केरल के कोल्लम जिले के एक गाँव में महाभारत के खलनायक दुर्योधन का अनोखा मंदिर है। स्थानीय लोग दुर्योधन को अपना रक्षक मानकर पूजा करते हैं और उसे प्यार से ‘दादा’ कहकर बुलाते हैं। इतना ही नहीं, इस मंदिर द्वारा दुर्योधन के नाम से भारत सरकार को टैक्स भी दिया जाता है। माना जाता है कि दुर्योधन को समर्पित यह भारत का एकमात्र मंदिर है।
यह मंदिर कोल्लम जिले के पोरुवाझी गाँव में स्थित है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, इस मंदिर की जमीन के लिए दुर्योधन के नाम से टैक्स भी भरा जाता है। यह टैक्स मंदिर की आय पर नहीं लगाया जाता है, क्योंकि देश में मंदिर की आय पर कर नहीं लगता है। यह कर मंदिर के नाम पर गाँव और उसके आसपास स्थित 15 एकड़ जमीन पर लगाया जाता है।
एक स्थानीय अधिकारी के मुताबिक, “जब मंदिर के लिए पट्टयम जारी किया गया तो यह जमीन मंदिर के देवता के नाम पर पंजीकृत थी। सर्वे में जमीन का स्वामित्व दुर्योधन के नाम पर है। जब से केरल में करों की शुरुआत हुई, तब से इस मंदिर की जमीनों का कर दुर्योधन के नाम पर चुकाया जाता है।” मंदिर समिति के सचिव के अनुसार, 15 एकड़ जमीन में 8 एकड़ धान का खेत है, बाकी वन भूमि है।
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि अपनी यात्रा के दौरान दुर्योधन इस गाँव में रूका था। उसे प्यास लगी थी, लेकिन पानी नहीं मिल रहा था। उसी दौरान एक दलित महिला ने उन्हें ताड़ी (देशी मद्य) पिलाई। दुर्योधन ने खुशी-खुशी ताड़ी पी ली। इसके बाद दुर्योधन ने महिला और उसके गाँव को आशीर्वाद दिया। साथ ही दुर्योधन ने गाँव वालों को जमीनें भी दान में दीं।
दुर्योधन के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए ग्रामीणों ने उनका मंदिर बनवा दिया। दुर्योधन के इस मंदिर का नाम ‘पेरिविरुथी मलानाडा’ है। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहाँ दुर्योधन की मूर्ति नहीं है, बल्कि उसके शस्त्र गदा की पूजा की जाती है। साथ यहाँ ताड़ी एवं अन्य नशीले पदार्थों का भोग लगता है। प्रसाद के रूप में ताड़ी बाँटा जाता है। लोगों का कहना है कि इससे देवता प्रसन्न रहते हैं।
कोल्लम और आसपास के लोग दुर्योधन को सौम्य एवं दयालु देवता मानते हैं। उनका मानना है कि दुर्योधन आज भी उनकी रक्षा करता है। इसलिए गाँव के लोग उसे ‘अप्पूपा’ (दादा) कहकर बुलाते हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, मंदिर और उसके आसपास की जमीन दुर्योधन की है। वहीं, दुर्योधन हर साल भारत सरकार को टैक्स चुकाता है।