Monday, November 25, 2024
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‘उसे पागलखाने में डाल कर उसके विकृत दिमाग का इलाज कराओ’: पेरियार ने ब्राह्मणों के नरसंहार के लिए उकसाया तो नेहरू को आया था गुस्सा, कहता था – ‘संविधान जलाओ’

"एक बात को लेकर मैं स्पष्ट हूँ कि इस तरह की चीज देश पर बहुत ही निरुत्साही प्रभाव डालने वाली है। सभी समाज विरोधी आपराधिक तत्व यही सोचते हैं कि वो इस तरह की चीजें कर सकें।"

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री MK स्टालिन के बेटे और राज्य में युवा एवं खेल मामलों के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया बताते हुए कहा कि इसे खत्म करना है। वो जिस कार्यक्रम में बोल रहे थे, उसे भी ‘सनातन धर्म के खात्मे’ की मंशा के साथ आयोजित किया गया था। विरोध होने के बाद उन्होंने पेरियार का नाम लिया। पेरियार को ही तमिलनाडु की हिन्दू विरोधी द्रविड़ राजनीति का जनक माना जाता है। पेरियार ने ब्राह्मणों, हिन्दू ग्रंथों और हिन्दू देवी-देवताओं पर कई बार अभद्र टिप्पणियाँ की थीं।

सबसे पहले पेरियार के बारे में जानते हैं। पेरियार भारत के सबसे विवादित शख्सियतों में से एक था, जिसका असली नाम था – इरोड वेंकटप्पा रामासामी। उसने तमिलनाडु में ‘द्रविड़ कझगम’ अभियान की शुरुआत की। तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने 2021 से उसके जन्मदिवस को ‘सामाजिक न्याय दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया। कभी कॉन्ग्रेस में रहे पेरियार ने पार्टी पर ब्राह्मणों को फेवर करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था। पेरियार ने हिंदी भाषा का भी विरोध किया। साथ ही अलग देश ‘द्रविड़नाडु’ की भी माँग की।

पेरियार को पहचान मिली ‘वैकोम सत्याग्रह’ से, त्रावणकोर के एक मंदिर में दलितों को एंट्री दिलाने के लिए हुए आंदोलन से। त्रावणकोर राजपरिवार के खिलाफ हुए इस आंदोलन में पेरियार ने बतौर मद्रास कॉन्ग्रेस अध्यक्ष हिस्सा लिया था। फिर उसने ‘सेल्फ-रेस्पेक्ट मूवमेंट’ चलाया। पेरियार ने विदेश यात्रा की, फिर ‘जस्टिस पार्टी’ की स्थापना की। अन्नादुराई को उसने अपने उत्तराधिकारी के रूप में तैयार किया, हालाँकि जब पेरियार ने अपने उम्र से काफी छोटी लड़की से शादी की तो अन्नादुराई उससे अलग हो गए और DMK की स्थापना की।

आज जब पेरियार को समाजिक न्याय के मसीहा के रूप में पेश किया जा रहा है, हमें ये याद करने की ज़रूरत है कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उसके बारे में क्या कहा था। ये वो दौर था, जब पेरियार और कॉन्ग्रेस पार्टी के बीच थोड़ी भी नहीं पटती थी। पेरियार ने एक बार कहा था कि सबसे पहले कॉन्ग्रेस पार्टी तबाह होगी, उसके बाद हिन्दू धर्म तबाह होगा और फिर ब्राह्मणों के प्रभुत्व का अंत होगा। उसने कहा था कि पहली 2 चीजें हो जाएँगी तो तीसरी अपने-आप हो जाएगी। उसने ये भी कहा था कि महात्मा गाँधी की प्रतिक्रिया हमारे अनुरूप नहीं है।

नेहरू ने पेरियार को कहा था ‘पागल’ और ‘विकृत दिमाग’ वाला

यहाँ तक कि पेरियार ने ‘गाँधी को खत्म करने’ की भी बात की थी। यहाँ तक कि उसने महात्मा गाँधी की तस्वीरें जलाने और उनकी प्रतिमाओं को ध्वस्त करने की भी धमकी दी थी। चूँकि पेरियार ने तमिल ब्राह्मणों के नरसंहार के लिए भड़काया था, उस दौरान प्रधानमंत्री रहे नेहरू भी इससे खफा थे। वाकया 4 नवंबर, 1957 का है जब तंजावुर में जातिवाद को मिटाने के नाम पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उस कार्यक्रम में 2 लाख लोग शामिल हुए थे। पेरियार के वजन के बराबर चाँदी के सिक्के एकत्रित किए गए थे।

इसी दौरान पेरियार ने 1000 तमिल ब्राह्मणों के नरसंहार के लिए लोगों को उकसाया। उनकी बस्तियों को जला डालने की बात की। इसके बाद जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री K कामराज को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने पेरियार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था। उन्होंने पत्र के साथ समाचारपत्र की कटिंग भी लगाई थी, जिसमें पेरियार ने ब्राह्मणों के नरसंहार और उनके घरों को जलाए जाने की बात कही थी। नेहरू ने लिखा था कि ये हैरान करने वाला है, क्योंकि इससे सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो सकता है, हत्या भी हो सकती है।

