Sunday, May 5, 2024
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सीने में गोली दागी, ज़िंदा थे तभी लाशों के साथ गाड़ी में ठूँसा, विधवा से बदसलूकी: भजन गा रहे थे कारसेवक महावीर अग्रवाल, परिवार ने याद किया – लाल हो गई थी सरयू

अभिषेक बताते हैं कि पति की मौत के बाद उनकी माँ शारदा देवी मानसिक तौर पर टूट चुकी थीं लेकिन बच्चों का चेहरा देख कर उन्होंने खुद को सँभाला। तमाम कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपने दोनों बेटों को कभी निराश नहीं होने दिया।

दुनिया भर के हिन्दुओं के आराध्य भगवान राम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण प्रगति पर है। 22 जनवरी, 2024 को इस मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। ऐसे में लोग उन तमाम बलिदानियों को याद कर रहे हैं जिन्होंने लगभग 5 सदियों तक चले संघर्ष में राम के नाम पर अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उन तमाम ज्ञात-अज्ञात बलिदानी कारसेवकों में से एक हैं महावीर प्रसाद अग्रवाल। महावीर प्रसाद का परिवार फ़िलहाल अयोध्या में रहता है। ऑपइंडिया ने उनके घर पहुँच कर परिजनों से बात की और उनके वर्तमान हालात को जाना।

महावीर प्रसाद अग्रवाल अगरबत्ती बनाने का काम करते थे। वो इन अगरबत्तियों को गोंडा और अयोध्या में बेचते थे। महावीर का पुराना घर अयोध्या शहर (पूर्व फैज़ाबाद) के वजीरगंज जप्ती इलाके में है। यह घर मुस्लिम बहुल मोहल्ले में है। फिलहाल उनके बेटों ने देवकाली बाईपास के पास नया मकान बनवा लिया है। जब ऑपइंडिया की टीम उनके नए मकान पर पहुँची तो बलिदानी कारसेवक के छोटे बेटे अभिषेक अग्रवाल घर पर ही मिल गए।

कपड़े सिल कर माँ ने पाला परिवार

अभिषेक ने ऑपइंडिया को बताया कि जब वो महज 9 साल के थे तब उनके पिता 2 नवंबर, 1990 में अयोध्या में रामकाज करते हुए बलिदान हो गए थे। महावीर प्रसाद अपने पीछे 1 विधवा और 2 बेटे छोड़ गए थे। पति की मौत के बाद उनकी पत्नी शारदा देवी अग्रवाल ने अपने 2 नाबालिग बेटों को पाला। इनकी पढ़ाई से ले कर अन्य खर्चे उठाने के लिए उन्होंने अपने घर में सिलाई का काम शुरू किया। जब उनके बेटे बड़े हो गए तब उन्होंने छोटे-मोटे काम-धंधे कर के अपनी माँ का हाथ बँटाना शुरू किया।

अभिषेक बताते हैं कि पति की मौत के बाद उनकी माँ शारदा देवी मानसिक तौर पर टूट चुकी थीं लेकिन बच्चों का चेहरा देख कर उन्होंने खुद को सँभाला। तमाम कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपने दोनों बेटों को कभी निराश नहीं होने दिया। पढ़ाई करवाने के बाद उन्होंने दोनों बेटों की शादियाँ करवाईं। आखिरकार साल 2012 में लम्बी बीमारी के बाद शारदा देवी का देहांत हो गया। फ़िलहाल अभिषेक अग्रवाल प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं।

उनके बड़े भाई अखिलेश अग्रवाल लखनऊ में होटल के कारोबार से जुड़े हैं। बीच-बीच में विभिन्न मौकों पर बलिदानी महावीर प्रसाद अग्रवाल के परिजन हिन्दू संगठनों द्वारा सम्मानित भी किए जाते रहे।

हिन्दू संगठनों द्वारा महावीर प्रसाद अग्रवाल के परिजनों का सम्मान

राम का भजन गाने के चलते मार दी गई गोली

अभिषेक अग्रवाल भावुक हो कर 2 नवंबर, 1990 की घटना को याद करते हैं। उन्होंने बताया कि वो शुक्रवार का दिन था। मुलायम के आदेश पर अयोध्या को चारों तरफ से पुलिस से घेर दिया गया था। तब महावीर प्रसाद अग्रवाल ने अपने साथियों के साथ सरयू नदी को तैर कर पार किया। वो अयोध्या के कारसेवकपुरम तक पहुँचने में सफल रहे। अभिषेक का कहना है कि उनके पिता जी और बाकी अन्य कारसेवक निहत्थे थे और कारसेवकपुरम के पास एक जगह जमा हो कर भगवान का भजन गा रहे थे। इसी दौरान रामभक्तों को चारों तरफ से घेर लिया गया और गोलियों की बौछार कर दी गई।

