आर्टिकल-370 के पर कतरे जाने और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद आज एक नई बात जो सामने आई है वो ये कि 70 खूँखार आतंकियों और पाकिस्तान समर्थित अलगाववादियों की घाटी में ‘क्षमता’ देखते हुए उन्हें आगरा के जेल में शिफ्ट किया गया है।
कश्मीर से सीधा उत्तर प्रदेश भेजे जाने पर दिमाग में सबसे पहले 2 बातें याद आती हैं। पहला, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दूसरा, उत्तर प्रदेश की पुलिस। ये वही पुलिस है जो मात्र ठाँय-ठाँय के भयानक स्वर से ही अपराधियों की हवा टाइट करने के लिए जानी जाती है।
ऑपइंडिया तीखी-मिर्ची सेल की ख़ुफ़िया रिपोर्ट्स की मानें तो इन आतंकियों को उत्तर प्रदेश पुलिस की निगरानी में मात्र ‘ठाँय-ठाँय’ के ही स्वर से जन्नत-ए-फ़िरदौस की पहली यात्रा ट्रायल के तौर पर करवाई जाएगी।
आतंकियों के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस जो करने वाली है, उसका प्रतीकात्मक चित्र –
आतंक की फैक्ट्री हूरों के ख्वाब पर ही चलती है। कुत्ते जैसी मौत के बाद आतंकियों को 72 हूरें नसीब होती हैं कि नहीं, रब जाने। लेकिन, आगरा भेजकर सरकार ने इतना तो इंतजाम कर दिया है कि वे कम से कम ताज का दीदार कर लें। शायद भू-माफिया आजम खान को पहले ही इस दिन का एहसास हो गया था, तभी तो वे कई बार ताजमहल को गिरा देने की गुहार सरकार से लगा चुके हैं।
हालाँकि, नाम न बताने की शर्त पर कुछ ख़ुफ़िया सूत्रों का कहना है कि इन आतंकियों को अयोध्या राम मंदिर निर्माण की ईंट-बजरी ढुलवाने से लेकर लोहा सरिया पिघलाने तक का काम गधों की तरह करवाया जाना है। प्रधानमंत्री मोदी जी का कहना है कि इस बारे में अभी कोई पूर्वसूचना नहीं है लेकिन रामदेव का कहना है कि आखिर हैं तो वो भी राम, कृष्ण और शिव के ही वंशज।
आखिर आतंकवादियों को राम मंदिर कार्य में सिर्फ पहाड़ तोड़कर पत्थर-बजरी बनाने तक ही क्यों सीमित रखा जा रहा? कुछ आतंकियों ने इसका जवाब देते हुए कहा- “यह शुभ कार्य मात्र राम-भक्तों के ही हाथों होना चाहिए।”
वहीं, इस कदम से पहले ही उत्तर प्रदेश में जनता ने पंचर टायर जमा करने शुरू कर दिए हैं। उनका मानना है कि सत्तर आतंकियों के उत्तर प्रदेश में आ जाने के बाद प्रदेश में टायरों के पंचर होने का प्रतिशत गिरने की सम्भावनाएँ बढ़ सकती हैं।