एक पत्रकार हैं। नाम है – आरफा खानम शेरवानी। TheWire नाम के संस्थान के लिए काम करती हैं। पत्रकार हैं तो इंटरव्यू वगैरह भी लेती हैं। एक दिन मनोज वाजपेयी का इंटरव्यू लेने गईं। मनोज वाजपेयी फिल्मी कलाकार हैं। लेकिन इंटरव्यू में सिनेमा के अलावा सब कुछ है। और खत्म होते-होते तो यह मानो एक कॉमेडी फिल्म बन गई।
आरफा ने TheWire की पत्रकारिता की राह पर चलते हुए मनोज वाजपेयी पर ‘खतरे में लोकतंत्र’ और ‘लोकतंत्र भारत में बचेगा या नहीं’ जैसे भयंकर शब्द जाल फेंके। लेकिन मनोज उसमें फँसे नहीं। मुस्कुराते हुए कह कर निकल गए कि देश में लोकतंत्र सुरक्षित है। और आश्चर्य जताते हुए यह भी कहा कि पता नहीं क्यों लोगों को खतरा महसूस होता है!
काफी दिन बाद कुछ अच्छा देखने को मिला ।
— Ashish Kohli 🇮🇳 (@dograjournalist) June 28, 2020
पत्रकार जी यह मनोज जी है ।
More Power to the Family Man @BajpayeeManoj Ji #जयहिंद pic.twitter.com/WsZYFt7Dde
अपनी बात को घुमाते हुए, शब्दों को लपेटते हुए आरफा खानम शेरवानी ने कुछ अपने ‘ढंग’ का मनोज वाजपेयी से कहलवाना चाहा। लेकिन मनोज कहाँ फँसने वाले। वो तो जिस राज्य से आते हैं, वहाँ लोग चाय की दुकान पर गपियाते हुए सरकार बना देते हैं, कुर्सी गिरा देते हैं। उल्टे मनोज ने आरफा की बोलती बंद कर दी, यह कहकर कि हर 4-5 साल पर चुनाव होता है, जिसे सरकार से दिक्कत है, वो उसके खिलाफ चुनाव लड़ ले।
TheWire में काम करने वाली आरफा को इंटरव्यू पूरा करना था, वो भी अपने चुने गए शब्दों के अनुसार। क्योंकि यह काम है और काम पूरा होने पर ही पैसे मिलते हैं। किसी भी तरह से लगी रहीं। जावेद जाफरी का उदाहरण (फेक भी हो सकता है, उबर-ओला ड्राइवर जैसे उदाहरण देना इनका अब आम हो चुका है) तक दे दिया। बताया कि जावेद ने कभी उनसे कहा था कि कलाकार राजनीति पर इसलिए मुँह नहीं खोलते क्योंकि फिर उन्हें काम नहीं मिलता। लेकिन मनोज वाजपेयी ने गैंग्स ऑफ वासेपुर स्टाइल में जवाब दिया – “मुझे ऐसा नहीं लगता।”
राजनीति के सवालों में हार देखती आरफा ने इसके बाद फिल्मों का रुख किया। लेकिन जोड़ा उसमें भी राजनीति ही। ‘पद्मावत’ का नाम लेकर TheWire में काम करने वाली आरफा ने पूछ डाला कि क्या सिनेमा के जरिए किसी खास वर्ग की छवि को बर्बाद किया जा रहा है? इस पर मनोज वाजपेयी ने इतिहासकार की तरह जवाब दिया। मुगले-आजम सिनेमा का उदाहरण देते हुए मनोज ने कहा कि क्या वो सत्य या इतिहास के आस-पास था? नहीं था तो फिर ‘पद्मावत’ को लेकर इतना बवाल क्यों? मनोज ने बताया कि उन्होंने ‘पद्मावत’ एक सिनेमा के तौर पर देखी है और उन्हें अच्छी लगी।
अंत में मनोज वाजपेयी ने आरफा को बिना सवाल पूछे उरी फिल्म के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उस सिनेमा में विक्की कौशल के बहनोई की मौत वाली सीन पर उन्हें रोना आ गया क्योंकि वो सिनेमा में डूब कर कहानी और किरदार को जीते भी हैं, देखते भी हैं। यह उदाहरण देकर जाने-अनजाने मनोज वाजपेयी ने आरफा की दुखती रग पर नमक रगड़ दिया। वो इसलिए क्योंकि TheWire ने उरी फिल्म को जहरीले स्तर की अति-देशभक्ति (toxic, hyper-nationalism) बताया था।