अडानी समूह ने अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दिया। कंपनी ने 413 पन्नों के जवाब में हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों को झूठ करार दिया। कहा है कि ये आरोप भारत और यहाँ की कंपनियों तथा देश के विकास पर सुनियोजित हमला है।
अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर जवाब देते हुए कहा है कि हिंडनबर्ग ने 88 सवालों के जवाब माँगे हैं। इनमें से 65 सवालों के जवाब अडानी पोर्टफोलियो कंपनियों की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। वेबसाइट में कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट में सभी के बारे में बताया गया है। समय-समय पर मेमोरेंडम, वित्तीय विवरण और स्टॉक एक्सचेंज के बारे में भी वेबसाइट पर जिक्र है।
Link to full Adani response https://t.co/ugkMxwYgs9
— Chandra R. Srikanth (@chandrarsrikant) January 29, 2023
गौतम अडानी के नेतृत्व वाली कंपनी ने यह भी कहा है कि हिंडनबर्ग के 18 सवाल सार्वजनिक शेयरधारकों और तीसरे पक्ष यानी अडानी ग्रुप की कंपनियों से संबंधित नहीं हैं। वहीं पाँच सवाल काल्पनिक और निराधार हैं।
अडानी समूह ने कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट स्पष्ट तौर पर मुनाफाखोरी करने के लिए तैयार की गई है। यह रिपोर्ट न तो स्वतंत्र है और न ही उद्देश्यपूर्ण है। अडानी समूह के निवेशकों की संख्या बहुत अधिक है। इन निवेशकों को नुकसान पहुँचाते हुए शॉर्ट सेलिंग कर मोटा मुनाफा कमाने के लिए हिंडनबर्ग फाल्स मार्केट बनाने का प्रयास कर रहा है। बता दें कि शॉर्ट सेलिंग में किसी भी कंपनी के शेयरों की गिरावट में पैसा लगाया जाता है।
413 पन्नों के जवाब में यह भी कहा गया है कि यह चिंता की बात है कि बिना किसी विश्वसनीयता या नैतिकता के हजारों मील दूर बैठी एक कंपनी के बयानों ने हमारे निवेशकों पर गंभीर रूप से बुरा प्रभाव डाला है। इस रिपोर्ट की दुर्भावनापूर्ण मंशा इसके टाइमिंग से भी भी साफ है। यह रिपोर्ट तब आई है, जब अडानी एंटरप्राइजेज इक्विटी शेयरों को लेकर देश का सबसे बड़ा एफपीओ (ADANI FPO) ला रहा था।
गौरतलब है कि हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को उजागर करने के लिए 2 साल तक जाँच करने व अडानी ग्रुप के पूर्व अधिकारियों से बात करने का दावा किया था। इस पर अडानी समूह ने कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दी गई जानकारी वर्षों से सार्वजनिक हैं। यानी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हैं। अडानी ग्रुप ने यह भी कहा है कि यह रिपोर्ट सिर्फ एक कंपनी पर एक हमला नहीं है। यह भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता तथा भारत की विकास गाथा और महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने 88 सवालों की अपनी एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में अडानी समूह पर कॉरपोरेट जगत की सबसे बड़ी धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया था। इस रिपोर्ट में अडानी समूह पर शेयरों को मॅनिप्युलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का भी आरोप लगाया गया है। हालाँकि, अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को झूठा और निराधार करार देते हुए कानूनी कार्यवाही करने की बात कही है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद से अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में जोरदार गिरावट देखी गई है। इसका असर गौतम अडानी की नेटवर्थ पर भी पड़ा है।