भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने गूगल और एप्पल को अपने ऐप स्टोर से चीनी वीडियो एप्लिकेशन टिक-टॉक को हटाने का निर्देश दिया है। यानी कि अब सिर्फ वही लोग टिक टॉक ऐप का इस्तेमाल कर सकेंगे, जिनके फोन में ये ऐप पहले से डाउनलोड है। नए यूजर्स इसे डाउनलोड नहीं कर सकेंगे। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार (अप्रैल 15, 2019) को मद्रास उच्च न्यायालय के टिक टॉक एप पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है।
India’s love-hate relationship with Tik Tok https://t.co/iY4YfJORfi
— ET News Updates (@ETNewsUpdates) April 16, 2019
गौरतलब है कि 3 अप्रैल को मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने अश्लील सामग्री तक पहुँच होने की चिंताओं के चलते एक आदेश पारित कर सरकार को देश में टिक टॉक के डाउनलोड पर रोक लगाने का निर्देश दिया था, जिसके बाद इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया, जिसने इस आधार पर आदेश को रोकने से इनकार कर दिया कि यह मामला अभी भी विचाराधीन है और कोर्ट 22 अप्रैल को मामले की सुनवाई करेगा। मद्रास उच्च न्यायालय में 16 अप्रैल को इस मामले पर सुनवाई हो सकती है।
वहीं, टिक टॉक ने अपने बचाव में कहा कि उसे ‘अश्लील और अनुचित सामग्री’ के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है, जो प्लेटफ़ॉर्म पर थर्ड-पार्टीज अपलोड करती है। टिक टॉक ने इस आदेश को भेदभावपूर्ण और मनमाना बताया है। कंपनी का कहना है कि इस ऐप को एक अरब से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है और उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ का ये आदेश एकतरफा है।
टिक टॉक ऐप पिछले एक साल में कुछ ज्यादा ही लोकप्रिय हुआ है। बता दें कि कंपनी ने पहले इसे म्यूजिकली के नाम से लॉन्च किया था, लेकिन फिर बाद में इसका नाम बदलकर टिक टॉक कर दिया गया। इस कंपनी के अधिकार चीनी कंपनी बाइटडांस के पास है, जो दुनिया की सबसे ज्यादा वैल्यू वाली स्टार्टअप कंपनियों में से एक है।