Wednesday, May 8, 2024
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क्रीम-पाउडर बेचने वाली प्रियंका चोपड़ा को अब पछतावा, हॉलीवुड में पहचान बनाए रखने की मजबूरी या ‘दिवाली-सिगरेट’?

दिवाली में उन्हें साँस की दिक्कत होती है और छुट्टी पे जाते ही सिगरेट पीने से गुरेज नहीं होता। यह प्रियंका चोपड़ा हैं। अब उन्हें क्रीम-पाउडर के प्रचार से दिक्कत है। उनकी एक किताब भी आ रही है... शायद मार्केटिंग के लिए!

बॉलीवुड-हॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा एक बार फिर चर्चा में आई हैं। इस बार मुद्दा फेयरनेस क्रीम है। प्रियंका को पछतावा है कि उन्होंने भारत में फेयरनेस क्रीम के ऐड किए। अपने हालिया इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उन्हें भारत में फेयरनेस क्रीम के विज्ञापन के लिए विरोध झेलना पड़ा और हॉलीवुड में उन्होंने ऐसे कैंपेन में भाग लेना बंद कर दिया।

अपनी एक नई प्रोफाइल में प्रियंका चोपड़ा ने बताया कि एक भारतीय एक्टर के लिए फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन करना कितनी साधारण बात है। इसके बारे में प्रियंका चोपड़ा ने अपनी लॉन्च होने वाली बुक ‘अनफिनिश्ड’ में खुल कर बात की है।

उनकी ये किताब 9 फरवरी 2021 को रिलीज हो रही है। इसमें उन्होंने अपने बचपन, यूएस में रंग-रूप को लेकर होने वाला भेदभाव और मिस इंडिया व मिस वर्ल्ड के साथ बॉलीवुड-हॉलीवुड के सफर पर बात की है

प्रियंका चोपड़ा ने इंटरव्यू में कहा, ”साउथ एशिया में स्किन लाइटनिंग को एंडोर्स करना आम बात है। इंडस्ट्री इतनी बड़ी है कि हर कोई कर रहा है। बल्कि, आज भी इसे ठीक माना जाता है। महिला एक्टर इसे करती है, लेकिन यह गलत बात है। मेरे लिए भी यह करना गलत था। एक छोटी बच्ची जो चेहरे पर टैल्कम पाउडर लगाती थी, क्योंकि मुझे लगता था कि डार्क स्किन होना अच्छी बात नहीं है।”

याद दिला दें कि प्रियंका चोपड़ा हाल में ब्लैक लाइव्स मैटर कैंपेन का भी हिस्सा बनीं थीं और उससे पहले उन्होंने साल 2015 में बरखा दत्त को दिए अपने साक्षात्कार में भी कहा था, 

“मैं इसे लेकर बहुत बुरा महसूस करती थी, इसलिए मैंने फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन करना बंद कर दिया। मेरे सारे भाई-बहन गोरे-चिट्टे थे। मैं ही केवल साँवली थी, क्योंकि मेरे पिता सांवले थे। सिर्फ मजे लेने के लिए मेरी पंजाबी फैमिली मुझे काली, काली, काली बुलाते थे। 13 साल की उम्र में मैं फेयरनेस क्रीम लगाना चाहती थी और चाहती थी कि मेरा सांवलापन दूर हो जाए।”

गौरतलब हो कि आज के समय में प्रोग्रेसिव विचारों की वाहक बन समय-समय पर चर्चा में आ जाने वाली प्रियंका चोपड़ा हमेशा से इस तरह की सोच नहीं रखती थीं। जिन प्रियंका को आज पछतावा है कि उन्होंने भारत में फेयरनेस क्रीम के ऐड किए, वही प्रियंका इन विज्ञापनों के जरिए खासी ख्याति पा चुकी हैं। 2008 से 2012 का समय ऐसा था, जब हर चैनल और बड़े बैनर पर प्रियंका चोपड़ा ही विज्ञापनों में छाई होती थीं।

केवल फेयनेस क्रीम की बात करें तो प्रियंका सबसे पहले 2008 में Ponds के साथ जुड़ीं और बाद में उन्होंने गार्नियर के लिए उसे छोड़ दिया था। इसके बाद एक इंटरव्यू में प्रियंका को ये कहते हुए पाया गया कि आखिर उन्होंने Ponds क्रीम को क्यों एंडोर्स किया। इसमें उन्होंने यहाँ तक कहा था कि Ponds झूठे दावे नहीं करती। रातों रात आपको गोरी-गोरी नहीं बनाती। क्रीम आप गुलाबी निखार देती है।

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अब सोचने वाली बात है कि एक साल में ऐसा क्या हुआ कि प्रियंका चोपड़ा अचानक इन क्रीम्स के ऐड पर पछतावा जताने लगीं और साल 2015 में ये कह दिया कि वह इसे लेकर बुरा महसूस करती हैं। तो बता दें कि वजह उनका वाकई एक दंभ के ख़िलाफ़ जागरूक होना नहीं है। बल्कि उनकी अपनी प्रवृत्ति है, जो उन्हें हर बार अवसरवादी दर्शाती है और दिखाती है कि वह भारत में रहते हुए फेयरनेस क्रीम को एंडोर्स कर सकती हैं व हॉलीवुड के मार्केट में बने रहने के लिए अपने साँवलेपन को। बिलकुल वैसे ही जैसे दिवाली में उन्हें साँस की दिक्कत होती है और छुट्टी पे जाते ही सिगरेट पीने से गुरेज नहीं होता।

याद करिए साल 2015 में जब प्रियंका ने पहली बार इस मुद्दे पर पछतावा जताया था! वह वही समय था, जब प्रियंका ने क्वांटम मूवी से हॉलीवुड में एंट्री की और अधिकतर गोरे कलाकारों में उनकी पहचान एक ब्राउन गर्ल बनकर उभरी। इसके बाद ही उन्होंने खुद को वहाँ स्थापित करने के लिए अपने रंग को एंडोर्स करना शुरू किया और एक गिरोह के बीच में नारीवाद का वो चेहरा बनतीं गईं, जो सशक्त है व अपने विचारों पर खुल कर बात करती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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