Tuesday, March 19, 2024
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शेयर गिराओ, उससे अरबों कमाओ: अडानी पर आरोप लगाने वाला Hindenburg रिसर्च का काला चिट्ठा, अमेरिका में चल रही जाँच

कंपनी का नाम 1937 में हिंडनबर्ग एयरशिप की हाई प्रोफाइल आपदा (Hindenburg Disaster) के नाम पर रखा गया है। सारी सुख सुविधा से लैश उस समय का सबसे बड़ा यह एयरशिप अमेरिका के न्यूजर्सी में जलकर खाक हो गया था। इसमें 100 लोग सवार थे।

अमेरिकी फर्म हिंडेनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में दूसरे ट्रेडिंग डे शुक्रवार (27 जनवरी 2023) को भारी गिरावट दर्ज की गई। कुछ शेयर तो शुक्रवार को ही 20 प्रतिशत तक गिर गए। कुछ में लोअर सर्किट भी लगा। वहीं, अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी की निजी संपत्ति में भी लगभग 1.84 लाख करोड़ रुपए की गिरावट आई औऱ वे दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में दूसरे नंबर से फिसलकर 10वें नंबर पर चले आए।

शुक्रवार के कारोबारी सेशन की शुरुआत में ही अडानी ग्रुप के बाजार पूँजीकरण में लगभग 2 लाख करोड़ रुपए की गिरावट आई। इससे पहले बुधवार (25 जनवरी 2023) को समूह के मार्केट कैपिटलाइजेशन में करीब 97,000 करोड़ रुपए गिरावट आई थी। यानी रिपोर्ट के आने के बाद दो दिन में ही समूह को लगभग 3 लाख करोड़ रुपए की चपत लग गई। इसके साथ ही दोनों दिन भारतीय शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल रही और निवेशकों के कई लाख करोड़ रुपए डूब गए।

Hindenburg की रिपोर्ट में क्या था?

हिंडेनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह पर कई आरोप लगाए हैं। इनमें मनी लॉन्ड्रिंग, अनऑथोराइज्ड ट्रेडिंग, वित्तीय गड़बड़ी, भारी-भरकम लोन सहित कई गंभीर आरोप हैं, जो किसी कंपनी के लिए घातक हो सकता है। इस तरह की रिपोर्ट बाजार में आते ही निवेशकों के बीच आफरा-तफरी मच जाती है और कंपनी के स्टॉक धाराशायी होने लगते हैं।

हिंडेनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अडानी समूह ने मॉरीशस और कैरेबियन द्वीप समूह जैसे टैक्स हेवन में संस्थाओं का उपयोग किया और अपनी कंपनियों की सूचीबद्ध शेयरों को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया। यानी रिसर्च फर्म ने अडानी ग्रुप पर टैक्स चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए।

फर्म ने अडानी ग्रुप की कंपनियों के वैल्युएशन में भी हेरफेर का आरोप लगाया है। उसने कहा कि अडानी ग्रुप की प्रमुख सात कंपनियों के शेयर 85 प्रतिशत तक ओवर वैल्यूड हैं। यानी इन कंपनियों के शेयर की वैल्यू जितनी होनी चाहिए, उससे 85 प्रतिशत है।

इतना ही नहीं, रिसर्च फर्म ने अडानी समूह की कंपनियों पर लोन को लेकर भी आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों ने लोन ले रखा है और इन शेयरों को गिरवी रखकर समूह की वित्तीय स्थिति को जोखिम में डाल दिया है।

रिसर्च फर्म का कहना है कि 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में अडानी समूह का कुल सकल ऋण 40% बढ़कर 2.2 ट्रिलियन रुपए (2.2 लाख करोड़ रुपए) हो गया।Refinitiv डेटा से पता चलता है कि अदानी समूह की सात प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों में ऋण इक्विटी से अधिक है। अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड पर ऋण उसकी इक्विटी से 2,000% अधिक है।

अडानी ग्रुप के FPO पर रिपोर्ट का दिख रहा है असर

हिंडेनबर्ग का रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब अडानी समूह अपनी मूल कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) की FPO (Follow on Public Offer) बाजार में लेकर आई है। FPO स्टॉक एक्सचेंज में पहले से ही सूचीबद्ध कंपनी के नए शेयरों का ऑफर होता है, जिसके माध्यम से कंपनी बाजार से पैसे जुटाती है। अडानी ग्रुप भी FPO के माध्यम से बाजार से 20,000 करोड़ रुपए जुटाने में लगा हुआ है। यह देश का सबसे बड़ा FPO है।

अडानी का यह FPO सब्सक्रिप्शन के लिए 27 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 तक डिस्काउंट पर उपलब्ध है। लेकिन अडानी के शेयरों को लेकर जिस तरह से लोगों में क्रेज था, उसके हिसाब से यह FPO सब्सक्राइब नहीं हुआ है। पहले दिन सिर्फ 0.01 प्रतिशत ही सब्सक्रिप्शन हुआ है। जाहिर सी बात है कि हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट का असर अडानी समूह के सिर्फ मार्केट कैपिटलाइजेशन पर ही नहीं, बल्कि उसके FPO सब्सक्रिप्शन पर भी हुआ है।

