Friday, March 29, 2024
Homeसोशल ट्रेंडअब पेठा भी हुआ मुगलों का! वामपंथियों के अनुसार हम भारतीय सिर्फ घास-फूस खाते...

अब पेठा भी हुआ मुगलों का! वामपंथियों के अनुसार हम भारतीय सिर्फ घास-फूस खाते थे

इतिहास के साथ छेड़छाड़ करके उसे आज की पीढ़ी के सामने रखना सोशल मीडिया पर एक प्रचलन की तरह है। संस्कृति, सभ्यता से लेकर खाने-पीने तक की चीजों में नैरेटिव घुसाने की कोशिश अक्सर यहाँ होती रहती है। हाल ही में कुछ ऐसा ही जलेबी को लेकर हुआ था। इससे पहले बिरयानी को लेकर भी इसी तरह का दावा किया गया था।

लेखक और स्तंभकार शुनाली खुल्लर श्रॉफ ने सोशल मीडिया पर पेठा को लेकर एक आर्टिकल शेयर किया है। इस आर्टिकल में उन्होंने दावा किया कि इस मिठाई का आविष्कार मुगलों ने किया था, इसलिए इसका श्रेय उन्हें ही जाना चाहिए। उन्होंने यह आर्टिकल हिंदुओं पर कटाक्ष करने के स्पष्ट इरादे से शेयर किया, जो कि इस्लामी कट्टरता के कारण मुगलों से नफरत करते हैं।

शुनाली खुल्लर ने कहा, “शाहजहाँ ने अपने रसोइयों को ताजमहल की तरह कुछ शुद्ध और श्वेत बनाने का आदेश दिया और इस तरह से पेठा का अवतरण हुआ। क्या मुगल इतिहास को न मानने वाले अब पेठा छोड़ देंगे?” हालाँकि इसमें एक समस्या थी। रिपोर्ट में उन्होंने अपने दावे के सबूत के रूप में जिसे उद्धृत किया है, वह ठीक इसके विपरीत था।

Shunali Khullar Shroff on petha

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रसिद्ध शिक्षाविद्, समीक्षक और इतिहासकार पुष्पेश पंत ने कहा है, “पेठा गरीब आदमी की मिठाई है और उसका कोई शाही संबंध नहीं है। इसमें दूध या मावा नहीं होता है। यह लौकी और बहुत सारी चीनी के साथ बनाया जाता है, जो कि शाही व्यंजन का संकेत नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि पेठा झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड सहित आगरा से जोड़े जाने के बावजूद भारत के विभिन्न हिस्सों में मिलता है।

उन्होंने कहा, “भारत के कुछ हिस्सों के लोग फलों के ओला कहते हैं और ओला का मुरब्बा नामक कुछ तैयार करते हैं।” वे कहते हैं, “मुरब्बा का मतलब है एक संरक्षण। उन्होंने इसे चीनी सिरप में डुबोया और इसे महीनों तक संरक्षित रखा और इसलिए इसे ओला का मुरब्बा कहा।” 

आगे उन्होंने कहा, “आगरा वह स्थान था जहाँ लोग दूर-दूर की यात्रा के दौरान या रेलगाड़ियों को बदलते समय भोजन प्राप्त कर सकते थे। आज की तुलना में ट्रेनें धीमी और लंबी थीं। लोग पूड़ी और सूखी आलू की सब्जी खाते थे। पेठा बच्चों को खुश रखने और ऊर्जा के स्तर को उच्च रखने के लिए एक सर्वोत्कृष्ट नाश्ता बन गया। चूँकि इसमें खोआ नहीं होता, इसलिए इसे मथुरा के पेड़ा से ज्यादा पसंद किया जाता था। यह यात्रियों के लिए एक उपहार देने वाला विकल्प भी था।”

गौरतलब है कि इतिहास के साथ छेड़छाड़ करके उसे आज की पीढ़ी के सामने रखना सोशल मीडिया पर एक प्रचलन की तरह है। संस्कृति, सभ्यता से लेकर खाने-पीने तक की चीजों में नैरेटिव घुसाने की कोशिश अक्सर यहाँ होती रहती है। ऐसे में तथ्य व तर्क ही इस नैरेटिव को धराशायी करने के कारगर तरीके हैं। हाल ही में कुछ ऐसा ही जलेबी को लेकर हुआ था। इससे पहले बिरयानी को लेकर भी इसी तरह का दावा किया गया था।

इसके अलावा कहा गया कि मुस्लिम भारत में चपाती बनाने की कला, कुल्फी, गुलकंद, गुलाब जामुन, जलेबी, पुलाव, फालुदा, बर्फी, बीरंज, मुरब्बो, हल्वो, शिरो और शक्कर पारा लेकर आए थे।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मुख़्तार अंसारी की मौत: हार्ट अटैक के बाद अस्पताल ले जाया गया था माफिया, पूर्वांचल के कई जिलों में बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था

माफिया मुख़्तार अंसारी को बाँदा जेल में आया हार्ट अटैक। अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित किया। पूर्वांचल के कई जिलों में बढ़ी सुरक्षा व्यवस्था।

‘कॉन्ग्रेस सरकार ने रोक दिया हिन्दुओं का दाना-पानी, मैं राशन लेकर जा रहा था’: विधायक T राजा सिंह तेलंगाना में हाउस अरेस्ट, बोले –...

बकौल राजा सिंह, कॉन्ग्रेस सरकार ने चेंगीछेरला के हिन्दुओं का खाना और राशन तक बंद कर दिया है और जब वो राशन ले कर वहाँ जाने वाले थे तो उनको हाउस अरेस्ट कर लिया गया।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe