जहाँ अल्लू अर्जुन की फिल्म ‘पुष्पा’ ने एक सप्ताह में 229 करोड़ रुपए बटोर लिए हैं, रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की ’83’ को सुस्त प्रतिक्रिया मिली है। ‘पुष्पा’ के निर्माताओं ने ही जानकारी दी है कि फिल्म ने एक सप्ताह में 229 करोड़ रुपए की कमाई की है। वहीं हिंदी में इसकी नेट कमाई 30 करोड़ रुपए के आसपास है। साथ ही ये जानकारी भी सामने आई है कि अब तक ‘BookMyShow’ नामक एप से ‘पुष्पा’ के 35 लाख टिकट बिक चुके हैं।
BLOCKBUSTER First Week for #PushpaTheRise 💥💥
— Pushpa (@PushpaMovie) December 24, 2021
With MASSive 229 CR Gross worldwide, #PushpaTheRise enters into the 2nd week grandly 🔥#PushpaBoxOfficeSensation @alluarjun @iamRashmika @aryasukku #FahadhFaasil @ThisIsDSP @adityamusic @Tseries @MythriOfficial pic.twitter.com/bSKKSgHCB2
वहीं 1983 क्रिकेट विश्व कप में भारत की बड़ी जीत पर बनी फिल्म ’83’ ने सभी भाषाओं में मिला कर पहले दिन मात्र 12.64 करोड़ रुपए की ही कमाई की। वहीं विदेश में इसकी कमाई 11.81 करोड़ रुपए रही। इस फिल्म के निर्देशक कबीर खान हैं, जबकि दीपिका पादुकोण इसके निर्माताओं में से एक हैं। उन्होंने इस फिल्म में एक किरदार भी निभाया है। मास पॉकेट्स में ’83’ को काफी धीमी शुरुआत मिली है, जबकि महँगे मल्टीप्लेक्स में इसे देखा जा रहा है।
हालाँकि, उधर ‘स्पाइडर मैन: नो वे होम’ ने भारत में 154 करोड़ रुपए का नेट बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कर के धमाल मचा दिया है। दीपिका पादुकोण ने ’83’ की रिलीज से पहले मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में जाकर भी दर्शन किया। फिल्म में उन्होंने पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान कपिल देव (जिनकी भूमिका दीपिका के पति रणवीर सिंह निभा रहे हैं) की पत्नी रोमी भाटिया का किरदार निभाया है। 22 दिसंबर को ’83’ का प्रीमियर हुआ था। दीपिका पादुकोण की आने वाले दिनों में ‘द्रौपदी’ और ‘फाइटर’ सहित कई फ़िल्में आने वाली हैं।
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जब जनवरी 2020 में CAA (नागरिकता संशोधन बिल) को लेकर समझाने और अपना स्टैंड रखने के लिए फिल्म समुदाय के साथ बैठक की थी, तो उसमें ’83 (2021)’, ‘न्यूयॉर्क (2009)’, ‘एक था टाइगर (2012)’ ‘बजरंगी भाईजान (2015)’ और ‘ट्यूबलाइट (2017)’ के निर्देशक कबीर खान नहीं पहुँचे थे। उन्होंने व्यस्तता का हवाला देते हुए बैठक में हिस्सा नहीं लिया था और कहा था कि गुंडे यूनिवर्सिटी में घुस कर छात्रों को पीट रहे हैं तो चर्चा करने के लिए है ही क्या?
उन्होंने उस बैठक को ‘डिनर मीटिंग’ बताते हुए कहा था कि ये चीजें बाद में हो सकती हैं, लेकिन हँसते हुए गुंडों ने छात्रों को पीटा वो दिल दहलाने वाला है। बता दें कि तब JNU में वामपंथी गुंडों ने हॉस्टलों में घुस कर ABVP के छात्रों की पिटाई की थी, जबकि नैरेटिव इसके उलट बनाया गया था। दीपिका ने तब JNU जाकर वामपंथी दलों के छात्रों को अपना समर्थन भी जताया था। तब कबीर खान ने ‘राजनीति और समाजिक मामलों में धर्म को घुसाने’ को त्रासद बताते हुए कहा था कि जो फ़िल्मी हस्तियाँ इसके खिलाफ आवाज़ उठाती हैं, उन पर हमले होते हैं इसीलिए हो सकता है वो कई कारणों से डरे हुए हों।