समय को लेकर सवाल और हिंडेनबर्ग की शॉर्ट सेलिंग का इतिहास

ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि हिंडेनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की जब अडानी ग्रुप अगले 2 दिनों बाद ही देश का सबसे बड़ा FPO लॉन्च करने वाला था। रिपोर्ट जारी करने के समय को लेकर विश्लेषकों ने हिंडेनबर्ग के इरादों पर सवाल उठाए हैं। हिंडेबर्ग पर सवाल एक नजर में इसलिए भी जायज दिख रहा है, क्योंकि यह कंपनी शॉर्ट सेलिंग का कारोबार करती है।

हिंडेनबर्ग पर आरोप लगते हैं कि रिसर्च फर्म के नाम पर कंपनियों की रिपोर्ट जारी करती है। इसमें वह कंपनियों की वित्तीय स्थिति का विवरण देती है। इसके कारण जब कंपनी के शेयर लुढ़कने लगते हैं को वह मुनाफे कमाती है। शॉर्ट सेलिंग की बात खुद हिंडेनबर्ग ने कही है। हिंडेनबर्ग ने बुधवार (25 जनवरी 2023) को कहा था कि वह यूएस ट्रेडेड बॉन्ड और नन-इंडियन ट्रेडेड डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए अडानी ग्रुप की कंपनियों में शॉर्ट पोजीशन रखेगी।

क्या है शॉर्ट सेलिंग?

अगर साधारण भाषा में समझने का प्रयास करें तो शेयर बाजार में दो तरह के निवेशक होते हैं- तेजड़िया (Bull) और मंदड़िया (Bear)। जिन निवेशकों को लगता है कि शेयर बाजार ऊपर जाएगा, वे शेयरों को खरीदते हैं। ये निवेशक तेजड़िया कहलाते हैं। वहीं, जिन निवेशकों को लगता है कि बाजार नीचे जाएगा, वे शॉर्ट सेलिंग और बेचेने का काम करते हैं। ये मंदड़िया अर्थात Bear कहलाते हैं।

शॉर्ट सेलिंग ऐसी रणनीति होती है, जब मंदड़ियों को लगता है कि बाजार या कोई स्टॉक नीचे जाएगा तो वे उसे बेच देते हैं और जब उस स्टॉक की कीमत गिर जाती है तो वह खरीद लेता है। इस तरह वह कम पर खरीद कर अधिक पर आम रणनीति अपनाता है। हालाँकि, इस रणनीति की खास बात यह होती है कि जिस स्टॉक को आप शॉर्ट सेलिंग करना चाहते हैं, अगर वह आपके पास नहीं है तब उसे बेच सकते हैं। शेयर बाजार बंद होने से पहले उसे खरीदना होता है। यह मंदड़ियों का खेल है।

हिंडेनबर्ग यही मदड़िया है। वह बाजार की गिरावट का फायदा उठाता है। यानी वह बेच पहले देता है और जब स्टॉक की प्राइस गिर जाती है तो वह बाद में खरीद लेता है। यही उसका इतिहास इस रिपोर्ट पर सवाल उठाने के लिए जायज है। यहाँ सवाल अडानी ग्रुप की वित्तीय अनियमितता से नहीं, बल्कि समय के चुनाव से जुड़ी है। यह पहली बार नहीं है कि हिंडेनबर्ग ने ऐसा किया है। हिंडेनबर्ग का यही काम है, यही पेशा है, यही व्यवसाय है।

अमेरिका में आपराधिक जाँच के घेरे में है Hindenburg

कुछ समय पहले अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कंपनी को टारगेट करने के आरोप में अमेरिका के न्याय विभाग ने 30 इन्वेस्टमेंट एवं रिसर्च कंपनियों एवं उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ जाँच शुरू की थी। जिन कंपनियों के खिलाफ जाँच शुरू हुई थी, उनमें हिंडेनबर्ग रिसर्च भी शामिल है। ये कंपनियाँ किसी को टारगेट करके उसकी वित्तीय रिपोर्ट जारी करते थे और उसके स्टॉक पर अपना शॉर्ट पोजीशन बनाते थे। जब उस कंपनी का स्टॉक जितना ही, गिरता उतना ही ये लाभ कमाते थे।

हिंडनबर्ग की शॉर्ट-सेलिंग और हेज फंड के साथ मिलीभगत के लिए अमेरिकी सरकार के न्याय विभाग द्वारा जाँच की जा रही है। फर्म के संस्थापक नैट एंडरसन कथित तौर पर कॉर्पोरेट आपदाओं की पहचान करने और उनसे मुनाफा कमाने में माहिर हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च कॉर्पोरेट आपदाओं की पहचान करने (और उनसे लाभ उठाने) में माहिर है।

