सबरीमाला में भक्तों की भावना को पुलिस के इस्तेमाल से कुचलने वाली केरल की वामपंथी सरकार क्या इस मंदिर पर शिंकजा कसने की तैयारी कर रही है? क्या उसकी नजर मंदिर की कमाई पर है? यह सवाल इसलिए उठ खड़ा हुआ है, क्योंकि केरल की सरकार सबरीमाला श्राइन के 150 से अधिक मंदिरों के लिए नया नियम-कानून तैयार कर रही है। राज्य सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी है।
राज्य सरकार की इस कवायद पर कई लोगों ने तीखी आपत्ति दर्ज कराई है। त्रावणकोर देवासम बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पी. गोपालकृष्णन ने कहा है कि मंदिरों और उनके राजस्व पर कब्ज़ा करने के लिए सरकार यह कदम उठा रही है। हालॉंकि, केरल सरकार के मंत्री के. सुरेंद्रन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मंदिर के शासन-व्यवस्था से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।
गौरतलब है कि सबरीमाला मंदिर महिलाओं के प्रवेश को लेकर काफी चर्चा में रहा था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के बाद लाखों श्रद्धालु (जिनमें महिलाएँ भी शामिल थीं) सड़क पर उतरे थे। केरल की वामपंथी सरकार ने इस विरोध-प्रदर्शन को दबाने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया था। हालाँकि, राज्य सरकार का कहना है कि नए नियम-क़ायदों का इस विवाद से कोई लेना-देना नहीं है।
केरल सरकार के वकील जी. प्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि न सिर्फ़ सबरीमाला, बल्कि त्रावणकोर देवासम बोर्ड के अंतर्गत आने वाले सबरीमाला हॉल श्राइन के 150 से अधिक मंदिरों के लिए एक नया विधान बनाया जा रहा है। बोर्ड 1240 मंदिरों का शासन-प्रबंध देखता है।
मंदिरों के लिए नियम-क़ानून बनाने की प्रक्रिया ड्राफ्टिंग के अंतिम चरण में है। जी. प्रकाश ने यह भी बताया कि इसका सबरीमाला मंदिर में महिलाओं द्वारा पूजा-पाठ या प्रवेश करने से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार इसे मुख्य रूप से शासन-प्रबंधन से सम्बंधित क़दम बता रही है।
Breaking: Kerala mooting separate law for administration of Sabarimala.
— Gopinath Sridhar (@gopitweet) September 6, 2019
Pandalam Royal family are legal custodians of Sabrimala Temple, this commie govt should stay away from tinkering the religious practice of age old tradition.
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इसके अलावा बोर्ड ने निर्णय लिया है कि सभी 1,240 मंदिरों के लिए पूजा सम्बंधित साजो-सामान की सेंट्रलाइज्ड यानी केंद्रीकृत ख़रीद की जाएगी और उन्हें सभी मंदिरों में बाँटा जाएगा। इससे पहले मंदिर पूजा साजो-सामान की ख़रीद के लिए टेंडर जारी करते थे और बोली लगाया जाता था। अब बोर्ड इसके लिए स्टोर्स की स्थापना करने जा रहा है, जिसका प्रबंधन उसके कर्मचारी करेंगे।