अगर आपको लगता है कि माँ सरस्वती की पूजा सिर्फ़ भारत में ही की जाती है और केवल हिन्दू धर्म में ही ऐसा होता है, तो आप ग़लत हैं। दरअसल, देवी सरस्वती की पूजा विभिन्न समय-काल में, विश्व की विभिन्न सभ्यताओं द्वारा अलग-अलग स्वरूपों में की जाती रही है। जापान में उनकी पूजा बेंजाइटन के रूप में की जाती है। बेंजाइटन को भी वीणा बजाते हुए दिखाया गया है, ठीक माँ सरस्वती की तरह। सरस्वती के बारे में वेदों में कई ऋचाएँ हैं। सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद में सरस्वती का वर्णन नदी के रूप में है। बाद में उन्हें विद्या की देवी का दर्जा मिला।
सरस्वती नदी के बारे में लिखा गया है कि वो ऐसी शक्तिशाली नदी थी, जिसकी धार पहाड़ों को चीरते हुए धरती पर आती थी। ऋग्वेद में इसका प्रमाण मिलता है कि यज्ञ वगैरह के लिए सरस्वती नदी के तट को दुनिया में सबसे शुद्ध माना जाता था। पुराणों में उन्हें ब्रह्मा जी की पत्नी के रूप में दर्शाया गया है। बौद्ध धर्म में माँ सरस्वती का ख़ास महत्व है क्योंकि भगवान बुद्ध को ज्ञान मिलने का कारण उन्हें ही बताया गया है। बौद्ध मानते हैं कि जो भी धर्म की उपासना करता है, माँ सरस्वती उनकी रक्षा करती हैं।
अगर जापान में पूजी जाने वाले बेंजाइटन की बात करें तो चीन में ‘सुवर्णप्रभास सूत्र’ के स्थानीय भाषाओं में अनुवाद होने के बाद उन्हें ख्याति मिली। इसी तरह ये साहित्य जापान पहुँचा और वहाँ बेंजाइटन की पूजा होने लगी। उन्हें जल, विद्या, ज्ञान, समय और संगीत की देवी माना गया है। जापान में उन्हें ‘शीसीफुकूजिन’ के अंतर्गत रखा जाता है। अर्थात, ऐसे 7 देवी-देवता, जिनकी पूजा करना व्यक्ति को भाग्यशाली बनाता है। उन्हें बेंटेन ये बेन्ज़ाइटेन्नयो के नाम से भी जाना जाता है।
प्राचीन वैदिक साहित्य में वृत्र नामक असुर का जिक्र मिलता है, सरस्वती ने जिसका वध किया था। वृत्र को ‘अहि’ यानी साँप के रूप में चित्रित किया गया है। वहीं जापान में उसे ड्रैगन के रूप में जाना गया है। कई लोग मानते हैं कि 8वीं या 9वीं शताब्दी में सरस्वती को जापान में बेंजाइटन के रूप में पूजा जाने लगा। लेकिन, पाँचवीं-छठी शताब्दी में लिखी गई बौद्ध पुस्तकों में बेंजाइटन का जिक्र है।
Today is #BasantPanchami when we worship Ma #Saraswati, the Goddess of Art & Knowledge. Did you know she is worshiped not only in the Indian subcontinent but also in #Japan as #Benzaiten, being the ONLY goddess in the group of 7 Lucky Gods of Japan!
— Dr. Vineet Aggarwal (@drumbeatsofeden) January 29, 2020
Jai Ma Saraswati ? pic.twitter.com/4fVDtbAykU
बाद में ड्रैगनों का राजा अनवतप्त की बेटी के रूप में बेंजाइटन की कथा बताई गई है। ये दिखाता है कि काफ़ी पहले से उनकी पूजा होती रही है। बता दें कि अनवतप्त नामक एक झील की भी बौद्ध साहित्यों में ख़ूब चर्चा है, जिसके बारे में बताया गया है कि वो धरती के बीचोंबीच स्थित है।
माँ सरस्वती की तरह बेंजाइटन को भी संगीत और ज्ञान की देवी माना गया है। जिस तरह भारत में माँ सरस्वती का चित्रण सफ़ेद शरीर वाली देवी के रूप में किया गया है, जापान में भी बेंजाइटन की अधिकतर प्रतिमाएँ आपको एकदम सफ़ेद ही मिलेंगी।
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