मार्क कोहोड्स नाम के एक अन्य शॉर्ट सेलर ने आरोप लगाया था कि अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित हिंडनबर्ग बड़े फंड से जानकारी प्राप्त करता है और इस प्रकार उन्हें अपने ‘शॉर्ट’ ट्रेडों में मदद करता है।

Hindenburg ने इलेक्ट्रिक वेहिकल कंपनी Nikola को बनाया था निशाना

अडानी ग्रुप की तरह ही हिंडेनबर्ग ने इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी निकोला (Nikola) को भी अपना निशाना बनाया था। हिंडेनबर्ग पर आरोप लगा कि उसने दर्जनों झूठ को इस जटिलता के साथ पेश किया कि कंपनी के शेयर 80 प्रतिशत तक टूट गए। कंपनी ने हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट पर सवाल उठाया था। हिंडेनबर्ग ने निकोला के साथ जर्मनी में उसके पार्टनर बोस (Bosch) पर भी सवाल उठाया था।

हिंडेनबर्ग ने अमेरिका की स्टार्टअप कंपनी निकोला पर आरोप लगाया था कि कंपनी ने तकनीकी विकास के बारे में झूठ बोलकर अपने निवेशकों को धोखा दिया। हिंडेनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन ने कंपनी के एक वीडियो को चुनौती दी थी, जिसमें निकोला ने अपने इलेक्ट्रिक ट्रक को तेज गति से दौड़ते हुए दिखाया था। वास्तव में वाहन एक पहाड़ी की ढ़लान पर था

रिपोर्ट के आधार पर निकोला के खिलाफ सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन (Securities and Exchange Commission- SEC) ने कार्रवाई की थी। SEC के साथ फ्रॉड जाँच के सेटलमेंट के रूप में निकोला ने 12.50 करोड़ अमेरिकी डॉलर दिए। इतना ही नहीं, निकोला के फाउंडर Trevor Milton पर आपराधिक मुकदमा चलाया गया। वे पिछले साल दोषी भी सिद्ध हुए।

भारत की मीडिया कंपनी सहित कइयों को बनाया निशाना

कुछ साल पहले, हिंडनबर्ग रिसर्च ने बॉलीवुड की मीडिया प्रोडक्शन कंपनी इरोस इंटरनेशनल (Eros International) पर भी वित्तीय स्थिति को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया था। इसके बाद कंपनी के शेयर में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। इसके बाद इरोस इस रिपोर्ट को लेकर हिंडेनबर्ग पर मानहानि का आरोप लगाया गया था।

हिंडेनबर्ग के अनुसार, साल 2017 में अपनी स्थापना के बाद से कम-से-कम 16 कंपनियों में संभावित गड़बड़ी को पकड़ा है। पिछले साल ट्विटर (Twitter) डील के दौरान भी हिंडेनबर्ग ने यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि उसने शॉर्ट पोजीशन रखी है। उसने कहा था कि यदि इस डील से दुनिया के सबसे धनी आदमी एलन मस्क (Elon Musk) अलग हो जाते हैं तो कंपनी की वैल्यू गिर सकती है। इसके पहले 2018 में एलन मस्क शॉर्ट सेलिंग का मुखालफत कर चुके हैं।

क्या है Hindenburg और कौन है इसका संस्थापक

नाथन एंडरसन उर्फ नैट एंडरसन ने साल 2017 में फोरेंसिक वित्तीय शोध फर्म के रूप में हिंडनबर्ग रिसर्च की स्थापना की थी। यह इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव का विश्लेषण करती है।हिंडनबर्ग का कहना है कि वह वित्तीय अनियमितता, कुप्रबंधन, हेरफेर, अघोषित लेनदेन आदि जैसे ‘मानव निर्मित आपदाओं’ की तलाश करती है। इसको देखकर कंपनी अपनी पूँजी लगाती है।

कंपनी का नाम 1937 में हिंडनबर्ग एयरशिप की हाई प्रोफाइल आपदा (Hindenburg Disaster) के नाम पर रखा गया है। सारी सुख सुविधा से लैश उस समय का सबसे बड़ा यह एयरशिप अमेरिका के न्यूजर्सी में जलकर खाक हो गया था। इसमें 100 लोग सवार थे। संभावित गलत कामों को खोजने के बाद हिंडनबर्ग आमतौर पर रिपोर्ट प्रकाशित करता है। इसमें मामले की जानकारी होती है। इसके बाद कंपनी लाभ कमान के लिए शॉर्ट सेलिंग करती है।

इसके संस्थापक नाथन एंडरसन ने इंटरनेशनल बिजनेस में अमेरिका के कनेक्टिकट विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की है। इसके बाद उन्होंने डेटा कंपनी फैक्टसेट रिसर्च सिस्टम्स इंक (FactSet Research Systems Inc) में फिनांस में अपना करियर शुरू किया। वहाँ एंडरसन ने इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनियों के साथ काम किया। उन्होंने इजरायल में एंबुलेस ड्राइवर के तौर पर भी काम किया है।

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सुधीर गहलोत
सुधीर गहलोत
इतिहास प्रेमी

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