Sunday, September 1, 2024
Homeदेश-समाजDMK सरकार ने 'अयोध्या मंडपम्' को अपने नियंत्रण में लिया, विरोध करने पर कई...

DMK सरकार ने ‘अयोध्या मंडपम्’ को अपने नियंत्रण में लिया, विरोध करने पर कई गिरफ्तार: 64 सालों से ‘श्री राम समाज’ के पास था प्रबंधन

मंदिर पूजन समिति ने कहा कि इसके ट्रस्टी के रूप में सिर्फ एक प्रैक्टिसिंग हिन्दू की नियुक्ति की जा सकती है और कोई सरकारी अधिकारी इसकी जगह नहीं ले सकता।

तमिलनाडु के ‘हिन्दू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स (HR&CE)’ विभाग ने चेन्नई के पश्चिम मांबलम में स्थित ‘अयोध्या मंडपम्’ को अपने नियंत्रण में ले लिया है। 64 वर्ष पुराने इस स्थल को ‘अयोध्या अश्वमेध महा मंडपम्’ के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन और आंदोलन के बावजूद एमके स्टालिन की सरकार ने सोमवार (11 अप्रैल, 2022) को ये कार्यवाही की। कई राजनीतिक दलों ने स्थानीय लोगों के प्रदर्शन को समर्थन दिया है।

सोमवार के सुबह ही विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था, जो दोपहर तक और तेज़ हो गया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई लोगों को ‘रोकथाम गिरफ़्तारी’ में रखा। स्थानीय भाजपा की पार्षद उमा आनंदन भी इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थीं। उन्होंने तमिलनाडु की द्रमुक सरकार के इस फैसले को अवैध करार दिया। उन्होंने कहा कि ‘अयोध्या मंडपम्’ के देखभाल और रख-रखाव का कार्य ‘श्री राम समाज’ के जिम्मे रहा है।

स्थानीय लोगों ने कहा कि जनता ने अपने रुपए से इसे बनवाया है। यहाँ आए दिन धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं। इसके अलावा ‘राधा कल्याणम्’ और ‘होमम्’ भी नियमित तौर पर आयोजित किए जाते रहे हैं। यहाँ ‘अगम’ के हिसाब से पूजा-पाठ नहीं होता है, इसीलिए लोगों का कहना है कि ये पूर्ण रूप से ‘मंदिर’ की श्रेणी में नहीं आता। मंदिर पूजन समिति ने कहा कि इसके ट्रस्टी के रूप में सिर्फ एक प्रैक्टिसिंग हिन्दू की नियुक्ति की जा सकती है और कोई सरकारी अधिकारी इसकी जगह नहीं ले सकता।

लोगों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया। टेनमपेट के बालदंडयुद्धपाणी मंदिर में ‘एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (EO)’ की नियुक्ति को अवैध करार दिया गया था। ‘श्रीराम समाज’ इस मामले को लेकर मद्रास उच्च-न्यायालय पहुँचा है। इससे पहले एक याचिका ख़ारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि ‘अयोध्या मंडपम्’ के मंदिर होने या नहीं होने का फैसला सूट के जरिए होगा। बताया जा रहा है कि यहाँ बड़ी मात्रा में दान आ रहे थे, इसीलिए ये फैसला लिया गया।

HR&CE विभाग का कहना है कि इस जगह के प्रबंधन को लेकर कुप्रबंधन की कई खबरें आ रही थीं। पुलिस ने कई लोगों को सरकारी अधिकारियों के कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार किया। हालाँकि, बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। तमिलनाडु सरकार का कहना है कि यहाँ दान मिलते हैं, इसीलिए ये मंदिर है। जबकि ‘श्रीराम समाज’ ने कहा कि यहाँ सिर्फ तस्वीरों की ही पूजा की जाती है, मूर्तियाँ नहीं हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जनता की समस्याएँ सुन रहे थे गिरिराज सिंह, AAP पार्षद शहज़ादुम्मा सैफी ने कर दिया हमला: दाढ़ी-टोपी का नाम ले बोले केंद्रीय मंत्री –...

शहजादुम्मा मूल रूप से बेगूसराय के लखमिनिया का रहने वाला है। वह आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है जो वर्तमान में लखमिनिया से वार्ड पार्षद भी है।

चुनाव आयोग ने मानी बिश्नोई समाज की माँग, आगे बढ़ाई मतदान और काउंटिंग की तारीखें: जानिए क्यों राजस्थान में हर वर्ष जमा होते हैं...

बिश्नोई समाज के लोग हर वर्ष गुरु जम्भेश्वर को याद करते हुए आसोज अमावस्या मनाते है। राजस्थान के बीकानेर में वार्षिक उत्सव में भाग लेते हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -