न्यायाधीश का काम ही है फैसला सुनाना। लेकिन, ज्यादातर न्यायाधीशों के करियर में ऐसे मौके नहीं आते कि उनके सुनाए फैसले की छाप अमिट हो। अयोध्या जैसे दशकों पुराने, राजनीतिक रूप से संवेदनशील और आस्था से जुड़े मसले पर फैसला सुनाने का मौका तो विरले को ही मिलता है। इस लिहाज से मौजूदा मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और उनकी अगुवाई वाली पीठ में शामिल जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर विरले ही माने जा सकते हैं।
सीजेआई रंजन गोगोई को लेकर किताब ‘गुवाहाटी हाईकोर्ट, इतिहास और विरासत’ में एक रोचक किस्से का जिक्र है। इसके मुताबिक उनके पिता केशब चंद्र गोगोई से उनके एक दोस्त ने पूछा कि क्या उनका बेटा भी उनकी ही तरह राजनीति में आएगा? जवाब में उनके पिता ने कहा- मेरा बेटा शानदार वकील है और उसके अंदर इस देश का मुख्य न्यायाधीश बनने की क्षमता है। उल्लेखनीय है कि 18 नवंबर 1954 को जन्मे गोगोई असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे हैं।
बीते साल 03 अक्टूबर को चीफ जस्टिस पद की शपथ लेने वाले गोगोई इस साल 17 नवंबर में रिटायर हो जाएँगे। देश के 46वें चीफ जस्टिस गोगोई इस पद तक पहुॅंचने वाले पूर्वोतर से पहले जज हैं। उनकी छवि पारदर्शिता को पसंद करने वाले और बेहद खुलकर बोलने वाले जज की रही है। सुप्रीम कोर्ट के रोस्टर को लेकर जब बीते साल चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी तो उसमें गोगोई भी शामिल थे। इसके बाद कुछ खेमों से आशंका जताई गई थी कि उनकी वरिष्ठता को नजरंदाज कर किसी और को सीजेआई बनाया जा सकता है।
New CJI #RanjanGogoi pays tribute to Father of Nation Mahatma Gandhi at Raj Ghat pic.twitter.com/apbwZtEG1G
— Live Law (@LiveLawIndia) October 3, 2018
विनम्र स्वभाव के गोगोई सख्त जज माने जाते हैं। एक बार उन्होंने अवमानना नोटिस जारी कर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू को अदालत में तलब कर लिया था। काटजू ने सौम्या मर्डर केस में ब्लॉग लिखकर उनके फैसले पर सवाल उठाए थे। जेएनयू के छात्र नेता रहे कन्हैया कुमार के मामले में एसआईटी के गठन से इनकार करने वाले जज भी गोगोई ही थे।
फाइटर प्लेन मिराज के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में न्यायिक जॉंच को लेकर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्होंने याचिकाकर्ता वकील अलख आलोक श्रीवास्तव से पूछा था कि मिराज किस जेनरेशन का है। वकील का जवाब सुन कर कहा:
“आपने याचिका दाखिल की है और आपको पता ही नहीं मिराज किस जेनरेशन के हैं। आप भाग्यशाली हैं कि हम आप पर इस याचिका को दाखिल करने के लिए जुर्माना नहीं लगा रहे और ऐसा इसलिए क्योंकि आप वकील हैं।”
रिटायर होने से पहले जस्टिस गोगोई कई और अहम मामलों में फैसला सुना सकते हैं। इनमें सबरीमाला रिव्यू पिटिशन, राफेल रिव्यू पिटिशन, राहुल गाँधी पर अवमानना का मुकदमा, फाइनेंस एक्ट 2017 की वैधता जैसे मामले शामिल हैं।