Wednesday, November 13, 2024
Homeविविध विषयअन्यनाश्ते में बिस्किट, एक कमरे में 4 खिलाड़ी, खुद कपड़े साफ: टीम एनालिस्ट (पूर्व)...

नाश्ते में बिस्किट, एक कमरे में 4 खिलाड़ी, खुद कपड़े साफ: टीम एनालिस्ट (पूर्व) ने बताई क्या थी भारतीय हॉकी की दुर्दशा

उन्हें पता चला था कि लॉन्ड्री की कोई व्यवस्था नहीं है, खिलाड़ियों को अपने कपड़े भी खुद ही साफ़ करने पड़ते हैं। साधारण होटल में एक कमरे में 4 खिलाड़ियों को रहना पड़ता था।

भारतीय हॉकी टीम के एनालिस्ट रहे प्रसन्ना लारा ने एक वीडियो में स्पिन गेंदबाज आर अश्विन से बात करते हुए कुछ बड़े खुलासे किए। उन्होंने बताया कि पहले हॉकी की राष्ट्रीय टीम की क्या दुर्दशा थी। प्रसन्ना लारा क्रिकेट एनालिस्ट के रूप में भी जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि ये एक दिल को पसीजा देने वाली कहानी है, क्योंकि हमारे हॉकी खिलाड़ियों ने काफी मेहनत व कष्ट सहने के बाद कांस्य पदक हासिल किया है।

उन्होंने अपना व्यक्तिगत अनुभव शेयर करते हुए बताया कि जब वो भारतीय हॉकी टीम के साथ काम कर रहे थे, तब उन्होंने देखा था कि एक कमरे में चार-चार खिलाड़ियों को रहने के लिए मजबूर किया जाता था। उन्होंने बताया कि साधारण होटल में उनके रहने की व्यवस्था की जाती थी। प्रसन्ना लारा ने बताया कि इसके उलट जब वो भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम के साथ काम करते थे, तो खिलाड़ियों को पाँच सितारा होटल में अलग-अलग कमरे दिए जाते थे।

प्रत्येक कमरे के लिए रोज 5000 रुपए का खर्च आता था। मैच फी अलग से मिलती थी। पाकिस्तान से हार के बावजूद टीम को रुपए मिले। आश्विन ने भी इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि जब वो अंडर-17 टीम की तरफ से खेल रहे थे तो श्रीलंका की राजधानी कोलंबो स्थित ‘ताज समुद्र’ होटल में खिलाड़ियों को ठहराया गया था और एक कमरे में दो खिलाड़ी होते थे। जबकि हॉकी के साथ इसका उलटा था।

प्रसन्ना लारा ने बताया कि जब वो भारतीय हॉकी टीम के साथ नए-नए जुड़े थे तो खिलाड़ी सरदारा सिंह ने उन्हें बताया कि शाम के 6:30 में डिनर मिलता है। सरदारा सिंह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहे हैं। लारा ने कहा कि उन्हें इतनी जल्दी खाने की आदत नहीं थी, लेकिन फिर पता चला कि अगर उस समय खाना मिस हो गया तो कैंटीन बंद कर दिया जाता है। सुबह के 7 बजे नाश्ता और दोपहर के 12:30 में भोजन दिया जाता था।

जब प्रसन्ना लारा ने अपने ‘डेली अलाउएंस’ के इस्तेमाल की बात कही तो वो ये जान कर हैरान रह गए कि हॉकी के खिलाड़ियों के लिए इस तरह की किसी चीज का प्रावधान ही नहीं था। अगले दिन जब उन्होंने लॉन्ड्री की खोज की तो पता चला कि खिलाड़ियों को अपने कपड़े भी खुद ही साफ़ करने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि जब वो जुड़े थे तब हॉकी टीम कई विदेशी टीमों को हरा चुकी थी और ओलंपिक के लिए प्रबल दावेदार थी, लेकिन फिर भी उनके लिए इस तरह की व्यवस्था थी।

उन्होंने बताया कि 2008 में ओलंपिक क्वालीफायर खेलने के लिए टीम को बेंगलुरु से मुंबई और फिर वहाँ से जोहान्सबर्ग के लिए जाना था। लेकिन, मुंबई एयरपोर्ट पर 6:30 घंटे का वेटिंग टाइम था। क्रिकेटरों को ऐसे में समय बिताने के लिए लाउन्ज मिलते हैं, लेकिन हॉकी के खिलाड़ियों को एयरपोर्ट पर बैठ कर ही समय व्यतीत करना था। जोहान्सबर्ग के लिए 11:30 घंटे की यात्रा थी, जिसके बाद ब्राजील के साओ पाउलो जाने के लिए 12 घंटे का वेटिंग टाइम था।

इसके बाद उन्हें चिली जाना था, जहाँ की यात्रा में ब्राजील से 4:30 घंटे का समय लगा। इस तरह से बेंगलुरु से चिली जाने के लिए भारतीय हॉकी टीम को 72 घंटे सफर में गुजारने पड़े थे। इसके अगले ही दिन मैच था, लेकिन नाश्ते की कोई व्यवस्था नहीं थी। 12:30 से मैच था। ऐसे में 11 बजे नाश्ते में बिस्किट दी गई। फिर ग्राउंड पर केला, बिस्किट और पानी ले जाने को कहा गया, क्योंकि वहाँ खाने की कुछ भी व्यवस्था नहीं थी।

आर आश्विन से बात करते हुए प्रसन्ना लारा ने बताई क्या थी भारतीय हॉकी टीम की दुर्दशा

प्रसन्ना लारा ने कहा कि मेडल विजेता राष्ट्रीय हॉकी टीम की ये स्थिति थी। उन्होंने बताया कि उन्हें मैच फी तक नहीं मिलता था, वो बस अपने पैशन के कारण वहाँ गए थे। उन्होंने कहा कि क्रिकेट टीम के साथ जब यही एनालिस्ट काम करते हैं तो एक हाथ से कॉफी पीते रहते हैं और दूसरे से टाइप करते रहते हैं। वहीं हॉकी टीम के साथ रहते हुए उन्हें अपने सारे समान लेकर 100 फ़ीट ऊपर चढ़ना पड़ा।

उन्होंने बताया कि मैच के दौरान सिर्फ पानी ही उपलब्ध रहता था। उन्होंने कहा कि कई हॉकी मैचों का लाइव टेलीकास्ट नहीं होता है, इसीलिए IPL की तरह वहाँ घर से देख कर डेटा नहीं तैयार किए जा सकते। अपनी सीट से एक बार उठने का मतलब है कि आपने वो सीट खो दी। ऐसी स्थिति में भी भारत ने ऑस्ट्रिया, मेक्सिको और रूस को हराया। उन्होंने बताया कि भारतीय हॉकी टीम इकोनॉमी क्लास में यात्रा करती थी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

गैर मुस्लिमों को जबरन नहीं परोसा जाएगा ‘हलाल मांस’, एअर इंडिया का बड़ा फैसला: जानें यह कैसे सही दिशा में कदम

देश की प्रमुख एयरलाइन एअर इंडिया ने फैसला किया है कि वह अब गैर-मुस्लिम यात्रियों को हलाल माँस नहीं परोसेगी।

बढ़कर 21% हुए मुस्लिम, 54% तक घटेंगे हिंदू: बांग्लादेशी-रोहिंग्या बदल रहे मुंबई की डेमोग्राफी, TISS की जिस रिपोर्ट से घुसपैठ पर छिड़ी बहस उसके...

अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुस्लिमों का घुसपैठ मुंबई में बड़े पैमाने पर सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक बदलाव ला रहा है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -