जनवरी 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई रूह कॅंपा देने वाली बर्बरता से हम सब वाकिफ हैं। इस पर ‘शिकारा’ नाम से एक फिल्म लेकर आ रहे हैं विधु विनोद चोपड़ा। यह फिल्म 7 फरवरी को रिलीज होनी है। उससे पहले चोपड़ा ने कहा है कि कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित उनकी इस फिल्म का मकसद समुदाय के लिए दुख का अहसास कराना नहीं है। यह दिखाना है कि किस तरह उन्होंने त्रासदी का डट कर सामना किया।
यह बात उन्होंने फिल्म की 30 मिनट की विशेष स्क्रीनिंग के दौरान कही। चोपड़ा ने बताया कि फिल्म में दिखाया गया है कि उस मुश्किल वक्त के बाद किस तरह कश्मीरी पंडित अपनी जिंदगी को वापस पटरी पर लेकर आए।
चोपड़ा ने पत्रकारों से कहा, “हमारे घर छीन लिए गए थे। यह ऐसी चीज हैं जिसको लेकर हमारा रुख अडिग है। इस कहानी को बयॉं करने के लिए हिम्मत चाहिए और वह भी ऐसे अंदाज में बयॉं करने के लिए कि लोग इसे देखने आएँ। हम ऐसी फिल्म नहीं बनाना चाहते थे जिसे दो लोग देखें और कहें ‘ओह, देखो इनके साथ कितना बुरा हुआ’।”
Aye vaadi shehzaadi, bolo kaisi ho,
— Vidhu Vinod Chopra Films (@VVCFilms) January 29, 2020
Kuchh barson se toot gaya hun khandit hun
Vaadi tera beta hun main pandit hun
Vidhu Vinod Chopra reciting some lines from Shikara#ShikaraTrailer2: https://t.co/sbLWyHuwcn#HumWapasAayenge #VidhuVinodChopra @Irshad_Kamil @foxstarhindi pic.twitter.com/vp21Qesxrc
उन्होंने कहा, “हम ऐसी फिल्म बनाना चाहते थे जहॉं आप देखें कि हमारे साथ क्या हुआ और उसके बावजूद हम अपने जीवन में उम्मीद के सहारे खड़े रहे। हम भिखारी नहीं हैं। हमने सरकार के सामने अपने हाथ नहीं फैलाए बल्कि हम अपने पैरों पर खड़े रहे। यह छोटी नहीं, बल्कि बड़ी बात है।”
चोपड़ा ने कहा कि ‘शिकारा’ एक मनोरंजक फिल्म है लेकिन लोगों को सिनेमा घर तक लाने के लिए कहानी की रूह के साथ खिलवाड़ नहीं किया गया। फिल्मकार ने कहा कि फिल्म उनकी मॉं को समर्पित हैं, जिनका 2007 में निधन हो गया था।