Monday, December 23, 2024
Homeहास्य-व्यंग्य-कटाक्ष'वामपंथी लिबरल गिरोह में खुद को मोदी विरोधी साबित करने की होड़': पेगासस लिस्ट...

‘वामपंथी लिबरल गिरोह में खुद को मोदी विरोधी साबित करने की होड़’: पेगासस लिस्ट में खंगाले जा रहे नाम

"बताइए, सरकार को अगर टेलीफोन की स्पाइंग करनी ही थी तो शेखर जी के फोन का काहे नहीं की सरकार? हम मान लें कि सरकार बैंजल से डरती है और राजदीप से नहीं डरती? रोहिणी से डरती है और रवीश से नहीं डरती है? ये तो अजीब विडंबना है!"

“अरे सर, हम मानते हैं कि हमारे फ़ोन की जासूसी नहीं हुई बाकी लिस्ट में हमारा नाम भी डलवा देते तो आपका क्या चला जाता? हमने भी अपने ट्विटर बायो में खुद को इंडिपेंडेंट पत्रकार बताया है। और तो और, बायो में राहत इंदौरी का शेर भी लिख कर डिक्लेअर किया है कि; “किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़े है” सुधीर विनोद चिरौरी करते हुए बोले।

टेबल के इस तरफ वे बैठे थे और दूसरी तरफ एडिटर साहब जिनके पोर्टल को उस तथाकथित लिस्ट को छापने का अधिकार मिला था जिसमें उन पत्रकारों का नाम था जिनकी जासूसी सरकार ने पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए करवाई थी। इधर एडिटर साहब सफाई दिए जा रहे थे; “देखो, बात को समझो, हम टूलकिट से बगावत नहीं कर सकते। तुमको भी पता है कि कितना स्ट्रिक्ट नियम है। किसको कब कहाँ प्रमोट करना है इसका फैसला टूलकिट करता है। अब देखो, सबको तो स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिल सकता न।”

एडिटर साहब ने सुधीर विनोद को अपनी मजबूरी बताई पर सुधीर उनकी बात मानने के लिए राजी नहीं थे। एडिटर साहब की बात सुनकर भड़क गए। बोले; “ये सही बात नहीं है। आप हमसे ढाई बरस से वादा कर रहे हैं कि समय देखकर हमारा भी प्रमोशन होगा। आप ही बोले थे कि नीचे वाले व्हाट्सएप्प ग्रुप से प्रमोट करके सब सीनियर वाले ग्रुप में डलवा देंगे। बाकी आज तक कुछ नहीं किए। आज भी क्या ट्वीट करना है वह भी हमको डायरेक्ट नहीं मिलता। किसी न किसी के वाया ही मिलता है।”

एडिटर साहब इस समय पीछा छुड़ाना चाहते थे पर समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कह कर उसे भगाएँ। बोले; “देखो, सब काम समय से होता है। समय से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता।”

सुधीर अपनी बात पर टिके रहे। बोले; “आप खुद ही सोचिए, इस लिस्ट में नाम आ जाता तो हमको भी कुछ एक्स्ट्रा मिल जाता। अच्छा चलिए एक्स्ट्रा नहीं भी मिलता तो कम से कम लोग ये तो जान जाते कि सरकार हमसे भी डरती है और हमारी भी जासूसी कराती है।”

एडिटर साहब बोले; “मैं समझ रहा हूँ तुम्हारी बात। बस तुम मेरी मज़बूरी नहीं समझ रहे हो। अगली बार किसी लिस्ट में नाम डलवा दिया जाएगा। “

सुधीर विनोद के सब्र का बाँध टूट गया। बोले; “अरे अगली बार पता नहीं कौन सी लिस्ट बनेगी। ये पेगासस वाली लिस्ट में नाम आने की अलग इज़्ज़त है न। पेगासस है भी इसराइली सॉफ्टवेयर। इस वाली लिस्ट में नाम आता तो उससे ये मेसेज भी जाता कि मैं मोदी के खिलाफ तो लड़ रहा ही हूँ, इसराइल के खिलाफ भी लड़ रहा हूँ। इस लिस्ट में नाम आता तो भविष्य के लिए अच्छा रहता।”

अब तक एडिटर साहब पस्त से हो चुके थे। झिड़कते हुए बोले; “अरे यार तुम तो कुछ सुनने के लिए तैयार ही नहीं हो।”

सुधीर विनोद अभी अड़ गए। बोले; “क्या समझें? ऐसा क्या है जो आप हमें समझाइएगा? हमको नहीं पता है कि चालीस की लिस्ट में चार आपके यहाँ से है? और उधर लिस्ट छपा और इधर आप लोग का अपील शुरू हो गया कि कंट्रीब्यूशन दीजिए काहे कि चार हमारा पोर्टल का हैं। माने ये क्या बात हुई कि जिनका नाम आया है सब आपके ही अगल-बगल के लोग है?”

एडिटर साहब को कुछ न सूझा तो डेढ़ मिनट के लिए चुप हो गए। फिर आगे बोले; “अरे भाई, सेनिओरिटी भी कुछ होती है। जिनका नाम आया है वे सीनियर लोग हैं। हमारे पोर्टल वालों से सरकार सच में डरती है।”

सुधीर विनोद ने इधर-उधर देखा और जोर से बोले; “बताइए, सरकार को अगर टेलीफोन की स्पाइंग करनी ही थी तो शेखर जी के फोन का काहे नहीं की सरकार? हम मान लें कि सरकार बैंजल से डरती है और राजदीप से नहीं डरती? रोहिणी से डरती है और रवीश से नहीं डरती है? ये तो अजीब विडंबना है!”

उनकी बात सुनकर एडिटर साहब के मुँह से निकला; “अरे भाई, डर का माहौल है। ऐसे में सरकार तो डरेगी ही।”

सुधीर विनोद को लगा कि ये मानने से रहे। ऐसे में उन्होंने खुद को मन ही मन कुछ समझाया और बोले; “अच्छा, एक बात बताइए, अगली बार ऐसे लोगों की लिस्ट बनी तो मेरा नाम डलवाने का जिम्मेदारी लेते हैं?”

एडिटर साहब बोले; “अरे ये क्या बात हुई? लिस्ट बनने का एक प्रोसेस होता हैं। उस प्रोसेस को हम थोड़ी बायपास कर सकते हैं। और अब तो सब कुछ टूलकिट से होता है। बड़ी प्लानिंग करनी पड़ती है। उसके बाद भी देख ही रहे हो कि कोई ये मानने के लिए ही तैयार नहीं है कि पेगासस से किसी की जासूसी हुई। फिर भी कोशिश करेंगे कि अगली बार वाली लिस्ट में तुम्हारा भी नाम हो। सब ठीक रहा तो अगली बार कुछ करेंगे तुम्हारे लिए।”

सुधीर विनोद ने उनसे वचन लेते हुए कहा; “बस, अगली बार लिस्ट में डलवा दीजिएगा। मेरा भी भला हो जाएगा। ये कितने दिन तक जूनियर ट्रीट किए जाएँगे? बस एक बार किसी लिस्ट में नाम आ जाए तो लोग यह एक्सेप्ट कर लें कि सरकार हमसे भी डरने लगी है तो मैं भी उसके एवज में कुछ वसूल कर लूँगा।”

यह कह कर सुधीर निकल गए। अब अगली लिस्ट के छपने का इंतज़ार है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -