Saturday, November 23, 2024
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एक नंबर का शराबी और नशेड़ी था जहाँगीर, एक बार में पी जाता था 20 ग्लास दारू: अंग्रेज अधिकारी की गर्लफ्रेंड को ताड़ता था

जहाँगीर के बारे में कई इतिहासकारों ने माना है कि वो शराबी था। उसने शराब पीने के मामले में अपने सारे पूर्वजों के रिकॉर्ड्स तोड़ दिए थे और 1605 में गद्दी पर बैठने के साथ उसक ये शौक और परवान चढ़ा। वो शराब का इतना शौक़ीन था कि एक बार बैठता था तो 20 कप डबल डिस्टिल्ड दारू पी जाता था।

भारत के कुछ राज्यों में शराबबंदी इसीलिए हुई क्योंकि दारू पीकर लोगों को होश नहीं रहता था और वो अपनी सारी कमाई उसमें ही उड़ा देते थे, जिसका खामियाजा घर की महिलाओं को प्रताड़ना के रूप में भुगतना पड़ता था। लेकिन, भारत के इस्लामी आक्रांताओं में एक ऐसा भी बादशाह हुआ है, जिसने अंग्रेजों को सिर्फ अपना ड्रिंकिंग पार्टनर ही नहीं बनाया, बल्कि उन्हें भारत में रह कर यहाँ के लोगों को लूटने तक की अनुमति भी दे दी। शराबी जहाँगीर अंग्रेजों के साथ भी जम कर दारू पीता था।

वो सितंबर 1615 का महीना था, जब सर थॉमस रो ने अंग्रेजों की तरफ से बतौर राजदूत भारत में कदम रखा था। उस समय आगरा में जहाँगीर का दरबार लगा करता था और भारत में अपने पाँव पसारने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी ने किंग जेम्स को इस बात के लिए मना लिया कि वो विद्वान और चतुर थॉमस को आगरा के दरबार में भेजें। उससे पहले वो टैमवर्थ सांसद चुने जा चुके थे। थॉमस रो भारत आए ही नहीं, बल्कि जहाँगीर के फेवरिट भी बन गए।

इसका कारण था- अल्कोहल। जहाँगीर के बारे में कई इतिहासकारों ने माना है कि वो शराबी था। उसने शराब पीने के मामले में अपने सारे पूर्वजों के रिकॉर्ड्स तोड़ दिए थे और 1605 में गद्दी पर बैठने के साथ उसक ये शौक और परवान चढ़ा। वो शराब का इतना शौक़ीन था कि एक बार बैठता था तो 20 कप डबल डिस्टिल्ड दारू पी जाता था। बता दें कि जब भी शराब को गर्म किया जाता है और उसे भाप में बदल कर फिर से वापस शराब बनाया जाता है, तो इसे डिस्टिल करना कहते हैं।

वो गुरुवार की शाम को और शुक्रवार को नहीं पीता था। चूँकि इस दिन उसके पिता अकबर का जन्म हुआ था, इसीलिए वो इस दिन परहेज किया करता था। लेकिन, सबसे ज्यादा आश्चर्य वाली बात ये है कि जहाँगीर खुद तो इतना बड़ा शराबी था लेकिन उसने अपने दरबारियों के लिए इस पर प्रतिबंध लगा रखा था। 1616-19 तक आगरा के दरबार में सर थॉमस रो नियमित रूप से जाते रहे थे, इसलिए उन्होंने भी बादशाह की इस आदत के बारे में लिखा है।

1616 में उसने अजमेर में अपना जन्मदिन मनाया था और थॉमस रो को भी वहाँ बुलाया गया था, जहाँ उन्हें सोने के ग्लास में शराब पीने को दिया गया। थॉमस को इतना पिला दिया गया था कि उन्हें छींक पर छींक आ रही थी और बादशाह हँस रहा था। अब थोड़ी उस परिस्थिति की चर्चा कर लेते हैं, जिसने थॉमस रो को भारत में ला पटका था। दरअसल, अंग्रेजों को आसान जीत की आदत लग चुकी थी, लेकिन भारत में उनके लिए ये संभव नहीं था।

