Friday, November 15, 2024
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AltNews वालो, ज़ाकिर मूसा ‘अलगाववादी’ नहीं, आतंकी था जो इस्लामी ख़िलाफ़त चाहता था

मीम से अब जीजा-साली शायरी और अकबर बीरबल के चुटकुलों के फैक्ट चेक से अपनी वृत्ति चलाने वाले प्रतीक सिन्हा ने उसी ट्वीट में एक शब्द का इस्तेमाल किया जो उसके कुत्सित कार्यों और निकृष्टता के हिसाब से हास्यास्पद है।

फ़र्ज़ी फ़ैक्ट-चेक और इंटरनेट पर घूमने वाले मीम की ‘सच्चाई’ खोजने में महारत प्राप्त वेबसाइट AltNews ने फिर ऐसा कारनामा किया है जिसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है। AltNews के संस्थापक, प्रतीक सिन्हा ने खूंखार आतंकवादी ज़ाकिर मूसा के अपराधों पर पर्दा डालते हुए उसे आतंकवादी न कहकर ‘अलगाववादी’ के रूप में प्रदर्शित किया। बता दें कि 23 मई को, जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी ज़ाकिर मूसा को भारतीय सुरक्षा बलों ने मार गिराया। मूसा हिज़्बुल का पूर्व कमांडर था और फ़िलहाल अल-क़ायदा से जुड़े आतंकी संगठन अंसार ग़ज़ावत-उल-हिंन्द का सरगना था। वो इस्लाम से जुड़े प्रोपेगेंडा चलाने के लिए जाना जाता था।

जहाँ एक तरफ़, मूसा को ढेर करने की ख़बर को लोगों ने सुरक्षाबलों की क़ामयाबी के रूप में देखा, तो दूसरी तरफ़ मीडिया गिरोह के कुछ ऐसे बड़े लोग मूसा की मौत की ख़बर को पचा नहीं सके। इनमें से एक नाम द वायर की वरिष्ठ संपादक आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का है। मूसा की मौत पर BTVI के संपादक आदित्य राज कौल ने जब यह ख़बर शेयर की, जिसमें उन्होंने लिखा कि यह भारतीय लोकतंत्र की जीत है, तो आरफ़ा को यह बात बर्दाश्त नहीं हुई और जवाब में लिखा कि अब राइट विंगर्स (RW) ट्रोल्स और RW पत्रकारों के बीच अंतर करना कठिन है।

न्यूज़ 24 के संपादक मानक गुप्ता ने अरफ़ा के एक हिंदी ट्वीट का जवाब देते हुए हिंदी में ही जवाब दिया, जो 22 मई को पोस्ट किया गया था। उन्होंने लिखा था कि वह (मूसा) अब नहीं आएगा, और अगर कोई भी उससे मिलना चाहता है, तो वह ख़ुद ऊपर चला जाए।

लेकिन, प्रतीक सिन्हा, जो इन दिनों अपने चुटकुलों, मीम्स और फ़ोटो की काँट-छाँट कर फ़ैक्ट-चेक का दावा करने के लिए फेमस है, उसके लिए इतना पर्याप्त नहीं था। सिन्हा ने आतंकवादी ज़ाकिर मूसा को एक आतंकवादी की जगह ‘अलगाववादी’ के रूप में संदर्भित किया। यह मामला सतही तौर पर मामूली-सा लग सकता है, लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। अलगाववादी एक ऐसा व्यक्ति होता है जो एक समूह, समाज, संस्कृति या धर्म को तोड़ने  का समर्थन करता है, उसे अलगाववादी कहा जाता है। अलगाववादी अपनी माँग रखने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन वो तरीक़े क़ानून के ख़िलाफ़ नहीं हो सकते। उदाहरण के लिए, ऐसे कई अलगाववादी हैं जो केवल अहिंसक तरीकों का उपयोग करते हैं।

दूसरी ओर, आतंकवादी हिंसा के ज़रिए आतंक पैदा करते हैं, नागरिकों और सशस्त्र बलों को निशाना बनाते हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ज़ाकिर मूसा जैसे इस्लामी आतंकवादी इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए लोगों में ख़ौफ़ पैदा करते हैं। इसलिए, एक आतंकवादी संगठन के सरगना को अलगाववादी नेता कहना न केवल भ्रम फैलाने जैसा है, बल्कि आतंकवादियों द्वारा मानवता पर किए गए क्रूर अत्याचारों पर पर्दा डालने के भी समान है, जो किसी अपराध से कम नही।

मीम से अब जीजा-साली शायरी और अकबर बीरबल के चुटकुलों के फैक्ट चेक से अपनी वृत्ति चलाने वाले प्रतीक सिन्हा ने उसी ट्वीट में एक शब्द का इस्तेमाल किया जो उसके कुत्सित कार्यों और निकृष्टता के हिसाब से हास्यास्पद है। प्रतीक सिन्हा ने अपनी नीचता की सीमा कई बार लाँघते हुए कई बार नवजात शिशु की जानकारी से लेकर किशोर वय बालकों तक की जानकारी डॉक्सिंग के जरिए इंटरनेट पर सार्वजनिक कर दी है, जिसके कारण उस लड़के को इस्लामी कट्टरपंथियों ने जान से मारने की धमकी तक दी। ऐसा निहायत ही बेशर्म व्यक्ति जब ‘classy’ शब्द का इस्तेमाल करता है तो विडम्बना घास चरने चली जाती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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