भारत के खिलाफ दुर्भावना रखने वाला बीबीसी (BBC) रामानंद सागर के ‘रामायण’ के अधिकार ख़रीद कर भगवान राम का मजाक बनाना चाहता था। ये खुलासा ख़ुद रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने किया है, जो रामायण के निर्माण में अपने पिता के साथ शामिल थे। उनका मानना है कि उनके पिता एक ऋषि की तरह थे, जिन्होंने इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में रामायण को फिर से लिखा। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान रामायण के प्रसारण की अद्भुत सफलता पर भी ख़ुशी जताई।
दरअसल, ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने रामायण की सफलता से जल-भुन कर राख होते हुए कहा था कि कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन में बंधक रखे गए दर्शक वर्ग के कारण ये विश्व का सबसे ज्यादा टीआरपी वाला शो बना। प्रेम सागर ने ‘स्वराज्य मैग’ को इंटरव्यू देते हुए कहा कि अगर ऐसी ही बात थी तो सिर्फ़ रामायण ही क्यों? सभी चैनलों के दर्शक लॉकडाउन में थे। उन्होंने कहा कि डीडी नेशनल तो वैसे भी बाकियों से पिछड़ा ही हुआ था।
प्रेम सागर ने हर्षा भट को इंटरव्यू देते हुए कहा कि रामायण का कोई प्रतियोगी नहीं है और नंबर-1 है, बाकि शो से काफी आगे है। साथ ही उन्होंने विदेशी मीडिया को भी पक्षपाती करार दिया। इस सम्बन्ध में उन्होंने एक वाकया सुनाया। 90 के दशक के दौरान ‘वाशिंगटन पोस्ट’ के 2 पत्रकार उनका इंटरव्यू लेने आए थे जो सामने में बड़ी मीठी-मीठी बातें कर रहे थे लेकिन वापस जाकर उन्होंने नीचा दिखाने के लिए कुछ भी लिख डाला।
इसी क्रम में उन्होंने बीबीसी (BBC) वाले वाकये को याद किया। बीबीसी (BBC) पूरे एशिया में रामायण के प्रसारण के लिए राइट्स ख़रीदना चाहता था। प्रेम सागर ने बताया कि वो अपने पिता रामानंद सागर, अरुण गोविल और अरविन्द त्रिवेदी के साथ बीबीसी (BBC) के लिवरपूल स्थित स्टूडियो में गए। उसके बाद कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर होना था। बता दें कि रामानंद सागर के रामायण में अरुण ने भगवान श्रीराम का और अरविन्द त्रिवेदी ने लंकापति रावण का किरदार निभाया था।
बकौल प्रेम सागर, बीबीसी (BBC) चाहता था कि रामायण में मुख्य किरदार निभाने वाले अरुण गोविल भगवान श्रीराम की वेशभूषा में उसके पूरे स्टूडियो का चक्कर लगाएँ, ताकि वो इस दृश्य को कैमरे द्वारा शूट कर सके। प्रेम सागर ने कहा, “मुझे और मेरे पिता को उसी समय समझ आ गया कि ये एक बड़ी साज़िश है। इसके तहत उन्होंने भगवान राम की पवित्र और दिव्य छवि को बदनाम करने की योजना बनाई थी। वही भगवान राम, जिन्हें भारत के कण-कण में पूजा जाता है।” रामानंद सागर ने ऐसा करने से अस्वीकार कर दिया।
#RamanandSagar‘s son Prem Sagar reveals why they didn’t allow #BBC to telecast Ramayan. He says the West has not been able to understand the virtue of #Ramayan yet. https://t.co/cZkC3xdtpy
— India.com (@indiacom) May 18, 2020
इसके बाद बर्मिंघम में स्थित बीबीसी (BBC) के दफ्तर से यहाँ के अधिकारियों की काफी देर तक बातचीत हुई और उन्होंने इस कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने से मना कर दिया क्योंकि रामानंद सागर ने उनकी शर्त नहीं मानी। प्रेम सागर ने बताया कि उनके पिता रामानंद सागर एक सच्चे रामभक्त थे। बचपन में उनका नाम ‘राम आनंद’ था। प्रेम सागर ने कहा कि रामायण काल से परे है, इससे मिलने वाली सीख और सिद्धांत हमेशा प्रभावी रहेंगे।