ये पत्र 23 अक्टूबर, 1957 को लिखा गया था। अगले महीने की 5 नवंबर को नेहरू ने फिर से कामराज को पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि EV रामासामी नायकर द्वारा लगातार ब्राह्मण विरोधी अभियान चलाए जाने के कारण वो चिंता में हैं। नेहरू ने याद दिलाया था कि उन्होंने इस बारे में सीएम कामराज को पहले भी लिखा था और उन्हें बताया गया था कि मामला विचाराधीन है। नेहरू ने आशंका जताई थी कि पेरियार न सिर्फ बार-बार इन चीजों को दोहराएगा, बल्कि लोगों को हत्याओं और चाकूबाजी के लिए भी उकसाएगा।

पत्र में जवाहरलाल नेहरू ने लिखा था, “जो पेरियार ने कहा है, वो सिर्फ एक पागल या अपराधी द्वारा ही कहा जा सकता है। मैं उसे पर्याप्त रूप से नहीं जानता, ताकि मैं समझ सकूँ कि वो क्या है। लेकिन, एक बात को लेकर मैं स्पष्ट हूँ कि इस तरह की चीज देश पर बहुत ही निरुत्साही प्रभाव डालने वाली है। सभी समाज विरोधी आपराधिक तत्व यही सोचते हैं कि वो इस तरह की चीजें कर सकें। इसीलिए, मैं आपको सलाह देता हूँ कि इस मामले में कार्रवाई करने में देरी न करें। उसे किसी पागलखाने में डाल कर उसके विकृत दिमाग का इलाज करवाया जाए।”

पेरियार के संबंध में नेहरू का तमिलनाडु के तत्कालीन सीएम को पत्र

इस पत्र में जवाहरलाल नेहरू ने ये भी लिखा था कि कोई अगर उनसे कहे कि कानून तब तक कार्रवाई नहीं करेगा जब तक कि सचमुच में हत्या न हो जाए, तो उन्हें समझ नहीं आता है। साथ ही नेहरू ने लिखा था कि कानून कभी-कभी मूर्ख हो सकता है लेकिन ये इतना भी बेवकूफ नहीं हो सकता है कि वो हत्या के लिए भड़काए जाने के अभियान की अनुमति दे दे। इतना ही नहीं, इसके बाद मद्रास विधान परिषद के सदस्य ए श्रीनिवासन ने EVR की करतूतों के बारे में फिर से नेहरू को बताया और पत्र लिख कर उनका ध्यान खींचा।

इसके बाद नेहरू ने 4 दिसंबर, 1957 को फिर से के कामराज को पत्र लिखा और कहा साथ में MLC द्वारा भेजे गए पत्र को भी संलग्न किया। नेहरू ने लिखा, “मैं देख रहा हूँ कि आप इस अशांति के खिलाफ उचित कदम उठा रहे हैं। जैसा कि मैंने कहा, किसी भी सभ्य देश में ये सबसे बर्बर चीज है जिससे मेरा सामना हुआ है। जिस पत्र को मैंने संग्लन किया है, आशा है कि उनके मन में जो भाव हैं वो और ज़्यादा नहीं बढ़ेंगे। मैं जल्द ही आपसे मिलने की उम्मीद कर रहा हूँ।”

गिरफ्तार हुआ था पेरियार, जेल में लोहिया पहुँचे थे मिलने

1957 में तिरुचिपल्ली में स्पेशल फ़ोर्स के इंस्पेक्टर ने पेरियार के खिलाफ FIR दर्ज कराई। इस FIR में IPC की धारा-117 (10 से अधिक व्यक्तियों के समूह को अपराध के लिए उकसाना) लगाई गई थी। उस समय पेरियार की उम्र 78 साल थी। सोचिए, इस उम्र में भी उसके भीतर इतना ज़हर भरा हुआ था कि उसने ब्राह्मणों के नरसंहार के लिए उकसा दिया। इतना ही नहीं, उसने भारत के संविधान को भी जलाने के लिए लोगों को भड़काया था। उसने संविधान के अनुच्छेद गिनाए थे, जिनके कारण वो इसे जलाना चाहता था।

गिरफ़्तारी के बाद जब पेरियार अस्पताल में था, जब समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया उससे मिलने पहुँचे थे। हालाँकि, पेरियार इतना कट्टर था कि दोनों के बीच बात नहीं बनी। इसका एक कारण ये भी था कि पेरियार घोर उत्तर भारत और हिंदी विरोधी था। डॉ लोहिया द्वारा प्रकाशित पत्र ‘चौखम्भा’ में इसका विवरण छपा था। जी मुरहरि इस दौरान वहाँ पर बतौर दुभाषिया उपस्थित थे। इस दौरान भी पेरियार ने बताया कि नेहरू ने उसे ‘पागल’ कहा है। इस दौरान लोहिया ने पेरियार को समझाया था कि जातिवाद विरोधी आंदोलन को ब्राह्मण विरोध की तरफ नहीं मोड़ना चाहिए।

इस पर पेरियार ने कहा था कि सारे समाचार-पत्र ब्राह्मणों के हाथ में हैं और वो उसे बदनाम करना चाहते हैं। उसने ये भी कहा था कि वो खुद को नियंत्रित रखने की कोशिश करता है। पेरियार की बयानबाजी के कारण सेशन जज ने उसे 6 महीने की सज़ा भी सुनाई थी। आज कॉन्ग्रेस पार्टी पेरियार की विचारधारा पर चल रही DMK के साथ तमिलनाडु की सत्ता में है। महात्मा गाँधी को खत्म करने की बात करने वाले पेरियार को महान बताती है। कॉन्ग्रेसी लोग पेरियार को मसीहा बना कर पेश करते हैं।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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