कोरोना संक्रमण के दौरान दिल्ली सहित देश की कई हिस्सों से अस्पतालों में संक्रमितों की मौत के बाद लापरवाही जैसे इल्जाम सामने आए हैं। लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में एक अस्पताल ऐसा भी जहाँ भर्ती होने के बाद सभी के सभी संक्रमित ठीक होकर अपने घर लौटे। इनमें से ज्यादातर को उपचार के दौरान एलोपैथी दवाइयों का सेवन तक नहीं करना पड़ा।
इस अस्पताल का नाम- ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद (AIIA) है। साल 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था। यहाँ क्लिनिकल रिसर्च के लिए 200 बेड्स का रेफरल अस्पताल, 25 विशेष विभाग और आठ अंतर-अनुशासनात्मक अनुसंधान प्रयोगशालाओं के साथ 12 क्लीनिक हैं।
जानकारी के मुताबिक, कोरोना से संक्रमित करीब 600 मरीजों का यहाँ इलाज हुआ है। अच्छी बात ये है कि इनमें से अधिकांश यहाँ से ठीक होकर घर लौटे। एक मरीज को लेकर बताया जा रहा है कि उसकी तबीयत बिगड़ गई थी, इसलिए उसे दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया। वहाँ भी उसे बचाया न जा सका और उसकी मौत हो गई।
अस्पताल ने कुल 592 माइल्ड और मॉडरेट कैटेगरी के मरीजों का इलाज किया। प्रशासन का कहना है कि इलाज के लिए जो संक्रमित वहाँ भर्ती हुआ वह ठीक होकर घर गए। इनमें से 94 फीसद मरीजों को तो प्योर आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट देकर ठीक किया गया। 6% ऐसे भी मरीज रहे जिनकी बीमारी देखते हुए उन्हें एलोपैथ का इलाज दिया गया। इसमें वह मरीज भी शामिल है, जिसे गंभीर हाल में रेफर करना पड़ा था।
AIIA की निदेशक डॉ तनुजा नेसारी ने पीटीआई से बातचीत में बताया, “संस्थान में 94 प्रतिशत से अधिक रोगियों को शुद्ध आयुर्वेदिक उपचार प्रदान किया गया था, और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के दिशा-निर्देशों के अनुसार जहाँ कहीं भी जरूरत थी एलोपैथी का उपयोग किया गया। यही हमारी सफलता का कारण है। हमने एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया है।”
उन्होंने बताया,
“600 मरीजों में से 200 मरीज कोरोना की दूसरी लहर में अस्पताल में भर्ती हुए। लेकिन सबसे अच्छा ये था कि यहाँ आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों इलाज है। एलोपैथी या आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लैब से आए टेस्ट देखने के बाद ही किया जाता है। यहाँ कोई भी दवाई आँख बंद कर नहीं दी जाती। हर केस मॉनिटर होता है। ये आधुनिक फैसिलिटी है। हमारे पासे पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी लैब हैं। हम सीटी स्कैन, सीआरपी और डी-डाइमर टेस्ट लगातार करवाते हैं। इसके बाद संयुक्त रूप से निर्णय लिया जाता है कि मरीज को आयुर्वेदिक इलाज देंगे या फिर एलोपैथी। पहले हम आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट ऑक्सीजन थेरेपी के साथ देते हैं। अगर जरूरत पड़ती है तो एलोपैथी की मदद लेते हैं। इसमें ICMR दिशा-निर्देशों के मुताबिक स्टेरॉएड आदि शामिल हैं।”
इस अस्पताल में 40 आयुर्वेद और 5 एलोपैथी के डॉक्टर हैं। अस्पताल में ICU हैं और एम्स व राजीव गाँधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टर समय-समय पर ऑनलाइन परामर्श देते हैं। उदारहरण के लिए वह डॉक्टर्स को बताते हैं कि उन्हें ऑक्सीजन स्तर गिरने पर तत्काल क्या करना है और ज्यादा गंभीर केसों पर उनके यहाँ रेफर कर देना है।
उन्होंने कहा कि एआईआईए ने अपने एक से दो प्रतिशत रोगियों को ही ज्यादा देखभाल के लिए कहीं और रेफर किया है। यहाँ मरीज के रहने की अवधि 9 से 10 दिन है, जबकि अस्पतालों ने बताया है कि मध्यम लक्षणों वाला एक कोविड रोगी 10-14 दिनों तक भर्ती रहता है और एक गंभीर रोगी को मेडिकल ऑक्सीजन पर निर्भरता के कारण एक महीने तक का समय लग सकता है।
डॉ. नेसारी के मुताबिक उनके संस्थान में 99.99% मरीज पूरी तरह से ठीक हुए। कोरोना के मरीजों के लिए 47 बेड वाले इस अस्पताल में इलाज आयुर्वेदिक दवा, योग, हवन और प्राणायाम के दम पर किया जाता है। मरीजों को योग, प्राणायाम कराया जाता है। अस्पताल का स्टॉफ भी योग और प्राणायाम करता है। सुबह के वक्त यज्ञ और हवन किया जाता है। मरीजों को अस्पताल का स्टाफ ठीक होने के लिए प्रोत्साहित भी करता है। गिलोई, कुछ हर्ब्स, आयुष 64, आयुष काढ़ा और अश्वगंधा मरीजों के इलाज में दिया जाता है। इनके अलावा आपात स्थिति में यहाँ सुवर्णकल्प, स्वस चिंतामणि, स्वर्ण भूपति सहित आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। साथ ही रोगियों के लिए ट्रीटमेंट शेड्यूल में प्रार्थना, योग, ध्यान, आयुर्वेद, गरारा, हल्का व्यायाम और दवाएँ दी जाती हैं।