वाराणसी स्थित ज्ञानवापी विवादित ढाँचे पर कोर्ट की सुनवाई लगातार जारी है। विवादित ढाँचे के वीडियोग्राफी सर्वे की पहली रिपोर्ट के बाद दूसरी सर्वे रिपोर्ट लीक हो गई है। वहीं कहा जा रहा है कि 12 पन्ने की इस सर्वे रिपोर्ट को कमिश्नर विशाल सिंह ने आज गुरुवार (19 मई, 2022) को कोर्ट में पेश किया था। लीक हुई रिपोर्ट के आधार पर दावा किया जा रहा है कि विवादित ढाँचे के अंदर से कमल, त्रिशूल और डमरू समेत कई और सनातन सभ्यता के चिन्ह मिले हैं। जिसकी एक कॉपी ऑपइंडिया के भी पास है। हालाँकि, हम इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करते।
वहीं लीक हुई सर्वे की दूसरी रिपोर्ट में शिवलिंग का भी जिक्र किया गया है, जिसे मुस्लिम समुदाय फव्वारा बता रहा है। इसके साथ ही दावा किया गया है कि विवादित ढाँचे के अंदर से कमल, त्रिशूल, डमरू समेत दूसरे प्रतीक चिन्ह भी मिले हैं। इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, विवादित ढाँचे की दीवारों पर घण्टी, कलश और फूल की आकृतियाँ चारों तरफ बनी हुई थीं। विवादित ढाँचे के अंदर कई तहखाने भी मिले हैं, जहाँ से 2-3 ट्रॉली मलबा और 100 नई ईंट मिली।
इसके अलावा विवादित ढाँचे की पश्चिमी दीवार पर हाथी की सूँड़ की टूटी हुई आकृतियों के साथ-साथ पूरी दीवार पर भारी मात्रा में पान के पत्ते का चिन्ह, स्वास्तिक, त्रिशूल बने हुए थे। ये सभी कलाकृतियाँ प्राचीन भारतीय मंदिर निर्माण शैली से मेल खाती हैं, जो कि काफी पुरानी हो चुकी हैं। इनमें से अधिकतर टूट चुकी हैं। इसके साथ ही हिन्दू पक्ष ने दावा किया कि विवादित ढाँचे के उत्तर में भैरव और दक्षिण में गणेश मंदिर था। यहाँ काफी मलबा पड़ा हुआ है, जिसे हटाने की माँग की गई है।
वहीं पश्चिमी दीवार के बाहर 3 चौकोर आकृतियाँ बनी हुई मिली हैं, जिसे मुस्लिम पक्ष कब्र कह रहा है तो हिन्दू पक्ष इसे पुराना चबूतरा बता रहा है। विवादित ढाँचे में बने गुंबद के अंदर भी पत्थर पर फूल, पत्ती और कमल के फूल की कलाकृति बनी मिली। शंकुकार शिखरनुमा एक आकृति मिली, जिसे हिन्दू पक्ष ने प्राचीन मंदिर का शिखर बताया। विवादित ढाँचे में स्थित बड़ी मीनार में कुछ लिखा मिला, जिसे मंत्र बताया जा रहा है। यहाँ विवादित ढाँचे के अंदर दीवार पर भी त्रिशूल और स्वास्तिक मिला।
इमाम के बैठने वाली जगह के ऊपर मंदिर जैसी आकृतियाँ
रिपोर्ट में बताया गया है कि विवादित ढाँचे में गुंबद के अंदर जाते ही इमाम के बैठने वाली जगह के ऊपर बनी कलाकृतियों को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि ये आकृतियाँ मंदिरों में बनी आकृतियों जैसी प्रतीत हो रही हैं। वहाँ भी त्रिशूल बना मिला है। काशी विश्वनाथ मंदिर के एडवोकेट रवि कुमार पांडेय और हिन्दू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी के मुताबिक, वजू करने के स्थान पर एक कुण्ड बना हुआ है। यहाँ तीन फिट पानी भरा हुआ है। उसमें हाथ डालकर छूने से गोलाकार आकृति प्रतीत होती है।
एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा की रिपोर्ट
गौरतलब है कि इससे पहले इससे पूर्व एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा ने अपनी रिपोर्ट फाइल की थी। इसमें खुलासा किया गया है कि ज्ञानवापी ढाँचे की पश्चिमी दीवार पर शेषनाग और हिंदू देवी-देवताओं की कलाकृति साफ रूप से नजर आ रही है। दीवार के उत्तर से पश्चिम की ओर शिलापट्ट पर सिंदूरी लेप की उभरी हुई कलाकृति है। इसमें देवों के रूप में चार मूर्तियों की आकृति दिखाई दे रही है। इस रिपोर्ट को भी न्यायालय ने रिकॉर्ड में ले लिया है।