आए हैं। वह भारत से आर्थिक पैकेज चाहते हैं और साथ ही भारत द्वारा दिए गए पुराने कर्जों को चुकाने के लिए भी अधिक समय की माँग करेंगे। मालदीव को पता लग गया है कि यदि भारत उसकी मदद नहीं करता है तो वह बड़ी समस्या में फंस जाएगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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