बिहार के मुजफ्फरपुर में बलिदानी कारसेवक संजय कुमार की बेटी के घर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का न्योता गया है। कारसेवक संजय के परिजन ये निमंत्रण मिलने से बेहद खुश हैं। पिछले 32 सालों से परिवार ने ने राम मंदिर का संपना संजोया था। उनकी पत्नी तो राम मंदिर की आस में 2019 में राम नवमी के दिन देह त्याग गईं, लेकिन उनकी बेटियों को इस पल का खास इंतजार था।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, 1990 में अन्य कारसेवकों की तरह संजय कुमार सिंह भी बहुत उत्साह के साथ राम मंदिर निर्माण का सपने लिए अपने घर से निकले थे। लेकिन उन्हें नहीं पता था वो वापस नहीं लौट पाएँगे। कारसेवकों पर जब गोली चलाई गई तो वो गोलियाँ संजय कुमार सिंह को भी लगी, जिससे उनकी मौत हो गई।
परिवार बताता है कि अंतिम संस्कार तक के लिए संजय सिंह का शव उन्हें घर पर नहीं पहुँचाया गया था। बेटियाँ उस समय मात्र 2 साल और 45 दिन की थीं। संजय सिंह के जाने के बाद उनकी पत्नी ने ही बेटियों का लालन पालन कड़े संघर्ष के साथ किया। आज संजय सिंह की बेटी कृति को जब निमंत्रण मिला तो वह काफी खुश हुईं। भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, कृति ने रोते हुए कहा कि पिता का सपना पूरा हो रहा है इसलिए उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है।
कृति ने कहा, “पिताजी ने मंदिर के लिए अपनी जान दे दी थी। उस समय मेरी उम्र सिर्फ 45 दिन की थी और मेरी बड़ी बहन दो साल थी। माँ ने बड़ी कठिनाइयों के साथ हमें पाला। मुझे तो पता भी नहीं कि हमारे पापा इस दुनिया में नहीं है। बड़े होने पर माँ ने बताया कि उनके पिता ने राम मंदिर के लिए जान दी थी। मुझे उस समय जानकर बहुत दुख हुआ था। लेकिन माँ कहती रहती थी कि उनका सपना जरूर पूरा होगा। आज माँ नहीं है। उनका देहांत साल 2019 में रामनवमी के दिन हुआ था।”
बता दें कि अयोध्या राम जन्मभूमि के लिए मर मिटने वाले कारसेवकों पर ऑपइंडिया लगातार ग्राउंड रिपोर्ट अपने पाठकों के लिए ला रहा है। हाल में हमने आपको कारसेवक महावीर अग्रवाल के बारे में बताया था जिनके सीने में गोली दागी गई थी और जिंदा हालत में ही उन्हें मृतकों के साथ गाड़ी में ठूँस दिया गया था। इसी तरह कारसेवक राम बहादुर वर्मा, भगवान सिंह जाट, अचल गुप्ता जैसे कारसेवकों के साथ क्या ज्यादती हुई थी उनके परिवार पर क्या गुजरी ये भी हमने इस सीरिज में बताया है। आप लिंक पर क्लिक करके उसे पढ़ सकते हैं।