सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई पूरी हो गई है। 6 अगस्त से शुरू हुई नियमित सुनवाई बुधवार (अक्टूबर 16, 2019) तक चली। कुल मिला कर देखें तो लगभग 2 महीने में 40 दिन तक इस मामले की नियमित सुनवाई चली। दशकों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित राम मंदिर मसले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के लिए अब आपको बस 23 दिन और इंतजार करना पड़ेगा। हिन्दू महासभा के वकील विकास सिंह ने जानकारी दी है कि सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले में फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है और 23 दिनों के भीतर निर्णय सुना दिया जाएगा।
राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट 23 दिनों के भीतर अपना फ़ैसला सुना देगा। सीजेआई रंजन गोगोई 18 नवम्बर को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि वह रिटायरमेंट से पहले इस बहुप्रतीक्षित फ़ैसले की सुनवाई पूरी कर देंगे और फ़ैसला सुना देंगे। अयोध्या में भी हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और यूपी में पुलिस एवं प्रशासन के सभी अधिकारियों की छुट्टियाँ रद्द कर दी गई हैं। भव्य दीपोत्सव की तयारी में लगी योगी आदित्यनाथ सरकार दीपोत्सव के दौरान 5.5 लाख दीपक जलाने की तैयारी में है, जो गिनीज बुक वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल होगा।
Varun Sinha, Hindu Mahasabha’s lawyer: Supreme Court has reserved the order and has made it clear that the decision will come, in this case, within 23 days. #AyodhyaCase pic.twitter.com/FOM574Osig
— ANI (@ANI) October 16, 2019
अयोध्या मामले में नियमित सुनवाई की बात करें तो सभी पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश की और इस दौरान कई बार नोंक-झोंक भी देखने को मिली। जहाँ सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने कोर्ट से शिकायत करते हुए कहा कि केवल उनसे ही सवाल पूछे जाते हैं। मुस्लिम पक्ष के वकील वराह की मूर्ति से लेकर पुरातत्व विभाग को ग़लत बताने तक, कई बार फँसे। हिन्दू पक्ष की ओर से सीएस वैद्यनाथन, रंजीत कुमार और सुशील जैन ने दलीलें पेश की। उसके बाद धवन ने अपनी जिरह पूरी की। अयोध्या मामले की सुनवाई 40 दिन चली है जो न्यायिक इतिहास में दूसरी सबसे लंबी सुनवाई है।
अयोध्या मामले में ताज़ा अपडेट्स की बात करें तो योगी सरकार भी एक्शन में आ गई है और 30 नवम्बर तक सभी अधिकारियों की छुट्टियाँ रद्द कर दी गई हैं। तेजी से बदले घटनाक्रम में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित जमीन पर अपना दावा छोड़ दिया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड इस संबंध में शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर कर सकती है। कहा गया था कि बोर्ड की साधु-संतों के साथ बैठक भी हुई। विवादित जमीन पर मालिकाना हक़ का दावा छोड़ने के एवज में बोर्ड ने 3 विचित्र माँगें रखते हुए कहा है कि अयोध्या में 22 मस्जिदों के रख-रखाव की जिम्मेदारी सरकार उठाए।