किसानों ने आज अपनी माँगों को लेकर भारत बंद की घोषणा की है जिसके व्यापक रुझान विदेशों में रह रहे एक-आध भारतीय किसानों के फेसबुक पोस्ट में देखने को मिल रहे हैं। लेकिन इस भारत बंद के पीछे छुपी एक गहरी साजिश का पर्दाफाश हमारे एक ख़ुफ़िया रिपोर्टर कॉमरेड पैट्रिक जिन्ना ने कर डाला है।
आज किसानों द्वारा किए गए भारत बंद की वास्तविकता को सामने रखते हुए हमारे ख़ुफ़िया रिपोर्टर कॉमरेड पैट्रिक जिन्ना ने बताया कि ये भारत बंद और कुछ नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से अम्बानी सहित तमाम पूँजीपतियों को फायदा पहुँचाने की साजिश का ही पहला चरण है।
इस दावे पर हैरानी जताते हुए जब हमने उनसे पूछा कि आखिर किन तथ्यों के आधार पर वो इतना बड़ा खुलासा कर रहे हैं, तो इस पर हमारे ख़ुफ़िया रिपोर्टर ने हमें बताया कि वह भी सोशल मीडिया पर किसानों के हितों को लेकर कई बार हैशटेग चला चुके हैं इस कारण वह भी अब एक किसान ही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन कर रहे ये सभी किसान पूँजीपतियों से मिले हुए हैं और भारत बंद कर के वो और कुछ नहीं बल्कि लोगों के बीच अम्बानी के जियोमार्ट, फ्लिपकार्ट, अमेजन आदि की लोकप्रियता को ही बढ़ा रहे हैं। और इनकी लोकप्रियता बढ़ने का मतलब है पूँजीपतियों की आमदनी में वृद्धि। गौरतलब है कि ये वही पूँजीपति हैं जिनके खिलाफ ढपली बजा बजाकर आज भी वामपंथी सड़कों पर माँगकर बीड़ी पीने को मजबूर हैं।
उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि जब सारे ‘अन्नदाता किसान’ सालभर सड़कों पर रहेंगे और सिर्फ बिवाइयों की HD फोटोग्राफी ही करते रहेंगे तो मार्केट से सब्जियाँ और चावल अपने आप ही गायब होने लगेंगे। ऐसे में निजी क्षेत्र के पूँजीपति सब्जी उगाकर अपने ही ऑनलाइन ऐप्स पर बेचना शुरू कर देंगे और लोगों के घरों तक पहुँचा देंगे। बाजार भी अगर बंद हो गए तो ऑनलाइन सामान बेचने वाले कॉर्पोरेट घराने भी चोखी कमाई करेंगे। भले ही, टायरों में हवा भरने और पंचर बनाने के व्यवसाय वालों का दावा है कि ‘साहेब’ सामान तो ऑनलाइन बेच लेंगे लेकिन पंचर साटने और ट्यूब बदलने का काम भी डिजिटल कैसे करते हैं… हम भी देखेंगे।
रिपोर्टर जिन्ना ने कहा कि यह एक बड़ा ‘मास्टर गेम’ खेला जा रहा है, जिसका नतीजा डिजिटल इंडिया की सफलता के रूप में सामने आना है। उन्होंने कहा कि आज कुछ किसान ऐसे भी थे, जो भारत बंद के बावजूद उनके साथ खड़े नहीं थे, वो यूट्यूब पर जो वीडियो देखते पकड़े गए उनका शीर्षक था- ‘इंस्टाग्राम में फ़ॉलोअर्स कैसे बढ़ाएँ।’
इन किसानों का कहना है कि वो दिलजीत दोसाँझ जैसे किसानों से प्रेरित हैं और अब उन्हें भी असली मार्किट की पहचान हो गई है। साथ ही, उन्होंने कहा कि ‘हम किसान-विसान नहीं हैं, हम तो यहाँ बस गीता भाटी की सैंडिल ढूँढने आए हैं।’
74 साल की सोनिया गाँधी ने किया बड्डे कैंसल… देश के हर बच्चे ने दुख में तोड़ डाली पेंसिल
किसानों की माँगों को देखते हुए अब कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने भी अपना जन्मदिन ना मनाने का ऐलान किया है। सोनिया गाँधी का कहना है कि जब उनका 50 साल का बेटा देश के लिए अभी तक युवा है तो फिर वो अपने 74वें ‘स्प्रिंग’ में पहुँचने पर आखिर कैसे युवा नहीं हो सकतीं? वो भी तब जबकि वो इंदिरा गाँधी की बहु हैं और लोगों को इस दिन उनका जन्मदिन मनाकर पुण्य मिलना था। इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए उनका जन्मदिन ना मानने का फैसला ऐतिहासिक ही माना जाना चाहिए।
हालाँकि, सोनिया गाँधी पर यह भी आरोप लगे हैं कि उनके इस फैसले से उनके जन्मदिन पर कितने ही लोगों के केक बनाने से लेकर उसे बाँटने वालों तक के रोजगार पर कैंची चली है। इस नुकसान पर सोनिया गाँधी ने कहा- ‘इसमें तेरा घटा मेरा कुछ नहीं जाता।’ इसके अलावा, जो पुण्य इस अवसर पर जनता सोनिया गाँधी को जन्मदिन की बधाई देकर कमा सकती थी, वह अब इससे भी वंचित रहेगी और यही किसान विरोधियों की सजा भी तय की गई है।