तेलंगाना में 2000 करोड़ रुपए की लागत से बने यदाद्रि के लक्ष्मी नरसिंह मंदिर का उद्घाटन किया गया। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने ये प्रक्रिया पूरी की। भक्तों के लिए इसे खोल दिया गया था। मंदिर यहाँ पहले से ही था, लेकिन अब इसकी रूपरेखा बदल गई है। पिछले 100 वर्षों में कृष्णशिला (Black Granite Stone) से तैयार होने वाला ये पहला मंदिर है। इसे शास्त्रों के हिसाब से निर्मित किया गया है। अब तक 1000 करोड़ रुपए लग चुके हैं, आगे कई और काम होने हैं।
इसे पुनर्निर्मित करने में 5 साल का लंबा समय लगा है। पहले जहाँ ये एक पहाड़ी पर स्थित छोटा सा मंदिर हुआ करता था, वहीं अब इसकी वस्तु-कला को देखने दूर-दूर से लोग आएँगे। ये मंदिर हैदराबाद से 60 किलोमीटर दूर स्थित यदाद्रि भुवनगिरि जिले में स्थित है। 11 अक्टूबर, 2016 को इसके पुनर्निर्माण का कामकाज शुरू हुआ था। ‘महाकुम्भ संप्रोक्षण’ के मौके पर इसका उद्घाटन हुआ है। देवता को बालायाम से लेकर प्रमुख गर्भगृह में स्थापित किया गया।
इसे आंध्रा प्रदेश के तिरुमला स्थित श्री वेंकटेश मंदिर की तरह विकसित किए जाने का लक्ष्य है, जो विश्व का सबसे समृद्ध मंदिर है। तिरुमला की 7 पहाड़ियों के मुकाबले यहाँ 9 पहाड़ियाँ हैं। बाकी की 8 पहाड़ियों को भी एक तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया गया है। इसके लिए ‘यदाद्रि टेम्पल डेवलपमेंट अथॉरिटी (YTDA)’ का गठन भी किया गया। इसे बनाने के लिए सीमेंट, ईंट या कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। सिर्फ चूने मोर्टार को उपयोग में लाया गया।
आंध्र प्रदेश के प्रकाशम और गुंटूर जिले से 2.5 लाख टन कृष्णशिला मँगाया गया। रोज लगभग 1500 लोग इस काम में लगे रहे, जिनमें से 800 मूर्तिकार थे। आनंद साईं को इसका मुख्य शिल्पकार नियुक्त किया गया, जिन्होंने इसे बनाने से पहले दक्षिण भारत के कई मंदिरों का दौरा किया। 7 गोपुरम तिरुचिपल्ली के श्रीरंगम मंदिर से प्रेरित है। मुख्य गोपुरम, जिसे ‘विमान’ नाम दिया गया है, उस पर सोने की परत चढ़ाई गई। ये तिरुमला मंदिर से प्रेरित है।
మహాకుంభ సంప్రోక్షణ ఉత్సవంలో భాగంగా, దివ్య విమాన గోపురంపైన శ్రీ సుదర్శన చక్రానికి సీఎం కేసీఆర్ దంపతులు ప్రత్యేక పూజలు చేసి, పవిత్ర జలాలతో అభిషేకం నిర్వహించారు. pic.twitter.com/nxgqJbXMxf
— Telangana CMO (@TelanganaCMO) March 28, 2022
ये काम अभी चल ही रहा है, जिसके लिए 125 किलो सोने का खर्च लगाया जा रहा है। इनमें से 30 किलो सोना कारोबारियों और नेताओं द्वारा दान के माध्यम से आया है। 13,000 टन पत्थरों का इस्तेमाल कर के 7 मंजिला राजगोपुरम बनाया गया। कोरोना के कारण काम पर असर पड़ा, वरना ये पहले ही तैयार हो चुका होता। आने वाले समय पर प्रतिदिन 40,000 श्रद्धालु यहाँ आ सकते हैं। हजारों वर्ष पुरानी स्थित यहाँ की गुफाओं में नृसिंह की तीन मूर्तियाँ हैं – ज्वाला, गंधभिरंदा और योगानंदा