31 अक्टूबर को एले (ELLE) इंडिया ने हिंदुओं के विरोध में एक आर्टिकल पब्लिश किया था। ये आर्टिकल मुख्यत: इस बात पर था कि आखिर कैसे हिंदू अपने संस्कृति, त्योहार, सभ्यता के विरुद्ध तैयार किए जा रहे प्रचार पर मुखर होकर विरोध कर रहे हैं। जब इस आर्टिकल पर भी नेटीजन्स ने उन्हें आड़े हाथों लिया तो उन्होंने चुपके से पोस्ट ही डिलीट कर दी।
दिलचस्प बात यह है कि ये आर्टिकल रूमन बेग जैसे लोगों ने लिखा था जिनके सोशल मीडिया चेक करें तो पता चलता है कि वो कैसे शरजीम इमाम के समर्थन में आवाज उठाने वालों का समर्थन करते हैं।
एले की डिजिटल एडिटर एनी निजामी अहमदी हैं। जिन्होंने आर्टिकल पर हुए बवाल के बाद अपने अकॉउंटस को लॉक कर लिया है। इनके साथ इस्लामी पत्रकारिता की सबसे बड़ा चेहरा राणा अयूब के भाई आरिफ अयूब भी एले से जुड़े हैं। इन सबकी सोशल एक्टिविटी बताती हैं कि कैसे ये सब सीएए के विरोध में कट्टरपंथी आवाजों के साथ थे।
एले द्वारा पोस्ट किए गए कुछ इलस्ट्रेशन भी एक हिंदू विरोधी मानसिकता वाले आर्टिस्ट की ही उपज थे, जो अक्सर अपने सोशल मीडिया अकॉउंट्स पर एंटी हिंदू सामग्री डालता रहता है। इस आर्टिस्ट का यूजर नेम Lord_VoldeMaut है। 19 साल का यह आर्टिस्ट हिंदू विरोधी है लेकिन इसे यह नहीं पता था कि इसका वर्क कैसे एले ने अपने कंटेंट को जानदार बनाने के लिए इस्तेमाल किया और बदले में न इससे पूछा और न पैसे दिए। जब इसे इस संबंध में पता चला तो इसने सारी पोल-पट्टी अपने अकॉउंट पर पोस्ट करके खोली। ये आर्टिस्ट हिंदुओं के विरोध में भगवा रंग का इस्तेमाल करके एक पूरी सीरिज चला रहा था। इसने अक्टूबर में हर दिन अपने कंटेट को डाल रखा था।
आर्टिस्ट ने ही बताया कि एले ने कैसे विरोध के बाद अपने खबर और पोस्ट से लेखक का नाम हटा दिया था और उसका नाम रहने दिया। इसके बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने आर्टिस्ट की क्लास लगाई और स्थिति ऐसी हो गई कि उसे भी अपने ट्विटर को डिएक्टिवेट करके जाना पड़ा। बाद में उसने कुछ बदलावों के साथ वापसी की और अब उसका हैंडल प्राइवेट हैं। उधर, एले ने भी नेटीजन्स की लताड़ लगने के बाद अपने पोस्ट को इंस्टा से हटा लिया और बाद में बिन माफी माँगे चुपके से आर्टिकल भी डिलीट कर दिया।
यहाँ बता दें कि जिन हिंदुओं को असहिष्णु दिखाकर ये बताने का प्रयास हो रहा है कि वो विज्ञापन देने वाले की क्रिएटिविटी में रोक-टोक करते हैं, उन हिंदुओं की समस्या किसी की क्रिएटिविटी नहीं बल्कि सनातन धर्म और संस्कृति के विरुद्ध फैलाया जा रहा प्रोपगेंडा है।