भारत में दिल्ली को जीते बिना दक्षिण की तरफ नहीं बढ़ा जा सकता था और मुगलों को जीतना इतना आसान नहीं था क्योंकि उन्होंने कई तौर-तरीके आजमा कर भारतीय राजाओं को हराया था और कुछ को साथी बना लिया था। अंग्रेजों को ये दाँव-पेंच समझने में कई वर्ष लग जाने थे। मुग़ल खुद आक्रांता थे, उनकी 40 लाख की विशाल फ़ौज थी और अव्वल तो ये कि भारत में कई राज्य थे जो आपस में ही लड़ते-मरते रहते थे।

ऐसे में अंग्रेजों ने मुगलों को अपना दोस्त बना कर भारत में व्यापार के जरिए पाँव पसारने और धीरे-धीरे यहाँ अपने पार्टनर बनाने की नीति पर जोर दिया। पुर्तगाली पहले से ही भारत में जमे हुए थे, उन्हें हटाना भी एक अलग समस्या थी। थॉमस रो अपने साथ कई शिकारी कुत्ते और ढेर सारी पेंटिंग्स के अलावा अन्य बहुमूल्य गिफ्ट लेकर आगरा आए थे। एक कूटनीतिज्ञ होने के कारण उन्हें पता था कि जहाँगीर शराबी है, इसीलिए वो अपने साथ रेड वाइन भी लाए थे।

जहाँगीर को राजकाज के अलावा इधर-उधर की बातें करने में भी खूब मजा आता था। वह थॉमस रो के साथ भी खूब विदेश की बातें करता था। लेकिन चालाक अंग्रेज को पता था कि उन्हें सबसे पहले यहाँ व्यापार बढ़ाने की अनुमति लेनी होगी। दोनों के बीच कई महीनों तक बातचीत चलती रही, लेकिन जहाँगीर व्यापार वाले मुद्दे को सुनता तक नहीं था। सूरत में अंग्रेज पहली फैक्ट्री स्थापित कर चुके थे, ऐसे में उन्हें उसके लिए भी कई फेवर चाहिए थे।

थॉमस रो जब भी इस पर कोई बात करते तो जहाँगीर बाद में बात करने का बहाना देकर इंग्लैंड और वहाँ के द्वीपों के बारे में पूछने लगता था। अंग्रेज अपने लोगों और व्यापारियों के लिए सुरक्षित रूट और माहौल चाहते थे। अंत में जहाँगीर अपने मुद्दे की बात पर आ गया और शराब के बारे में बातें करने लगा। अंग्रेजी शराब पी कर उसे काफी अच्छा लगता खासकर बियर के बारे में वो अक्सर पूछता था कि ये कैसे बनता है, क्या होता है।

वो ये जानने में भी उत्सुकता रखता था कि थॉमस रो कितनी शराब पीते हैं और दिन में कितनी बार पीते हैं। इसी तरह थॉमस रो जहाँगीर के शराब पार्टनर बन गए और उन्होंने अपना काम निकलवाना शुरू कर लिया। इस दौरान ही अंग्रेजों ने व्यापार में कई सहूलियतें ली। लेकिन, पुर्तगाली उनसे भी दो कदम आगे रहे थे और वो जहाँगीर के लिए और भी महँगे-महँगे गिफ्ट लेकर आते थे, जिससे उन्हें ज्यादा फायदा मिलता था।

एक और बात जानने लायक है कि थॉमस रो की कई सारी गर्लफ्रेंड्स थी, जिनमें से एक के चित्र से जहाँगीर खासा प्रभावित था और दावा करता था कि यहाँ के कलाकार उस चित्र को हूबहू बना सकते हैं। उसने उसे एक पत्र भी लिखा था। हालाँकि, जहाँगीर ने अंग्रेजों का दारू तो पिया लेकिन उनके लिए कोई बहुत बड़ा काम किया, इसका कहीं कोई प्रमाण नहीं मिलता। वो पुर्तगालियों को ज्यादा सहूलयितें दिया करता था।

थॉमस रो ने आगरा के दरबार के बारे में भी लिखा है, जहाँ जहाँगीर बैठ कर मुद्दों का निपटारा करता था। लेकिन, वो न तो एक अच्छा प्रशासक था और न ही मिलिट्री कमांडर। रो और उनके साथियों ने लिखा है कि ड्रग्स और शराब की जहाँगीर को इतनी लत थी कि नूरजहाँ को राजकाज के मुद्दे सँभालने पड़ते थे। अंग्रेजों के अनुसार, जहाँगीर की 400 बेगमें थीं और और वो एक नंबर का अय्याश भी था।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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