लाश को नदी में फेंकने की थी तैयारी

अभिषेक ने हमें आगे बताया कि अचानक हुई गोलीबारी में उनके पिता को सीने में 2 गोलियाँ लगीं। गोलियाँ लगने पर वो जमीन में गिर कर छटपटाने लगे। जब उनको बचाने के लिए अन्य कारसवेक आगे बढ़े तभी लाठीचार्ज कर दिया गया। इस से भगदड़ मच गई। फिर भी कुछ रामभक्तों ने महावीर को भीड़ में से निकाला और एक चबूतरे पर रखा। बताया गया कि तब तक महावीर की साँसें चल रहीं थीं। इसी बीच पुलिस का एक ट्रक आया। वो गोलीबारी में बलिदान हुए कारसेवकों की लाशों को उसमें भरने लगा।

अभिषेक ने बताया कि उन्हें जीवित कारसेवकों से पता चला था कि उस गोलीबारी में दर्जनों कारसेवक बलिदान हुए थे। उनकी लाशों को समेटने के चक्कर में पुलिस वालों ने कई घायल कारसेवकों को भी वाहनों में लाद लिया था और जिन्दा ही सरयू नदी में फेंक दिया था। बकौल अभिषेक, उनके पिता को भी गंभीर अवस्था में घायल हालत में ही कई लाशों के बीच ट्रक में भर लिया गया था। इसके बाद तड़प-तड़प कर पुलिस के वाहन में महावीर अग्रवाल के प्राण निकले थे। घटना की सूचना मिलने पर महावीर अग्रवाल की पत्नी शारदा अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ पहुँचीं थीं।

कई जगह भटकने के बाद एक पुलिस के वाहन में महावीर अग्रवाल का शव कई अन्य रामभक्तों की लाशों के बीच पड़ा मिला। शारदा देवी ने अपने पति का शव लेना चाहा तो मौके पर मौजूद पुलिस वालों ने उनके साथ अभद्रता की। हालाँकि, काफी मिन्नतों के बाद आखिरकार महावीर अग्रवाल का शव उनकी पत्नी को सौंपा गया। अभिषेक अग्रवाल का दावा है कि अगर उनके परिजन थोड़ी और देर से पहुँचे होते तो उनके पिता का शव भी कई अन्य जीवित या बलिदान हुए कारसेवकों की तरह सरयू नदी में फेंक दिया जाता।

इस हालत में मिला था महावीर प्रसाद अग्रवाल का शव

तब की घटना याद करते हुए अभिषेक ने दावा किया कि सरयू का जल रामभक्तों के खून से लाल हो गया था। आखिरकार महावीर का अंतिम संस्कार उनके परिवार की मौजूदगी में अयोध्या के सरयू तट पर हुआ। अंतिम संस्कार के दौरान भी पुलिस मुस्तैद थी।

पिता के बलिदान पर गर्व

राम मंदिर निर्माण को अपना और हिन्दुओं का सौभाग्य बताते हुए अभिषेक अग्रवाल ने कहा कि उनको इस बात का गर्व है कि उनके पिता महावीर का बलिदान इस पुनीत कार्य में हमेशा गिना जाएगा। अभिषेक के मुताबिक, पिता की वीरगति से पहले उनके पूर्वज और वर्तमान वंशज सभी भगवान राम के भक्त थे, हैं और आगे भी रहेंगे। अभिषेक अग्रवाल अक्सर दुनिया भर के आए रामभक्तों के सेवा भाव से जन्मभूमि भी जाते रहते हैं। उनके घर के पूजा वाले कमरे में राम दरबार है। अन्य बलिदानियों के परिवार की तरह उनकी भी इच्छा है कि उनके बलिदानी पिता का स्मारक अयोध्या में बने।

महावीर प्रसाद अग्रवाल के बेटे अभिषेक

मुस्लिमों की ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकते थे मुलायम

अपने पिता के बलिदान का जिम्मेदार अभिषेक अग्रवाल सीधे तौर पर मुलायम सिंह यादव को मानते हैं। उन्होंने हमें बताया कि मुलायम के ‘जरूरत पड़ती तो और भी कारसेवक मारते’ वाले बयान से उन सभी को आत्मिक पीड़ा पहुँची और वो पुराने घावों को कुरेद गया गया था। अभिषेक का यह भी मानना है कि कारसेवकों का नरसंहार मुलायम सिंह यादव ने मुस्लिमों खुश करने के लिए करवाया था क्योंकि वो तुष्टिकरण में कुछ भी कर सकते थे। अभिषेक ने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में किसी घोषित राम विरोधी को भी न बुलाने की अपील की।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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