2 अप्रैल से रमजान का महीना शुरू होने वाला है। इस्लाम मानने-चाहने वालों के लिए यह महीना गजब का होता है। यहाँ तक कि आतंकी लोग भी शांति की चाह में सीजफायर वाली ‘घोषणा’ कर देते हैं। इस बार दिक्कत आ गई। विश्व को शायद ‘शांति’ नहीं मिलेगी। कारण है पाकिस्तान।
पाकिस्तान वैसे तो इस्लामिक मुल्क है लेकिन इस्लाम के मानने-चाहने वालों के लिए यह ‘पाक’ नहीं है। ईद में जो देश गोश्त-सेवइयों का इंतजाम न कर सके, वो क्या खाक इस्लामिक मुल्क है! यह बात मैं भारत में बैठे-बैठे बात बनाने के लिए नहीं कर रहा। पुख्ता सबूत लेकर आया हूँ।
रोजे-रमजान पर होगी रोक? पाकिस्तान में नहीं मनेगी ईद?
कंफ्यूजन से बचने के लिए एक-एक सवाल लेकर उसका जवाब जानते हैं। समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर इस्लाम के नाम पर खड़ा हुआ मुल्क इस्लामी तौर-तरीके-त्योहारों को कैसे छोड़ सकता है?
सवाल #1 – रोजा रखने पर रोक क्यों लगाएगी पाकिस्तान सरकार?
जवाब – रोजेदार हर दिन सुबह (एकदम भोर में) 3-4 बजे के आसपास शुरू हो जाते हैं। अपनी किताब/कुरान के अनुसार कुछ खा-पीकर दिन भर भूखे रहने के लिए पेट को तैयार करते हैं। फिर शाम में फल-शरबत-गोश्त-पकौड़ी आदि से पेट भरते हैं। उसके बाद रात में भी खाते हैं।
खाने की बात करें तो कड़ुआ तेल ही भारतीय रसोई (पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान आदि हमारे ही अंग हैं, भाई हैं) की जान है। पूड़ी-कचौड़ी के लिए रिफाइंड चलता है लेकिन उंगली-चाट खाना कड़ुआ तेल ही देता है। यहीं पर पाकिस्तान फँस गया है।
उद्योग और उत्पादन मंत्रालय (MoIP: Ministry of Industries & Production) है पाकिस्तान में। यहाँ के मंत्री-अधिकारी मुल्क के वित्त मंत्री शौकत तरीन से मिलते हैं। साथ में पाकिस्तान वनस्पति उत्पादक एसोसिएशन और फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू वाले लोग भी होते हैं। 24 फरवरी 2022 को यह मीटिंग हुई। जिस आफत से बचने के लिए यह मीटिंग हुई थी, आखिर में 20 मार्च को वह रायता बन कर न्यूज में फैल गया। पाकिस्तान में सिर्फ 4 अप्रैल तक का कड़ुआ तेल (रिफाइंड भी जोड़ सकते हैं) बचा है।
2 अप्रैल से रमजान का महीना शुरू… तेल सिर्फ 4 अप्रैल तक का! ये है पाकिस्तान का हाल। बिना तेल का घास-फूस खाकर आखिर लोग रोजा रखें तो कैसे रखें? हर कोई इस्लाम का सच्चा सिपाही जुल्फिकार अली भुट्टो बने तो कैसे बने?
पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू वाले इस्लाम का साथ छोड़ चुके हैं। उन्हें धंधे से मतलब है। मुस्लिम नाम वाले वहाँ के मंत्री भी इस्लामी जनता को अल्लाह के भरोसे छोड़ दिए। सच्चाई क्या है लेकिन? सच्चाई यह है कि तेल या किसी भी चीज का उत्पादन/आयात-निर्यात इंसान करते हैं, अल्लाह नहीं। बलूच-विरोध, शिया-सून्नी, खुद के आतंकी… इन सब से परेशान पाकिस्तान अब रमजान का रिस्क नहीं लेना चाहती। इसलिए वहाँ की आर्मी ने इमरान खान को सबसे बड़ा उदाहरण दिया – मोहम्मद अली जिन्ना का, उनके सूअर खाने का… फिर भी इस्लामिक मुल्क के क़ायदे-आज़म यानी महान नेता और बाबा-ए-क़ौम कहलाने का। इमरान मान गए, रमजान पर रोक लगा दी (सूत्रों के हिसाब से)।
सवाल #2- पाकिस्तान में नहीं मनेगी ईद?
जवाब – पहला सवाल सरकार से संबंधित था। सरकार (मतलब ‘पाक’ आर्मी) ने उसका समाधान हराम कहलाने वाले सूअर से भी निकाल लिया। जनता क्या करे लेकिन? वो तो मौलवियों-मौलानाओं के बीच फँसी है। मौलवियों-मौलानाओं ने बता रखा है कि किताब/कुरान में ईद के दिन सेवई बनेगी… मतलब बनेगी! यही समस्या की जड़ भी है।
सेवई और समस्या… वो कैसे भला? समस्या इसलिए क्योंकि पाकिस्तान वनस्पति उत्पादक एसोसिएशन ने 20 मार्च 2022 को यह भी बताया कि उनके मुल्क में घी सिर्फ 10 दिन के लिए बचा है। मतलब रोजा शुरू होने से 2-3 दिन पहले ही स्टॉक खत्म! बिना घी के सेवई बने तो बने कैसे?
इंडोनेशिया। दुनिया का सबसे बड़ा तेल (रसोई वाला) निर्यातक देश। दुनिया का सबसे बड़ा इस्लामी मुल्क। अगर आप इस इंडोनेशिया की ओर देख रहे हैं तो आप गलत हैं। इस्लाम के नाम पर यह पाकिस्तान को घंटा भी नहीं देने जा रहा। क्यों? क्योंकि इसने अपने देश के स्थानीय तेल उत्पादकों से कह रखा है – 30% तेल लोकल मार्केट में बेचना है। ऐसा क्यों किया? क्योंकि वहाँ खुद खाने वाले तेल की किल्लत हो गई है। 2 लोग तो इसके लिए लड़ कर मर भी गए।
पाकिस्तानी जनता इतना सब कुछ जानती है? बिल्कुल। इंटरनेट का जमाना है। वहाँ TikTok भी चल रहा है। यह आपने आप में एक ‘क्रांति’ है। इस्लामी बुर्के को मानने वाले लोग इसी TikTok के सहारे अकेली लड़की का कपड़ा फाड़ कर वीडियो बनाते हैं और शांति कायम करते हैं। अब यही जनता घी को लेकर क्रांति करने का मन बना चुकी है।
“बिना घी के सेवई नहीं बनेगी, ईद मनानी है तो घी दो” – यह मैसेज हर पाकिस्तानी के वॉट्सऐप पर घूम रहा है (सूत्रों के अनुसार)। घी है कहाँ लेकिन? सर्च कर लीजिए उत्तर मिलेगा नहीं कहीं से। यही उत्तर वहाँ की जनता को भी गूगल ने दे दिया है। ऐसे में पाकिस्तान की जनता ने मन बना लिया है – “ईद जरूरी है लेकिन सेवई के बिना नहीं।”
“ईद जरूरी है लेकिन सेवई के बिना नहीं” – आप इसे डिकोड कर सकते हैं। रीड बिटवीन द लाइन्स भी पढ़ लीजिए। इस्लाम से विरोध, पाकिस्तान के विरुद्ध, घी/सेवई से प्यार… फैसला आपको करना है।